प्रयागराज: आज तिल चौथ यानी सकट चौथ का व्रत है. इसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं. इस व्रत को महिलाएं संतान की खुशी और सलामती के लिए रखती हैं. मान्यता है कि तिल चौथ के दिन भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाए तो कष्ट दूर होते हैं और सारी इच्छाएं पूरी होती हैं. इस दिन कई बातों का ध्यान रखना चाहिए.
देर शाम होता है पारण
इस दिन व्रती महिलाएं भगवान गणेश का विधि विधान से पूजा करती हैं. सूर्योदय से व्रत प्रारंभ हो जाता है और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ा जाता है. पंडित राजन प्रसाद शुक्ला के अनुसार, तिल चौथ का व्रत रखने के दिन महिलाएं उपवास रखने का संकल्प करती हैं. शाम को चंद्र दर्शन के बाद ही इस व्रत को तोड़ा जाता है. इस व्रत का खास महत्व है. तिल चौथ का व्रत महिलाएं खासतौर पर संतान की लंबी आयु और उनके सुखद भविष्य की कामना करने के लिए रखती हैं.
गणेश जी के 12 नामों का जाप
इस दिन भगवान गणेश के 12 नामों का जाप किया जाता है. जो इस प्रकार हैं, सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र और गजानन. इस दिन भगवान गणेश को तिल और गुड़ से बने लड्डू, शकरकंद, गुड़ और घी भी अर्पित किए जाते हैं.
तिल के लड्डुओं का खास महत्व
पंडित राजन शुक्ला ने आज के महत्व को बताया कि तिल चौथ के दिन भगवान गणेश की पूजा में तिल के लड्डू का खास महत्व है, इसलिए इस दिन पूजा में इन्हें जरूर चढ़ाया जाता है. साथ ही दुर्वा, पुष्प, रोली, फल सहित पंचामृत को भी पूजन में शामिल करना चाहिए. मान्यता है कि पूजा करते समय अपना मुंह उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए.
मान्यता है कि तिल चौथ के दिन भगवान गणेश की आरती जरूर की जानी चाहिए. इसमें व्रत की कथा सुनने का भी अलग महत्व है. इस दिन व्रती महिलाओं को कथा जरूर सुननी चाहिए. इसके अलावा इस दिन 'गणेशाय नम:' या 'ॐ गं गणपतये नम:' मंत्र का जाप करना भी अच्छा माना जाता है.