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संगम पर गंगा पूजन कर मोहन भागवत ने लिया विश्वशांति का संकल्प

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Published : Feb 20, 2021, 2:53 AM IST

माघ मेला में विहिप के शिविर में गंगा समग्र की दो दिवसीय बैठक में भाग लेने के लिए आए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार की शाम गंगा पूजन किया. इसके बाद उन्होंने गंगा का उल्लेख करते हुए गंगा की निर्मलता और विश्वशांति का संकल्प लिया.

मोहन भागवत ने लिया विश्वशांति का संकल्प
मोहन भागवत ने लिया विश्वशांति का संकल्प

प्रयागराज: संगम तट पर आयोजित होने वाले दो दिवसीय गंगा समग्र कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत शुक्रवार दोपहर बाद प्रयागराज पहुंचे. झूंसी स्थित संघ कार्यालय में थोड़ी देर विश्राम करने के बाद वह शाम लगभग सात बजे गंगा पूजन के लिए संगम तट पहुंचे. वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने गंगा पूजन और आरती की. इसके साथ ही उन्होंने प्रवाहित जल में दीपदान किया. गंगा पूजन में उनके साथ शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र गिरी, केंद्रीय संगठन मंत्री गंगा समग्र मिथिलेश, राष्ट्रीय महामंत्री आशीष गौतम भी शामिल हुए.

गंगा पूजन में शामिल हुए आरएसएस प्रमुख.
गंगा भारतवर्ष की जीवनदायिनी
पूजन के पश्चात संगम तट मौजूद गंगा समग्र कार्यकर्ताओं और जनसमुदाय के बीच मोहन भागवत का उद्बोधन हुआ. इस दौरान उन्होंने कहा कि गंगा भारतवर्ष की जीवनदायिनी होने के साथ-साथ यह जीवनदायिनी संस्कृति का प्रवाही आयाम है, जो कि युगों-युगों से चली आ रही है.

'धारा चलेगी, तो ही हमारा जीवन भी चलेगा'
मोहन भागवत ने कहा है कि अनेक प्रवाहों को गंगा ने अपने में समाहित किया है. गंगा स्वयं अपरिवर्तित रहते हुए लोगों को पावन करती है. उन्होंने कहा है कि गंगा को भागीरथ ने मृत्युलोक में प्रवाहित किया था. गंगा भारतवर्ष का जीवन धारा का दृश्य रूप है. ये हमारी जीवन धारा का प्राण है. यदि गंगा की अविरल और निर्मल धारा चलेगी, तो ही हमारा जीवन भी चलेगा.

गंगा के निर्मलता के लिए अपील
उन्होंने कहा कि गंगा की धारा बहती रहेगी, तो दुनिया के सब पीड़ित लोग गंगा में डुबकी लगाकर शांति का अनुभव कर सकेंगे. उन्होंने मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन के स्थल त्रिवेणी को लेकर कहा है कि हम सब के भौतिक जीवन में भी गंगा प्रवाहित होती रहे, ऐसी मेरी कामना है. उन्होंने सभी लोगों से गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए काम करने की भी अपील की है.


बड़े हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना
संगम तट पर गंगा पूजन और आरती के बाद संघ प्रमुख बंधवा स्थित बड़े हनुमान मंदिर भी गए, जहां बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने विधि-विधान से पूजा कराई. संघ प्रमुख ने बड़े हनुमान जी की आरती की और शहर के कोतवाल कहे जाने वाले हनुमान जी से आशीर्वाद लिया. इस मौके पर मौके पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने भी संघ प्रमुख का स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया. बड़े हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद संघ प्रमुख सीधे झूंसी स्थित संघ कार्यालय के लिए रवाना हो गए.

संघ प्रमुख इन कार्यक्रमों में होंगे शामिल
संघ प्रमुख आरएसएस के दफ्तर में ही रात्रि विश्राम करेंगे, जिसके बाद शनिवार सुबह 9 बजे गंगा समग्र की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक करेंगे. इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत विहिप के त्रिवेणी मार्ग स्थित शिविर में 5 राज्यों के 750 से अधिक कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करेंगे.

