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HC में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की 3 नवंबर को अगली सुनवाई, वाराणसी जिला जज ने भेजा रिकार्ड

ज्ञानवापी परिसर वाराणसी स्थित श्रृंगार गौरी में नियमित पूजा के अधिकार को लेकर वाराणसी की जिला अदालत के फैसले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल मुस्लिम पक्ष की निगरानी याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए तीन नवंबर की तारीख लगाई है.

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ज्ञानवापी केस श्रृंगार गौरी मामला
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Published : Oct 21, 2022, 7:34 PM IST

प्रयागराजः ज्ञानवापी परिसर वाराणसी स्थित श्रृंगार गौरी में नियमित पूजा के अधिकार को लेकर वाराणसी की जिला अदालत के फैसले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल मुस्लिम पक्ष की निगरानी याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए तीन नवंबर की तारीख तय की है.

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने दिया है. शुक्रवार को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी, राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी व सीएससी बिपिन बिहारी पांडेय, काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से विनीत संकल्प व अन्य अधिवक्ता उपस्थित रहे. कोर्ट के आदेश पर अधीनस्थ अदालत की पत्रावली की छायाप्रति दाखिल की गई.

निगरानी में हिंदू महिलाओं द्वारा दाखिल सिविल वाद की ग्राह्यता पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति निरस्त करने के जिला जज के आदेश को चुनौती दी गई है. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की निगरानी याचिका पर जिला जज ने रिकार्ड प्रस्तुत किया था. प्रस्तुत रिकार्ड पूर्ण नहीं था, इस कारण कोर्ट ने जिला जज वाराणसी को पूरे रिकार्ड सत्यापित फोटोकॉपी पेश करने का निर्देश दिया था. शुक्रवार को पूरे रिकार्ड की छायाप्रति पेश की गई.

गौरतलब है कि दिल्ली की राखी सिंह व अन्य महिलाओं ने जिला जज वाराणसी की अदालत में वाद दाखिल कर ज्ञानवापी परिसर के बाहरी हिस्से में स्थित श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना किए जाने की मांग की है. मुस्लिम पक्ष की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन ए इंतजामिया कमेटी ने हिंदू महिलाओं के वाद पर आपत्ति की. कहा कि यह वाद सीपीसी के आदेश सात नियम 11 के तहत सुनवाई लायक नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए.

मुस्लिम पक्ष की आपत्ति पर लंबी सुनवाई के बाद जिला जज ने बीते अगस्त माह में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. गत 12 सितंबर को जिला जज एके विश्वेश ने अपना फैसला सुनाया और मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज करते हुए राखी सिंह केस को चलते रहने की इजाजत दी थी. उसके बाद मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में निगरानी याचिका दाखिल कर एक बार फिर कहा है कि 1991 के प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट के तहत इस मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती है. याचिका में हाईकोर्ट का फैसला आने तक वाराणसी की अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने की भी मांग की गई है.

ये भी पढ़ेंः ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामलाः कोर्ट ने वादी बनने की याचिकाएं की खारिज, मुस्लिम पक्ष पर लगाया जुर्माना

प्रयागराजः ज्ञानवापी परिसर वाराणसी स्थित श्रृंगार गौरी में नियमित पूजा के अधिकार को लेकर वाराणसी की जिला अदालत के फैसले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल मुस्लिम पक्ष की निगरानी याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए तीन नवंबर की तारीख तय की है.

यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने दिया है. शुक्रवार को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी, राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी व सीएससी बिपिन बिहारी पांडेय, काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से विनीत संकल्प व अन्य अधिवक्ता उपस्थित रहे. कोर्ट के आदेश पर अधीनस्थ अदालत की पत्रावली की छायाप्रति दाखिल की गई.

निगरानी में हिंदू महिलाओं द्वारा दाखिल सिविल वाद की ग्राह्यता पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति निरस्त करने के जिला जज के आदेश को चुनौती दी गई है. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की निगरानी याचिका पर जिला जज ने रिकार्ड प्रस्तुत किया था. प्रस्तुत रिकार्ड पूर्ण नहीं था, इस कारण कोर्ट ने जिला जज वाराणसी को पूरे रिकार्ड सत्यापित फोटोकॉपी पेश करने का निर्देश दिया था. शुक्रवार को पूरे रिकार्ड की छायाप्रति पेश की गई.

गौरतलब है कि दिल्ली की राखी सिंह व अन्य महिलाओं ने जिला जज वाराणसी की अदालत में वाद दाखिल कर ज्ञानवापी परिसर के बाहरी हिस्से में स्थित श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना किए जाने की मांग की है. मुस्लिम पक्ष की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन ए इंतजामिया कमेटी ने हिंदू महिलाओं के वाद पर आपत्ति की. कहा कि यह वाद सीपीसी के आदेश सात नियम 11 के तहत सुनवाई लायक नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए.

मुस्लिम पक्ष की आपत्ति पर लंबी सुनवाई के बाद जिला जज ने बीते अगस्त माह में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. गत 12 सितंबर को जिला जज एके विश्वेश ने अपना फैसला सुनाया और मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज करते हुए राखी सिंह केस को चलते रहने की इजाजत दी थी. उसके बाद मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में निगरानी याचिका दाखिल कर एक बार फिर कहा है कि 1991 के प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट के तहत इस मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती है. याचिका में हाईकोर्ट का फैसला आने तक वाराणसी की अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने की भी मांग की गई है.

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