प्रयागराजः उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग द्वारा सहायक प्रोफेसर भर्ती में जारी पुनरीक्षित चयन सूची से बाहर हुए अट्ठारह अभ्यर्थियों को सेवा से निकाला नहीं जाएगा. हाईकोर्ट ने इनको अपने पदों पर काम करते रहने देने और वेतन देने का निर्देश दिया है. साथ ही कोर्ट ने पुनरीक्षित चयन सूची में शामिल किए गए 18 नए अभ्यर्थियों को भी 4 सप्ताह के भीतर नियुक्ति देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह कहा है कि सभी चयनित अभ्यर्थियों को अपनी मेरिट के हिसाब से चयन सूची में रखा जाए. आकांक्षा यादव व अन्य 18 चयनित अभ्यर्थियों की विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार चतुर्थी खंडपीठ ने दिया है.
विशेष अपील दाखिल करने वाले अभ्यर्थियों का कहना था कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती की लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में सफल होने के बाद उनको विभिन्न महाविद्यालयों में नियुक्ति दे दी गई. इसके बाद कुछ अचयनित अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर ओएमआर शीट के मूल्यांकन में गड़बड़ी की शिकायत की. आयोग ने भी यह स्वीकार करते हुए कहा कि शीट के मूल्यांकन में गड़बड़ी हुई है, जिसे जल्द ही सुधार दिया जाएगा. कोर्ट ने आयोग के इस आश्वासन पर याचिका निस्तारित कर दी. आयोग ने ओएमआर शीट की गड़बड़ी सुधारने के बाद नई चयन सूची जारी की, जिसमें पूर्व की चयन सूची में शामिल 18 अभ्यर्थी बाहर हो गए तथा 18 नए अभ्यर्थी शामिल कर लिए गए.
पूर्व में चयनित और नियुक्ति पा चुके अभ्यर्थियों ने इसे लेकर हाई कोर्ट में विशेष अपील दाखिल की. उनका कहना था कि किसी भी स्तर पर याचिका में ना तो उनको पक्षकार बनाया गया न ही आयोग ने उनका पक्ष सुना. उनको आशंका है कि नई चयन सूची जारी होने के बाद उनको सेवा से हटा दिया जाएगा. ओएमआर शीट के मूल्यांकन को लेकर के भी सवाल उठाए. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा निर्णीत कई न्यायिक निर्णयों की नजीर पेश करते हुए कहा गया कि चयनित हो चुके अभ्यर्थियों को सेवा से हटाया नहीं जा सकता है.
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि पूर्व में चयनित अभ्यर्थी अपने पदों पर काम करते रहेंगे तथा उनको वेतन दिया जाए. साथ ही नए चयनित अभ्यर्थियों को भी 4 सप्ताह में नियुक्तियां दी जाए. सभी चयनित अभ्यर्थियों को चयन सूची में उनकी मेरिट के हिसाब से स्थान देने का निर्देश कोर्ट ने दिया है.
एनसीटीई की निर्धारित न्यूनतम योग्यता सही मानने के फैसले को चुनौती
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में एनसीटीई की निर्धारित न्यूनतम योग्यता को सही मानने के एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी है.
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने सहायक आचार्य के 75 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे. इसमें यूजीसी के रेगुलेशन 2018 के अनुसार एमएड या शिक्षाशास्त्र में परास्नातक को भी अर्ह माना गया था. हाईकोर्ट ने यूजीसी की बजाय एनसीटीई द्वारा निर्धारित योग्यता को वरीयता दी. कहा कि एनसीटीई का गठन विषेष अधिनियम के तहत हुआ है.
ऐसे में उच्चत्तर शिक्षा सेवा चयन आयोग को न्यूनतम योग्यता में परिवर्तन करने का कोई अधिकार नहीं है. कोर्ट ने बीएड का फिर से विज्ञापन फिर से प्रकाशित करने का आदेश दिया था. साथ ही प्रभावित अभ्यर्थियों की फीस दो सप्ताह में वापस करने को कहा था. आयोग ने अपील में एकल पीठ के इसी आदेश को चुनौती दी है.