प्रयागराजः यदि आपको कोई दुकानदार 10 का सामान 20 में दे तो हो सकता है आप झगड़ा कर लें. यही हाल इस समय कचहरी और तहसीलों में चल रहा हैं, 10 रुपये के स्टांप 20 रुपये में बिक रहे हैं. इस बात से वकील भी परेशान हैं और वकील के मुवक्किल भी. आए दिन वकील दुकानदारों से बहस कर रहे हैं. वहीं मुवक्किल वकील से नाराज दिख रहे हैं.
झगड़े की जड़ बना ई-स्टांप
दरअसल, इस समस्या का जड़ ई- स्टांप में आने वाला खर्च है. स्टांप पेपर बेचने वाले वेंडरों का कहना है कि ई-स्टांप होने के बाद से उन्हें स्टांप पेपर का प्रिंट निकालकर बेचने के लिए ज्यादा लागत लगानी पड़ रही है, जिस कारण 10 रुपये के स्टांप पेपर को 20 रुपये में बेचना पड़ता है. वहीं वेंडरों का यह भी कहना है कि ई-स्टाम्प की बिक्री शुरू होने के बाद से उनकी लागत बढ़ गई है और कमाई कम हो गयी है. वहीं अधिक दाम लेने पर अक्सर स्टांप वेंडर और वकीलों के बीच कहासुनी होती है.
ज्यादा दाम लेने पर लाइसेंस हो सकता है निरस्त
प्रयागराज सहायक महानिरीक्षक निबंधन पूर्णिमा मिश्रा का कहना है कि सरकार द्वारा तय रेट से ज्यादा पर स्टांप बेचने वाले वेंडरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्हें शिकायत मिली है कि कुछ लोग ज्यादा दाम पर स्टांप बेच रहे हैं, जिसकी जांच उन्होंने अपने स्तर से की है. उसमें कुछ ही वेंडर ज्यादा रेट पर स्टाम्प पेपर बेचते मिले हैं जिनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ज्यादा रेट पर स्टाम्प बेचने पर लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है.
समस्या की करें शिकायत
सहायक महानिरीक्षक निबंधन ने विभाग की तरफ से सभी वेंडरों को हिदायत जारी की है कि वे तय कीमत से अधिक पर स्टांप पेपर की बिक्री न करें. उन्होंने यह भी कहा कि जिन वेंडरों को कमीशन कम होने की शिकायत है वे शासन-प्रशासन को अपनी समस्या बताएं. सरकार उनका कमीशन बढ़ाने पर विचार करेगी, लेकिन किसी को भी सरकारी स्टांप ज्यादा दाम पर बेचने का अधिकार नहीं है. ज्यादा रेट पर स्टांप बेचते हुए पकड़े जाने पर ऐसे वेंडरों के खिलाफ कार्रवाई कर उनका लाइसेंस निरस्त किया जाएगा.
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खुलेआम ज्यादा रेट पर बिकता है स्टांप
जनपद न्यायालय परिसर में स्टांप विक्रेता खुलेआम छोटे स्टांप पेपर को उससे अधिक दाम पर बेच रहे हैं. इन वेंडरों का कहना है कि 10 रुपये का स्टांप ऑनलाइन बुक करने के बाद उसका प्रिंट निकालकर बेचने में अधिक पैसा न लें तो उन्हें अपनी जेब से पैसे लगाना पड़ जाएग. इस वजह से अपना घर परिवार पालने के लिए 10 रुपये के स्टांप को 20 रुपये में बेचकर लागत निकालते हैं. वहीं लोगों का कहना है कि पेपर वाला स्टांप के समय में भी दुकानदार 10 रुपये के स्टांप को 12 से 15 रुपये में बेचते थे.
सरकार ने घटा दिया कमीशन
वेंडरों का कहना है कि सरकार ने जब से ई-स्टांप योजना शुरू कर दी है तब से उनकी कमाई कम हो गई है. पहले जहां 1 लाख रुपये का स्टांप पेपर बेचने पर 1 हजार रुपया कमीशन मिलता था. वहीं अब 1 लाख रुपये का ई-स्टाम्प पेपर बेचने पर सिर्फ 115 रुपये कमीशन मिलता है. उसमें से भी 18 प्रतिशत जीएसटी और टीडीएस अलग से कटता है. जिसके बाद उनके खाते में मात्र 94 रुपया ही आता है. वेंडर के खाते में आने वाले 94 रुपये में से ही कंप्यूटर, प्रिंटर और स्याही, के साथ ही बिजली का भी खर्च खुद सहन करना है. ऐसे में सिर्फ कमीशन के बल पर वेंडर काम करें तो भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे. जिस कारण मजबूरी में उन्हें छोटे ई-स्टाम्प पेपर पर अतिरिक्त कीमत लेना पड़ता है.
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स्टांप पेपर का इस्तेमाल और महत्व
स्टांप पेपर का इस्तेमाल सरकारी और निजी सेक्टर में कई स्थानों पर किया जाता है. घर की रजिस्ट्री के अलावा हर तरह के एग्रीमेंट में भी स्टांप पेपर का इस्तेमाल होता है. इसके अलावा हलफनामा बनवाने के लिए सबसे ज्यादा छोटे स्टांप पेपर का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं नौकरी के लिए दी जाने वाली जरूरी जानकारियां भी अब स्टांप पर लिखकर देना पड़ता है, क्योंकि स्टांप पेपर पर लिखकर दी गयी जानकारियों को दस्तावेज के रूप में मान्यता मिलती है. जहां सादे कागज पर लिखी हुई बातों की वैल्यू नहीं होती है, वहीं स्टांप पेपर लिखी हुई जानकरी को दस्तावेजी साक्ष्य भी मान लिया जाता है.
क्या हो सकता है समाधान
जनपद न्यायलय के अधिवक्ताओं के साथ ही वेंडरों का कहना है कि सरकार कम कीमत वाले स्टाम्प पेपर पर कमीशन ज्यादा देना शुरू कर दे तो वेंडर अतिरिक्त कीमत नहीं वसूल सकेंगे, क्योंकि वेंडर अभी घाटे की दुहाई देकर अपना घर परिवार चलाने के नाम पर अतिरिक्त कीमत वसूलते हैं. इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकार कम कीमत वाले स्टांप पेपर को पहले की तरह ही बेचने की सुविधा सरकार कर दे. अथवा वेंडरों का कमीशन बढ़ा दिया जाए तो भी स्टांप के बढ़े कीमतों पर नियंत्रण किया जा सकता है.
कोरोना काल में 246 करोड़ से ज्यादा के बिके स्टांप
साल 2020 में कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन में जब सब कुछ बंद था. उस समय स्टांप पेपर की बिक्री भी कुछ महीनों तक बंद थी, लेकिन सब कुछ खुलने के साथ ही स्टांप पेपर की बिक्री भी शुरू हो गयी. बीते साल कोरोना काल की बंदी के बावजूद 53 हजार 470 ई-स्टांप पेपर बिके. साल 2020 के 12 महीनों में बिकने वाले ई-स्टाम्प पेपर की कुल कीमत 2 अरब 46 करोड़ 86 लाख रुपये से ज्यादा बताई गई है. वहीं साल 2021 के शुरुआती दो महीनों में 86 करोड़ 70 लाख से ज्यादा रुपये के स्टांप पेपर बिक चुके हैं.