वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का 46वां दीक्षांत समारोह अव्यवस्थाओं का भेंट चढ़ गया. कार्यक्रम के शुरुआत में थोड़ी देर तक अफरा तफरी का माहौल रहा. क्योंकि राज्यपाल ने जैसे ही दीक्षांत समारोह की शुरुआत की तो ऑडिटोरियम की बत्ती गुल हो गई और अंधेरा छा गया. बिना माइक के ही राज्यपाल को प्रोग्राम को शुरू करना पड़ा.
काशी विद्यापीठ का 46वां दीक्षांत की अध्यक्षता कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने की. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पावर कॉरपोरेशन इंडिया के सीएमडी आरके त्यागी रहे. कार्यक्रम की शुरुआत जैसे ही हुई ऑडिटोरियम की लाइट कट गई. बिजली जाते ही पूरे ऑडिटोरियम में अंधेरा रखा गया,हालांकि 30 सेकंड बाद लाइट आई.उसके बाद जैसे ही राज्यपाल आनंदी बेन पटेल बुकलेट उठाकर दीक्षांत की शुरुआत करने गई, फिर से 30 सेकंड के लिए लाइट कट गई.
यही नहीं जब उन्होंने दीक्षांत घोषणा पढ़ने के लिए माइक उठाया तो माइक भी नहीं चला. इस घटना से थोड़ी देर तक पूरे ऑडिटोरियम में हड़कम्प का माहौल व्याप्त रहा. इस पर राज्यपाल ने बिना माइक के ही घोषणा पत्र पढ़ने की शुरुआत की. इस दौरान विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी बेहद नाराज दिखे. एसीपी चेतगंज का कहना है कि मामले की जांच की जाएगी कि आखिर यह ब्लैक आउट कैसे हुआ. यदि इसके पीछे किसी तरीके की साजिश रही तो इसकी जांच की जाएगी.
लड़कियों को सरकारी और लड़कों प्रावेट स्कूलों में भेजा जाता हैः कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि विद्यापीठ ऐतिहासिक विश्वविद्यालय है. आज दीक्षांत में मेधावियों को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया है. जिसमें 6 छात्र और 12 छात्राएं हैं. हर जगह महिलाएं आगे बढ़ रही है. मैंने कई विश्वविद्यालय में कहा है कि संशोधन करना चाहिए. मैं दो तरह से इस विषय का मूल्यांकन करती हूं. एक जब प्राइमरी में हम जाते हैं तो ज्यादातर लड़कियां सरकारी स्कूल में पढ़ती हैं और लड़कों को बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों में भेजा जाता है. वहीं, प्राइमरी के बाद बच्चियों जब इंटर कॉलेज के बाद विश्वविद्यालय में एडमिशन लेती हैं तो यह गोल्ड मेडल लेकर के आती हैं. जबकि अच्छे कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले छात्र विश्वविद्यालय में पढ़ते हैं तो यह मेडल लेने से पीछे रह जाते हैं. आज हमारी यह बेटियां लगातार हर फील्ड में आगे बढ़कर मेडल ला रही है और दूसरों को प्रेरणा भी दे रही हैं.
ग्रीन आर्मी की महिलाओं राजभवन में किया आमंत्रितः इस दौरान उन्होंने सोनभद्र से आई 100 ग्रीन आर्मी की महिलाओं को लखनऊ स्थित राज भवन में 29 आमंत्रित भी किया है. उन्होंने कहा कि सोनभद्र से आई ग्रीन आर्मी ने लोगों के शराब को छुड़ाने में बेहद काम किया है, जब से यह ग्रीन साड़ी पहन कर बाहर निकली है तब से शराबी और जुआड़ी डरने लगे हैं. यही नही ये लोग नजदीक का कोई गांव पकड़ती है, वहां के तालाब की खुदाई करके बारिश का पानी इकट्ठा करती है.ये सभी काम ये निःशुल्क सिर्फ सेवा भाव से करती हैं. इन सब से हम सभी को प्रेरणा लेने की जरूरत है.
मेडल पाकर खिले छात्राओं के चेहरेः दीक्षांत में कुल 97350 मेधावियों को उपाधियां बांटी गई, जिसमें से 18 गोल्ड मेडलिस्ट थे. सात स्नातक,9 स्नाकोत्तर और दो उत्कृष्ट खिलाड़ियों को गोल्ड मेडल मिले. वहीं, स्नातक में 18196 डिग्रियां दी गई. इनमें 41,474 छात्र और 36722 छात्राएं हैं. स्नाकोत्तर स्तर पर 19056 डिग्रियां दी गईं.साथ ही 98 विद्यार्थियों को पीएचडी की भी उपाधि दी गयी है. इस दौरान डिग्रियां पार्कर सभी छात्र-छात्राएं बेहद उल्लासित दिखें.
एलएलबी में गोल्ड मेडल पाने वाली आयुषी कहती हैं कि उन्हें गोल्ड मेडल मिलने की बहुत खुशी है. अपने माता-पिता अध्यापकों का धन्यवाद कहना चाहती हूं, जिन्होंने इस सफर में मेरा साथ दिया है. उन्होंने कहा कि आगे मुझे सिविल जज की तैयारी करने हैं और मुझे जज बनना है. वहीं, भदोही की रहने वाली दीक्षा बताती है कि मैं BCA की स्टूडेंट हूं, मुझे राज्यपाल के हाथों आज गोल्ड मेडल मिला इसके लिए मैं खुद को सौभाग्यशाली समझती हूं, आज लग रहा है की मेहनत सफल हुई है.उन्होंने कहा कि आगे मुझे उच्च शिक्षा में जाने के साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी है.
ऑनलाइन मिली रिजल्ट की सौगातः विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एके त्यागी ने बताया कि प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में विश्वविद्यालय के केंद्र हैं. जिस वजह से सिर्फ रिजल्ट के लिए विश्वविद्यालय आना कई बार विद्यार्थियों के लिए समस्या से भरा रहता है. इसी को देखते हुए इस सत्र से अंतिम वर्ष की मार्कशीट को ऑनलाइन करने की शुरुआत की गई है. उन्होंने बताया कि डिजिलॉकर के तहत विश्वविद्यालय में हर छात्र का एक यूजरनेम और पासवर्ड तैयार किया गया है जो उनके आधार और मोबाइल नंबर से कनेक्ट है. कोई भी छात्र वेबसाइट पर जाकर के अपना यूजर नेम पासवर्ड डाल करके अपने रिजल्ट और उपाधि को डाउनलोड कर सकता है. लगभग 5 वर्षों की उपाधियां पहले से ही डिजिलॉकर में विद्यार्थियों की उपलब्ध कराई गई हैं. पहली बार में कुल 97350 विद्यार्थियों को इसका लाभ मिला है.
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बाईट : आयुषी मिश्रा, मेडलिस्ट
बाईट : दीक्षा मिश्रा, मेडलिस्ट