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मुख्तार अंसारी के करीबी गणेश दत्त मिश्र को हाईकोर्ट से राहत - गणेश दत्त मिश्र को हाईकोर्ट से राहत

जमीन का बैनामा करने के एक मामले में मुख्तार अंसारी के करीबी गणेश दत्त मिश्र को हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.

मुख्तार अंसारी
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Published : Nov 14, 2022, 10:42 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमीन का बैनामा करने के एक मामले में मुख्तार अंसारी के करीबी गणेश दत्त मिश्र को अंतरिम राहत देते हुए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि याची की मामले की अगली सुनवाई की तारीख या पुलिस रिपोर्ट दाखिल होने तक गिरफ्तारी नहीं की जाएगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी ने प्राणेश दत्त मिश्र के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय व सरकारी वकील को सुनकर दिया है.

कोर्ट में अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने तर्क दिया कि मामला दीवानी प्रकृति का है. इसके बाद भी गाजीपुर के कोतवाली थाने में तीन नवंबर 2020 को प्राथमिकी दर्ज कराकर याची को फंसाया जा रहा है. जबकि बैनामा 2009 में कराया गया और रेवेन्यू रिकॉर्ड में वादी मुकदमा कांति पांडेय का नाम दर्ज हो गया है. वादी मुकदमा ने इस मामले में अब तक कोई दीवानी मुकदमा दाखिल नहीं किया. इसलिए मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द किया जाए. अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के रणधीर सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी व अन्य केस का हवाला भी दिया.

कोर्ट ने याची के तर्कों को सुनते ही विपक्षी कांति पांडेय सहित सभी अन्य प्रतिपक्षियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले के तथ्यों के अनुसार कांति पांडेय ने याची गणेश दत्त मिश्र के खिलाफ गाजीपुर के कोतवाली थाने में यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई कि उन्होंने जिस जमीन को बेचने का सौदा किया. मौके पर वह जमीन थी नहीं. बैनामा होने के बाद उसे इसकी जानकारी हुई. उसने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई तो याची उसे धमकाकर पांच लाख रुपये की मांग कर रहा है.

यह भी पढ़ें- नौकरी का झांसा देकर खातों में रकम ट्रांसफर कराने वाले झारखंड के गैंग का भंडाफोड़

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमीन का बैनामा करने के एक मामले में मुख्तार अंसारी के करीबी गणेश दत्त मिश्र को अंतरिम राहत देते हुए उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि याची की मामले की अगली सुनवाई की तारीख या पुलिस रिपोर्ट दाखिल होने तक गिरफ्तारी नहीं की जाएगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी ने प्राणेश दत्त मिश्र के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय व सरकारी वकील को सुनकर दिया है.

कोर्ट में अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने तर्क दिया कि मामला दीवानी प्रकृति का है. इसके बाद भी गाजीपुर के कोतवाली थाने में तीन नवंबर 2020 को प्राथमिकी दर्ज कराकर याची को फंसाया जा रहा है. जबकि बैनामा 2009 में कराया गया और रेवेन्यू रिकॉर्ड में वादी मुकदमा कांति पांडेय का नाम दर्ज हो गया है. वादी मुकदमा ने इस मामले में अब तक कोई दीवानी मुकदमा दाखिल नहीं किया. इसलिए मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द किया जाए. अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के रणधीर सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी व अन्य केस का हवाला भी दिया.

कोर्ट ने याची के तर्कों को सुनते ही विपक्षी कांति पांडेय सहित सभी अन्य प्रतिपक्षियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले के तथ्यों के अनुसार कांति पांडेय ने याची गणेश दत्त मिश्र के खिलाफ गाजीपुर के कोतवाली थाने में यह कहते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई कि उन्होंने जिस जमीन को बेचने का सौदा किया. मौके पर वह जमीन थी नहीं. बैनामा होने के बाद उसे इसकी जानकारी हुई. उसने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई तो याची उसे धमकाकर पांच लाख रुपये की मांग कर रहा है.

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