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तथ्य छुपा कर याचिका दाखिल करने वाला राहत पाने का अधिकारी नहींः हाईकोर्ट - Filing of petition dismissed by concealing facts

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अध्यापक की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि तथ्य छुपा कर याचिका दाखिल करने वाला राहत पाने का अधिकारी नहीं है.

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Published : Aug 11, 2023, 10:49 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट में तथ्य छिपाकर याचिका दाखिल करने वाला व्यक्ति किसी प्रकार की राहत पाने का अधिकारी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई न्यायिक निर्णयों में यह स्पष्ट किया है कि हाईकोर्ट में अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दाखिल करने वाले व्यक्ति को याचिका में सभी आवश्यक तथ्यों का खुलासा करना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर याची किसी प्रकार की राहत पाने का अधिकारी नहीं होगा. हाईकोर्ट ने प्रयागराज के बक्सी खुर्द दारागंज स्थित बाल कल्याण पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत सहायक अध्यापक अरुण कुमार मिश्रा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली सुनील कुमार श्रीवास्तव की याचिका खारिज कर दी है. सुनील की याचिका पर न्यायमूर्ति मंजू शुक्ला ने सुनवाई की.

याचिका में कहा गया था कि याची ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज से विद्यालय में कार्यरत सहायक अध्यापक अरुण कुमार मिश्रा की नियुक्ति को लेकर के शिकायत की थी. कहा गया कि अरुण कुमार मिश्रा की नियुक्ति फर्जी दस्तावेजों के आधार पर की गई है. इसलिए इसकी जांच कर कार्रवाई की जाए. याची का कहना था कि उसकी शिकायत पर बीएसए ने जांच तो शुरू की मगर अब तक जांच पूरी नहीं की गई है. याचिका में मांग की गई थी कि बीएसए को जांच पूरी कर कार्रवाई करने का आदेश दिया जाए.

इसके जवाब में विपक्षी अधिवक्ता का कहना था कि याची ने याचिका में एक महत्वपूर्ण तथ्य को जानबूझकर छुपाया है. वह तथ्य यह है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अरुण कुमार मिश्रा के खिलाफ जांच शुरू करने के साथ ही 6 फरवरी 2023 को आदेश पारित कर उसका वेतन रोक दिया था. बीएसए के इस आदेश को अरुण कुमार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. 4 अप्रैल 2023 को हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश के तहत अरुण कुमार का वेतन बहाल करने का आदेश दिया.

याची सुनील कुमार श्रीवास्तव को इस तथ्य की पूरी जानकारी है क्योंकि उसने स्वयं उस याचिका में पक्षकार बनने की अर्जी दी हुई है. हाईकोर्ट के आदेश से भलीभांति वाकिफ होने के बावजूद इस याचिका में उन्होंने इस तथ्य को छुपाया.कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि याची को हाई कोर्ट के 4 अप्रैल 2023 के आदेश की पूरी जानकारी थी. उसके बावजूद उसने इस याचिका में तथ्य को छुपाया. कोर्ट ने महत्वपूर्ण तथ्य छुपाए जाने के आधार पर सुनील कुमार श्रीवास्तव की याचिका खारिज कर दी है.

यह भी पढ़ें: विधान परिषद में शिक्षा मित्रों के मानदेय बढ़ाने सहित ये मुद्दे गूंजे, सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट में तथ्य छिपाकर याचिका दाखिल करने वाला व्यक्ति किसी प्रकार की राहत पाने का अधिकारी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई न्यायिक निर्णयों में यह स्पष्ट किया है कि हाईकोर्ट में अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दाखिल करने वाले व्यक्ति को याचिका में सभी आवश्यक तथ्यों का खुलासा करना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर याची किसी प्रकार की राहत पाने का अधिकारी नहीं होगा. हाईकोर्ट ने प्रयागराज के बक्सी खुर्द दारागंज स्थित बाल कल्याण पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत सहायक अध्यापक अरुण कुमार मिश्रा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली सुनील कुमार श्रीवास्तव की याचिका खारिज कर दी है. सुनील की याचिका पर न्यायमूर्ति मंजू शुक्ला ने सुनवाई की.

याचिका में कहा गया था कि याची ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज से विद्यालय में कार्यरत सहायक अध्यापक अरुण कुमार मिश्रा की नियुक्ति को लेकर के शिकायत की थी. कहा गया कि अरुण कुमार मिश्रा की नियुक्ति फर्जी दस्तावेजों के आधार पर की गई है. इसलिए इसकी जांच कर कार्रवाई की जाए. याची का कहना था कि उसकी शिकायत पर बीएसए ने जांच तो शुरू की मगर अब तक जांच पूरी नहीं की गई है. याचिका में मांग की गई थी कि बीएसए को जांच पूरी कर कार्रवाई करने का आदेश दिया जाए.

इसके जवाब में विपक्षी अधिवक्ता का कहना था कि याची ने याचिका में एक महत्वपूर्ण तथ्य को जानबूझकर छुपाया है. वह तथ्य यह है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अरुण कुमार मिश्रा के खिलाफ जांच शुरू करने के साथ ही 6 फरवरी 2023 को आदेश पारित कर उसका वेतन रोक दिया था. बीएसए के इस आदेश को अरुण कुमार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. 4 अप्रैल 2023 को हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश के तहत अरुण कुमार का वेतन बहाल करने का आदेश दिया.

याची सुनील कुमार श्रीवास्तव को इस तथ्य की पूरी जानकारी है क्योंकि उसने स्वयं उस याचिका में पक्षकार बनने की अर्जी दी हुई है. हाईकोर्ट के आदेश से भलीभांति वाकिफ होने के बावजूद इस याचिका में उन्होंने इस तथ्य को छुपाया.कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि याची को हाई कोर्ट के 4 अप्रैल 2023 के आदेश की पूरी जानकारी थी. उसके बावजूद उसने इस याचिका में तथ्य को छुपाया. कोर्ट ने महत्वपूर्ण तथ्य छुपाए जाने के आधार पर सुनील कुमार श्रीवास्तव की याचिका खारिज कर दी है.

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