प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में कार्यरत रहे पूर्व प्रिंसिपल कमिश्नर आयकर सुवचन राम को राहत देते हुए उनके पक्ष में पारित केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने अधिकरण के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की अपील को खारिज कर दिया. केंद्र सरकार की अपील पर यह आदेश न्यायमूर्ति भयंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने दिया है.
सरकार द्वारा केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के 9 मार्च 2022 के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस आदेश में अधिकरण में सुवचन राम के खिलाफ जारी चार्जशीट रद्द कर दी थी और उनको समस्त परिलाभो का भुगतान करने का निर्देश दिया था.
सरकार की याचिका में कहा गया कि सुवचन राम मेक कमिश्नर अपील मुंबई के पद पर कार्यरत रहते हुए सेंट्रल बोर्ड आफ डायरेक्ट टैक्सेस के सर्कुलर का उल्लंघन किया और एसएससी को अनुचित तरीके से लाभ पहुंचाया. उनके इस कृत्य से केंद्र सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ है. सिविल सेवा नियमावली के अनुसार उनका यह कार्य मिसकंडक्ट की श्रेणी में आता है. जांच के बाद उनको चार्जशीट दाखिल की गई थी. केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने अपने आदेश में एक महत्वपूर्ण तथ्यों को नजरअंदाज किया.
जबकि सुवचन राम के अधिवक्ता का कहना था याची को इसी मामले में 24 दिसंबर 2020 को भी चार्जशीट जारी की गई थी, जिसे केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने रद्द कर दिया था. इसके बाद उसी निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर अधिकारी के रिटायरमेंट के ठीक पहले दोबारा चार्जशीट जारी कर दी गई, जो दुर्भावनापूर्ण तरीके से किया गया कार्य है. हाईकोर्ट ने अधिकरण के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि सरकार के अधिवक्ता इस तथ्य को नकार नहीं सके कि दूसरी बार चार्ज शीट उसी निरीक्षण रिपोर्ट पर जारी की गई, जिस पर पहले जारी की गई थी वह भी अधिकारी के रिटायर होने से ठीक पहले.