प्रयागराजः संगम नगरी में 17 साल पहले बसपा के विधायक रहे राजू पाल की सरेआम गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी. उस घटना में विधायक के साथ के दो गनर की भी मौत हो गयी थी. पूरे प्रदेश को दहला देने वाली उस घटना के 17 साल बाद भी किसी आरोपी को सजा नहीं हो सकी है.पुलिस और सीबीसीआईडी के अलावा सीबीआई भी इस मामले की जांच कर चुकी है लेकिन आज तक अतीक अहमद या उसके साथ घटना में नामजद किये गए किसी आरोपी को इस हत्याकांड में सजा नहीं हो सकी है.
कानून के जानकार अधिवक्ता एसए नसीम का कहना है की मामले में इतने ज्यादा गवाह शामिल रहे हैं. वही आरोपियों की संख्या भी ज्यादा होने की वजह से केस लेट हुआ. इसके अलावा आरोपियों के जिले और प्रदेश के बाहर होने की वजह से भी केस की सुनवाई में देरी होती है.इन्हीं सब वजह से आये दिन केस से जुड़ी सुनवाई टलती रहती है. यही कुछ ऐसी वजह है जिसके कारण केस लंबा खींच रहा है.
2005 में हुई थी विधायक की हत्या
25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल को फिल्मी अंदाज में घेरकर गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया था.उस घटना के बाद मामले की जांच पुलिस कर रही थी.बाद में सरकार ने इस मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी थी.सीबीसीआईडी जब इस मामले की जांच कर रही थी.उसी वक्त राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की थी. सरकार ने सीबीआई जांच का आदेश नहीं दिया तो पूजा पाल साल 2005 में ही सुप्रीम कोर्ट गयी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कहकर केस निस्तारित कर दिया था.
इसके बाद पूजा पाल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी.हाईकोर्ट में मामले की लंबी सुनवाई के बाद साल 2009 में केस खारिज कर दिया था. इसके बाद पूजा पाल की तरफ से 2014 में सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका दाखिल की गयी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच की मांग को मंजूर कर लिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राजू पाल हत्याकांड की सीबीआई जांच का आदेश जारी हुआ और सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की. सीबीआई ने पूरे मामले की लंबी जांच पड़ताल करने के बाद पूरे मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी.इसके बाद राजू पाल मामले की सुनवाई लखनऊ में सीबीआई कोर्ट में चल रही है.
राजू पाल हत्याकांड में अतीक अहमद, खालिद अज़ीम उर्फ अशरफ समेत 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था जबकि इस केस में दोनों तरफ से 60 से अधिक गवाहों को पेश किया गया था. राजू पाल पक्ष की तरफ से पेश किए गए 19 गवाहों में से 17 पक्षद्रोही हो गए हैं.ज्यादातर गवाहों के गवाही से पलटने की वजह से भी यह केस लंबी कानूनी दांवपेंच में फंसता चला गया है.जिस वजह से भी यह केस सालों से अलग अलग एजेंसियों की जांच करने के बाद भी किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सका है.जनवरी 2005 में राजू पाल की हत्या के बाद उनकी पत्नी पूजा पाल की तहरीर पर पर पुलिस ने अतीक अहमद,ख़ालिद अज़ीम उर्फ अशरफ,गुलफूल,रंजीत पाल, आबिद, इसरार, आशिक जावेद,एजाज,अकबर और फरहान के साथ ही अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था.
पुलिस ने धारा 147,148,149,302,307,506,120B, और 7 सीएलए एक्ट के तहत केस दर्ज किया था.पुलिस ने अप्रैल 2005 में ही चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी लेकिन उसके बाद घटना की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई थी. इसके बाद सीबीसीआईडी से होते हुए जांच सीबीआई तक पहुंच गयी थी. हालांकि सीबीआई ने भी कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है.लेकिन अभी भी मामला न्यायालय में चल रहा है.राजू पाल हत्याकांड के साथ ही गवाह उमेश पाल को धमकाने का केस प्रयागराज में एमपी एमएलए कोर्ट में चल रहा है.जहां पर उमेश पाल की गवाही हो चुकी थी और मामले में अंतिम दौर की बहस चल रही है.उसी बहस को सुनकर शुक्रवार की शाम को कोर्ट से लौटने के बाद ही उमेश पाल को उसके घर के दरवाजे पर घेरकर हत्या कर दी गयी.