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पुलिस भर्ती 2018 में चयनित अभ्यर्थी को 8 सप्ताह में सिविल पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति करने का निर्देश - सिविल पुलिस कांस्टेबल

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक केस में बरी पुलिस भर्ती 2018 में चयनित अभ्यर्थी को 8 सप्ताह में सिविल पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी (Justice Saurabh Shyam Shamsheri) ने वाराणसी के निवासी रंजीत यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट
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Published : Apr 26, 2022, 10:58 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक केस में बरी पुलिस भर्ती 2018 में चयनित अभ्यर्थी को 8 सप्ताह में सिविल पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि याची सुप्रीम कोर्ट के अवतार सिंह केस के फैसले का लाभ पाने का हकदार है. आपराधिक केस की जानकारी छिपाने के आधार पर नियुक्ति से इंकार करने के पुलिस अधीक्षक ग्रामीण वाराणसी के आदेश को रद्द कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी (Justice Saurabh Shyam Shamsheri) ने वाराणसी के निवासी रंजीत यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

इसे भी पढ़ेंः नियमित विभागीय कार्रवाई के बिना पुलिसकर्मियों का निलंबन सही नहीं : हाईकोर्ट

याचिका पर अधिवक्ता कमल सिंह यादव ने बहस की : इनका कहना था कि याची पुलिस भर्ती में चयनित किया गया किंतु अपराधिक केस लंबित रहने के कारण उसे नियुक्ति देने से इंकार कर दिया. चौबेपुर थाने में मारपीट गाली-गलौज का केस दर्ज था. याची का कहना था कि उसे केस की जानकारी नहीं थी और न तो पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया. न ही कोर्ट ने सम्मन जारी किया. इसलिए यह नहीं कह सकते कि उसने तथ्य छिपाया है.

कोर्ट ने याची और सह अभियुक्त को यह कहते हुए बरी कर दिया कि पुलिस अभियोग बिना संदेह के साबित करने में विफल रही. दूसरी तरफ पक्षकारों में समझौता भी हो गया था. याची ने अवतार सिंह केस के फैसले के आधार पर प्रत्यावेदन भी दिया था जिसे निरस्त कर दिया गया. इसे चुनौती दी गई थी.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक केस में बरी पुलिस भर्ती 2018 में चयनित अभ्यर्थी को 8 सप्ताह में सिविल पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि याची सुप्रीम कोर्ट के अवतार सिंह केस के फैसले का लाभ पाने का हकदार है. आपराधिक केस की जानकारी छिपाने के आधार पर नियुक्ति से इंकार करने के पुलिस अधीक्षक ग्रामीण वाराणसी के आदेश को रद्द कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी (Justice Saurabh Shyam Shamsheri) ने वाराणसी के निवासी रंजीत यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

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याचिका पर अधिवक्ता कमल सिंह यादव ने बहस की : इनका कहना था कि याची पुलिस भर्ती में चयनित किया गया किंतु अपराधिक केस लंबित रहने के कारण उसे नियुक्ति देने से इंकार कर दिया. चौबेपुर थाने में मारपीट गाली-गलौज का केस दर्ज था. याची का कहना था कि उसे केस की जानकारी नहीं थी और न तो पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया. न ही कोर्ट ने सम्मन जारी किया. इसलिए यह नहीं कह सकते कि उसने तथ्य छिपाया है.

कोर्ट ने याची और सह अभियुक्त को यह कहते हुए बरी कर दिया कि पुलिस अभियोग बिना संदेह के साबित करने में विफल रही. दूसरी तरफ पक्षकारों में समझौता भी हो गया था. याची ने अवतार सिंह केस के फैसले के आधार पर प्रत्यावेदन भी दिया था जिसे निरस्त कर दिया गया. इसे चुनौती दी गई थी.

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