प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बजरंगबली को लेकर आपत्तिजनक बयान देने पर सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ परिवाद चलाने की अर्जी खारिज करने के विरुद्ध दाखिल याचिका को खारिज कर दीया है. कोर्ट ने याची पर पांच हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है. यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने दिया है. कोर्ट ने कहा कि, क्षेत्राधिकार न होने के आधार पर याची का परिवाद और निगरानी खारिज करने के आदेशों में अवैधानिकता नहीं है.
कोर्ट ने बीते मंगलवार को याची नवल किशोर शर्मा के अधिवक्ता मोहम्मद इफ्तेखार फारूकी और राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम एके संड को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया था.
मऊ जिले के नवल किशोर शर्मा ने याचिका में अधीनस्थ अदालतों के आदेशों को चुनौती दी है. राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और एजीए प्रथम एके संड ने याचिका का विरोध किया है. याचिका में कहा गया है कि, 28 नवंबर 2018 को राजस्थान में अलवर जिले के मालाखेड़ा में चुनावी सभा के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजरंगबली को लेकर जो भाषण दिया, उसे धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाला मानते हुए मऊ जिले में परिवाद दाखिल किया गया.
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इसे स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए ने 11 मार्च 2022 को क्षेत्राधिकार के आधार पर खारिज कर दिया. इस आदेश के विरुद्ध सेशन कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दाखिल हुआ. सेशन कोर्ट ने 26 अप्रैल 2022 को हस्तक्षेप से इनकार करते हुए उसे खारिज कर दिया है. इन दोनों आदेशों को चुनौती देते हुए यह याचिका दाखिल की गई. याचिका में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए, 298 ,419, 420 और 501 के तहत परिवाद दर्ज किए जाने का आदेश देने की मांग की गई है.
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