प्रयागराज: समाज के सभी वर्गों में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. इसी कड़ी में संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे माघ मेले में महिला साधु संत मोक्ष की राह दिखा रही हैं. मेला क्षेत्र में कई साध्वियां ऐसी हैं जो सनातन धर्म की अलख जगा रही हैं. वहीं, महिला संतों के मुख से कथा प्रवचन सुनने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ भी उनके पंडालों में जुट रही हैं. साथ ही महिला संतों के प्रवचन की सराहना भी कर रही हैं.
गणित से एमएससी करने के बाद बनी कथा वाचक: राधिका वैष्णव ने बताया कि उनके पिता कपिल देव महाराज निर्वाणी अनि अखाड़े से जुड़े हुए थे. जिस वजह से उनको लालन पालन के दौरान ही साधु संतों का साथ मिलता रहा है. नामकरण से लेकर शिक्षा दीक्षा तक हर कार्य संतों की देखरेख में ही होता रहा है. उनका कहना है कि गणित विषय से एमएससी करने के बाद योगाचार्य का कोर्स किया था. जिसके बाद पिता से दीक्षा लेने और घर के माहौल की वजह से उनका मन सनातन धर्म से जुड़ गया. जिसके बाद वो पिता के सानिध्य में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए रामचरित मानस के जरिए भगवान राम की महिमा को लोगों तक पहुंचाने में जुट गईं. साल 2019 में प्रयागराज में लगे कुंभ मेले से उन्होंने मंच से मानस कथा करने की शुरुआत कर दी. लेकिन 2021 में उनके पिता ब्रह्मलीन हो गए. जिसके बाद चित्रकूट स्थित मां तारा आश्रम और माघ मेला की संस्था की जिम्मेदारी मानस प्रवक्ता राधिका वैष्णव ने संभाल ली.
संस्कृत से आचार्य की डिग्री लेने के बाद दे रही गीता का ज्ञान: मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली अर्चना ने संस्कृत विषय से आचार्य की डिग्री हासिल की है. जिसके बाद अर्चना का मन सनातन धर्म की ओर आकर्षित हो गया. उनका कहना है कि शिक्षा दीक्षा के दौरान ही उन्हें संतो की संगत भाने लगी थी. जिसके बाद उन्होंने जगद्गुरु श्यामदेवाचार्य से दीक्षा ली. जिसके बाद वो सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने में जुट गईं. भागवत गीता का ज्ञान अर्जित करने के बाद साध्वी अर्चना भागवत कथा सुनाकर लोगों को धर्म और आस्था की राह पर चलने की शिक्षा दे रही हैं. उन्होंने बताया कि वो पिछले 15 सालों से सनातन धर्म का प्रचार कर रही हैं. प्रयागराज में शहर से दूर पौराणिक धार्मिक स्थल लाक्षा ग्रह के पास आश्रम में रहकर वो सनातन धर्म की अलख जगा रही हैं.
बचपन से सनातन धर्म का प्रचार: इसी तरह से साध्वी राधा का झुकाव बचपन से ही धर्म की ओर था. शुरुआती पढ़ाई के दौरान ही वो कोर्स की किताबों से ज्यादा रामायण और गीता को पढ़ने में समय बिताया करती थीं. उसी दौरान छोटी सी उम्र में वो घर त्यागकर वैराग्य की ओर चल पड़ीं. जिसके बाद वो फतेहपुर के परमहंस दास जी महाराज के आश्रम में पहुंचकर उनकी शिष्या बन गईं. 13 साल पहले घर त्यागने वाली साध्वी राधा अब रामकथा के साथ ही भागवत कथा सुना रही है. रामायण गीता का ज्ञान बांटते हुए वो सनातन धर्म को मजबूत बनाने में जुट गई हैं. उनका कहना है कि वो सभी को राम कृष्ण की कथा सुनाकर सनातन धर्म की अलख जगा रही हैं.
महिला संतों की कथा में जुट रही है भीड़: वहीं, माघ मेला में महिला साधु संतों की कथा प्रवचन सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. मेले में महिला संतों की कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. मेले में कथा सुनने वाली महिला श्रद्धालुओं का कहना है कि साध्वी राधिका की कथा सुनना उनको बहुत भाता है. वो जिस शैली में कथा सुनाती हैं उससे कथा लगातार सुनते रहने का मन होता है. वो कथा के साथ ही धर्म और ज्ञान की बातें भी बहुत अच्छे ढंग से सुनाती व समझाती हैं. इसी के साथ श्रद्धालुओं का यह भी कहना है कि पहले जहां मेला क्षेत्र में ज्यादातर पुरुष संत महात्मा ही दिखते थे. वहीं, अब अन्य क्षेत्रों की तरह ही महिला संतों की संख्या माघ मेला में बढ़ रही है. महिला संतो के शिविर में बढ़ती भीड़ की वजह से महिला साधु संत भी उत्साहित दिखती हैं.
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