प्रयागराजः पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव रवींद्र पुरी ने संकेत दिया है कि मठ बाघम्बरी गद्दी के अगले महंत के रूप में बलवीर गिरि का पट्टाभिषेक किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि महंत नरेंद्र गिरि की जो आखिरी वसीयत है वह सही पाए जाने पर वसीयत के मुताबिक बलवीर गिरी को गद्दी सौंपी जा सकती है. हालांकि गद्दी सौंपने से पहले अखाड़े की एक बैठक होगी. जिसके बाद फैसला लिया जाएगा. वैसे उन्होंने यह भी कहा कि मठ की परंपरा के अनुसार वसीयत के मुताबिक मठ की कमान उत्तराधिकरी को दी जा सकती है.
महंत नरेंद्र गिरी के सुसाइड नोट और वसीयत को देखते हुए बलवीर गिरी का पट्टाभिषेक करने का फैसला लिया जा सकता है. श्री निरंजनी के सचिव रवींद्र पुरी ने साफ कहाकि गद्दी को लेकर कोई विवाद नहीं है, न ही मठ बाघम्बरी गद्दी के पास हजार करोड़ की संपत्ति है. उनके मूताबिक बाघम्बरी मठ की जमीन और लेटे हनुमान मंदिर के अलावा ग्रामीण इलाके में 25 बीघा जमीन है. अब इस मठ की जिम्मेदारी जिसे सौंपी जाएगी उसे मठ की प्रॉपर्टी न बेचने की हिदायत पहले से ही दे दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा मठाधीश के पास बात का अधिकार होता है कि वो संपत्ति बेंच और खरीद सकता है, लेकिन अब गद्दी सौंपने के साथ यह शर्त रखी जायेगी की वो मठ की जमीन को बेचेंगे नहीं. मठ की कमान किसको सौंपनी है इसको लेकर जल्द ही निरंजनी अखाड़े की एक बैठक होगी जिसमें वसीयत आदि मसलों पर चर्चा करके उत्तराधिकरी किसको बनाना है ये तय किया जाएगा. उसके बाद महन्त नरेंद्र गिरी की षोडशी के बाद पट्टाभिषेक कब और किसका करना है इसकी तारीख घोषित की जाएगी.
उन्होंने बताया कि अभी मठ बाघम्बरी गद्दी का संचालन निरंजनी अखाड़ा के पदाधिकारियों के द्वारा ही किया जा रहा है. मठ के संचालन की व्यवस्था पहले जैसी ही चल रही थी जो जिस काम को कर रहा था वो उसी कार्य को कर रहा है. किसी के काम मे कोई बदलाव अभी तक नहीं किया गया है.
उत्तराधिकरी नहीं बचेगा मठ की संपत्ति
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव रवींद्र पुरी ने कहा कि मठ का उत्तराधिकारी वसीयत और सुसाइड नोट के अनुसार ही बनाने पर विचार किया जा रहा है. हालांकि अभी यह तय नहीं है कि मठ की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाएगी, लेकिन जैसी महंत नरेंद्र गिरि की इच्छा थी उसी के अनुरूप मठ का उत्तराधिकारी घोषित होगा. जिसके लिए निरंजनी अखाड़ा बैठक करके जल्द ही फैसला ले सकता है. इस बार मठाधीश बनने वाले को यह विश्वास दिलाना होगा कि वह मठ की संपत्तियों को अब बेचेगा नहीं तभी उसे मठ की कमान सौंपी जाएगी.
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