नदियों व तालाबों के संरक्षण पर मंथन
संघ प्रमुख गंगा की अविरलता और निर्मलता को लेकर‌ विचार मंथन करेंगे. इस दौरान गंगा समेत अन्य नदियों, तालाबों की स्वच्छता संरक्षण पर भी चर्चा करेंगे. नदियों व तालाबों पर आश्रित मल्लाह, मछुआरे, पुरोहित, माली आदि के जीवन बेहतर बनाने पर भी चर्चा करेंगे. संघ प्रमुख मोहन भागवत संघ के अनुषांगिक संगठन गंगा समग्र के कार्यों की समीक्षा करेंगे.‌

गंगा समग्र संघ का अनुषांगिक संगठन
गंगा समग्र संघ का अनुषांगिक संगठन है, जो कि गंगा नदी के साथ ही अन्य नदियों और तालाबों के संरक्षण के प्रति जागरूकता और संरक्षण के लिए काम करती है.

ये रहे उपस्थित
गंगा समग्र कार्यक्रम दोपहर बाद शुरू हुआ. प्रथम दिन उद्घाटन सत्र की शुरुआत मां गंगा के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर हुआ. दीप प्रज्वलन के अवसर पर जगतगुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, डॉ. कृष्ण गोपाल, राष्ट्रीय महामंत्री आशीष गौतम उपस्थित रहे.

गंगा का महत्व
प्रथम सत्र में कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करते हुए डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि मां गंगा के प्रति हिंदू समाज में हजारों वर्षों से आस्था है. हजारों वर्षों से मां गंगा के विषय में हम कथाएं सुनते आ रहे हैं. उनकी स्मृति हमारे जीवन का आधार है. आध्यात्मिक शांति के लिए हम मां गंगा का पूजन करते हैं. यह हमारी परंपरा है. 800 वर्ष पराधीनता के कारण कुछ बातें छूट गई.

दुनिया में सबसे बड़ा महत्व गंगा जल
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में किसी भी धन से बड़ा महत्व गंगाजल का है. गंगा समग्र की स्थापना 10 वर्ष पूर्व गंगा की अविरलता एवं निर्मलता की चिंतन समाज में जागरुकता एवं जागरण के लिए हुई. पूज्य अशोक सिंघल एवं अनेक संतों की पीड़ा गंगा में बढ़ते प्रदूषण एवं जल प्रवाह को जगह-जगह रोकने के लिए अनेक वर्षों से थी. अनेक विचार के बाद यह आवश्यकता सामने आई कि एक ऐसा संगठन हो, जो मां गंगा के प्रति श्रद्धा रखे. उन सबको एक ही स्थान पर एक अभियान में एक सूत्र में बांधने का कार्य यह संगठन कर भी रहा है.

प्रयागराज: संगम तट पर आयोजित होने वाले दो दिवसीय गंगा समग्र कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत शुक्रवार दोपहर बाद प्रयागराज पहुंचे. झूंसी स्थित संघ कार्यालय में थोड़ी देर विश्राम करने के बाद वह शाम लगभग सात बजे गंगा पूजन के लिए संगम तट पहुंचे. वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने गंगा पूजन और आरती की. इसके साथ ही उन्होंने प्रवाहित जल में दीपदान किया. गंगा पूजन में उनके साथ शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र गिरी, केंद्रीय संगठन मंत्री गंगा समग्र मिथिलेश, राष्ट्रीय महामंत्री आशीष गौतम भी शामिल हुए.

गंगा पूजन में शामिल हुए आरएसएस प्रमुख.
गंगा भारतवर्ष की जीवनदायिनी
पूजन के पश्चात संगम तट मौजूद गंगा समग्र कार्यकर्ताओं और जनसमुदाय के बीच मोहन भागवत का उद्बोधन हुआ. इस दौरान उन्होंने कहा कि गंगा भारतवर्ष की जीवनदायिनी होने के साथ-साथ यह जीवनदायिनी संस्कृति का प्रवाही आयाम है, जो कि युगों-युगों से चली आ रही है.

'धारा चलेगी, तो ही हमारा जीवन भी चलेगा'
मोहन भागवत ने कहा है कि अनेक प्रवाहों को गंगा ने अपने में समाहित किया है. गंगा स्वयं अपरिवर्तित रहते हुए लोगों को पावन करती है. उन्होंने कहा है कि गंगा को भागीरथ ने मृत्युलोक में प्रवाहित किया था. गंगा भारतवर्ष का जीवन धारा का दृश्य रूप है. ये हमारी जीवन धारा का प्राण है. यदि गंगा की अविरल और निर्मल धारा चलेगी, तो ही हमारा जीवन भी चलेगा.

