प्रयागराज: देश में नवरात्र और दशहरा उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. एक तरफ मां जगदम्बे की पूरे नौ दिन पूजा होती है, तो वहीं दूसरी तरफ दशहरा उत्सव को लेकर रामलीला का मंचन शुरू हो गया है. जिले में कटरा रामलीला की शुरुआत राम के जन्म से नहीं बल्कि रावण के जन्म से होती है. रामलीला में सबसे पुराना इतिहास कटरा रामलीला का है. कहा जाता है कि अंग्रेजों के जमाने से यहां रामलीला का आयोजन किया जा रहा है.
राम नहीं रावण के जन्म से शुरू होती है रामकथा. रावण की होती है विशेष पूजा कटरा रामलीला का पुराना इतिहास है. इसका आयोजन वर्षों से बड़े ही धूमधाम से किया जाता है. यहां की रामलीला में रावण की विशेष पूजा की जाती है. इसलिए रामकथा की शुरुआत रावण के जन्म से ही होती है. यह रामलीला पूरे देश में प्रसिद्ध है, जहां रावण के सभी भाइयों के जन्म से रामकथा की शुरुआत की जाती है. उसके बाद राम का जन्म होता है. कटरा रामलीला में रावण की विशेष पूजा और उनकी महत्वा को लोगों तक पहुंचने के लिए यहां रावण का पूरा सम्मान किया जाता है.
मंचन देखने दूर-दूर से आते हैं दर्शक
पूरा कटरा क्षेत्र ऋषि मुनि भारद्वाज आश्रम से जुड़ा हुआ है. भारद्वाज मुनि के रावण नाती थे. इसी वजह से रावण का सम्मान कमेटी आज भी करती है. इस बार रामकथा का आयोजन भव्य रूप से किया जा रहा है. दर्शकों को नए कलेवर में रामकथा को दिखाया जा रहा है. हर दिन विशेष रूप से रामकथा का मंचन किया जा रहा है. रामलीला का मंचन देखने के लिए दूर-दूर से दर्शक आते हैं.