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तबलीगी जमात के लोगों के खिलाफ आपराधिक केस की अर्जी में दोबारा सुनवाई नहीं : हाईकोर्ट

कोर्ट ने कहा कि याची को याचिका में अर्जी देने की बजाय सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर करनी चाहिए. कोर्ट ने निस्तारित हो चुकी याचिका में दाखिल सभी अर्जियों को खारिज कर दिया है.

तबलीगी जमात के लोगों के खिलाफ आपराधिक केस तय करने में हस्तक्षेप नहीं : हाईकोर्ट
तबलीगी जमात के लोगों के खिलाफ आपराधिक केस तय करने में हस्तक्षेप नहीं : हाईकोर्ट
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Published : May 31, 2021, 6:22 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तबलीगी जमात के लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकद्दमों के निस्तारण के सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के निर्देशों की अवहेलना को लेकर कोर्ट में दाखिल अर्जियों की सुनवाई के बाद दोबारा इस संदर्भ में दायर अर्जी पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि याची को याचिका में अर्जी देने की बजाय सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर करनी चाहिए. कोर्ट ने निस्तारित हो चुकी याचिका में दाखिल सभी अर्जियों को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने पहले ही केस के निस्तारण के संबंध में आदेश जारी कर दिया था.

यह भी पढ़ें : कच्ची शराब बनाने वालों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन न होने की कही गया थी बात

यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने मौलाना अदा हदर्मी व अन्य की याचिका पर दाखिल अर्जियों की सुनवाई करते हुए दिया. याचियों का कहना था कि मेरठ व बरेली की अदालत हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं कर रहीं हैं.

8 हफ्तों में केस निस्तारित करने की मांग

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि प्रदेश की विभिन्न अदालतों में तबलीगी जमात के लोगों के खिलाफ चल रहे आपराधिक केस लखनऊ, मेरठ व बरेली की अदालतों में स्थानांतरित किए जाएं. 8 हफ्तों में उनका निस्तारण किया जाय. याची का कहना है कि अदालतें निर्देश का पालन नहीं कर रही हैं. मालूम हो कि कोविड-19 संक्रमण के चलते प्रदेश की अदालतें सीमित क्षमता के साथ जरूरी मामलों की वर्चुअल सुनवाई कर रही है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तबलीगी जमात के लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकद्दमों के निस्तारण के सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के निर्देशों की अवहेलना को लेकर कोर्ट में दाखिल अर्जियों की सुनवाई के बाद दोबारा इस संदर्भ में दायर अर्जी पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि याची को याचिका में अर्जी देने की बजाय सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर करनी चाहिए. कोर्ट ने निस्तारित हो चुकी याचिका में दाखिल सभी अर्जियों को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने पहले ही केस के निस्तारण के संबंध में आदेश जारी कर दिया था.

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सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन न होने की कही गया थी बात

यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने मौलाना अदा हदर्मी व अन्य की याचिका पर दाखिल अर्जियों की सुनवाई करते हुए दिया. याचियों का कहना था कि मेरठ व बरेली की अदालत हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं कर रहीं हैं.

8 हफ्तों में केस निस्तारित करने की मांग

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि प्रदेश की विभिन्न अदालतों में तबलीगी जमात के लोगों के खिलाफ चल रहे आपराधिक केस लखनऊ, मेरठ व बरेली की अदालतों में स्थानांतरित किए जाएं. 8 हफ्तों में उनका निस्तारण किया जाय. याची का कहना है कि अदालतें निर्देश का पालन नहीं कर रही हैं. मालूम हो कि कोविड-19 संक्रमण के चलते प्रदेश की अदालतें सीमित क्षमता के साथ जरूरी मामलों की वर्चुअल सुनवाई कर रही है.

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