गंगा के निर्मलता के लिए अपील
उन्होंने कहा कि गंगा की धारा बहती रहेगी, तो दुनिया के सब पीड़ित लोग गंगा में डुबकी लगाकर शांति का अनुभव कर सकेंगे. उन्होंने मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन के स्थल त्रिवेणी को लेकर कहा है कि हम सब के भौतिक जीवन में भी गंगा प्रवाहित होती रहे, ऐसी मेरी कामना है. उन्होंने सभी लोगों से गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए काम करने की भी अपील की है.


बड़े हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना
संगम तट पर गंगा पूजन और आरती के बाद संघ प्रमुख बंधवा स्थित बड़े हनुमान मंदिर भी गए, जहां बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने विधि-विधान से पूजा कराई. संघ प्रमुख ने बड़े हनुमान जी की आरती की और शहर के कोतवाल कहे जाने वाले हनुमान जी से आशीर्वाद लिया. इस मौके पर मौके पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने भी संघ प्रमुख का स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया. बड़े हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद संघ प्रमुख सीधे झूंसी स्थित संघ कार्यालय के लिए रवाना हो गए.

संघ प्रमुख इन कार्यक्रमों में होंगे शामिल
संघ प्रमुख आरएसएस के दफ्तर में ही रात्रि विश्राम करेंगे, जिसके बाद शनिवार सुबह 9 बजे गंगा समग्र की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक करेंगे. इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत विहिप के त्रिवेणी मार्ग स्थित शिविर में 5 राज्यों के 750 से अधिक कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करेंगे.

नदियों व तालाबों के संरक्षण पर मंथन
संघ प्रमुख गंगा की अविरलता और निर्मलता को लेकर‌ विचार मंथन करेंगे. इस दौरान गंगा समेत अन्य नदियों, तालाबों की स्वच्छता संरक्षण पर भी चर्चा करेंगे. नदियों व तालाबों पर आश्रित मल्लाह, मछुआरे, पुरोहित, माली आदि के जीवन बेहतर बनाने पर भी चर्चा करेंगे. संघ प्रमुख मोहन भागवत संघ के अनुषांगिक संगठन गंगा समग्र के कार्यों की समीक्षा करेंगे.‌

गंगा समग्र संघ का अनुषांगिक संगठन
गंगा समग्र संघ का अनुषांगिक संगठन है, जो कि गंगा नदी के साथ ही अन्य नदियों और तालाबों के संरक्षण के प्रति जागरूकता और संरक्षण के लिए काम करती है.

ये रहे उपस्थित
गंगा समग्र कार्यक्रम दोपहर बाद शुरू हुआ. प्रथम दिन उद्घाटन सत्र की शुरुआत मां गंगा के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर हुआ. दीप प्रज्वलन के अवसर पर जगतगुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, डॉ. कृष्ण गोपाल, राष्ट्रीय महामंत्री आशीष गौतम उपस्थित रहे.

गंगा का महत्व
प्रथम सत्र में कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करते हुए डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि मां गंगा के प्रति हिंदू समाज में हजारों वर्षों से आस्था है. हजारों वर्षों से मां गंगा के विषय में हम कथाएं सुनते आ रहे हैं. उनकी स्मृति हमारे जीवन का आधार है. आध्यात्मिक शांति के लिए हम मां गंगा का पूजन करते हैं. यह हमारी परंपरा है. 800 वर्ष पराधीनता के कारण कुछ बातें छूट गई.

दुनिया में सबसे बड़ा महत्व गंगा जल
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में किसी भी धन से बड़ा महत्व गंगाजल का है. गंगा समग्र की स्थापना 10 वर्ष पूर्व गंगा की अविरलता एवं निर्मलता की चिंतन समाज में जागरुकता एवं जागरण के लिए हुई. पूज्य अशोक सिंघल एवं अनेक संतों की पीड़ा गंगा में बढ़ते प्रदूषण एवं जल प्रवाह को जगह-जगह रोकने के लिए अनेक वर्षों से थी. अनेक विचार के बाद यह आवश्यकता सामने आई कि एक ऐसा संगठन हो, जो मां गंगा के प्रति श्रद्धा रखे. उन सबको एक ही स्थान पर एक अभियान में एक सूत्र में बांधने का कार्य यह संगठन कर भी रहा है.

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