प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट के जारी नए दिशा निर्देशों से मुंशी (एडवोकेट क्लर्क) तबका नाराज है. हाईकोर्ट प्रशासन ने सोमवार से ही अदालत परिसर में मुंशियों और वादकारियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. वकीलों के प्रवेश पर भी रोक लगाई गई थी. जिसके बाद वकीलों के तगड़े विरोध को देखते हुए मंगलवार से उनको प्रवेश की अनुमति दे दी गई, लेकिन मुंशियों को प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई है.
इसके विरोध में हाईकोर्ट के कई मुंशियों ने मंगलवार को कोर्ट के गेट संख्या तीन के सामने धरना दिया. उन्होंने सभाकर मुंशियों का प्रवेश रोके जाने का विरोध किया है. मुंशियों का कहना है कि वो हाईकोर्ट के रजिस्टर्ड मुंशी हैं और परीक्षा पास कर पंजीकृत हुए हैं. अगर वकीलों को परिसर में प्रवेश की अनुमति है तो उनको क्यों नहीं.
मुंशियों का प्रवेश रोके जाने से वकीलों को भी खासी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि मुकदमों के दाखिले से लेकर वकील की फाइलें कोर्ट रूम तक पहुंचाने और लाने सहित अधिवक्ता के कार्यालय के सभी काम मुंशी ही करते हैं. इनका प्रवेश रोके जाने से मुकदमों के दाखिले से लेकर अन्य सभी काम प्रभावित हो रहे हैं. मुंशियों की आमदनी भी इसी पर निर्भर होती है. इसलिए उनको अार्थिक नुकसान भी हो रहा है.
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गौरतलब है कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए हाईकोर्ट प्रशासन ने तीन जनवरी से नई गाइड लाइन जारी करते हुए मुकदमों की सुनवाई सिर्फ वर्चुअल मोड में करने का निर्णय लिया था. इसका वकीलों ने घोर विरोध किया. वकीलों का कहना था कि हाईकोर्ट बार को विश्वास में लिए बिना जल्दबाजी में निर्णय लिया गया है. इससे मुकदमों की सुनवाई प्रभावित होगी.
विरोध को देखते हुए हाईकोर्ट प्रशासन ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए हाईब्रिड मोड में मुकदमों की सुनवाई का निर्णय लिया. मंगलवार से परिसर में वकीलों को प्रवेश की अनुमति दे दी. मुंशियों को प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई. जिसका मुंशी विरोध कर रहे हैं.