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कोरोना का असर, हाईकोर्ट में 10 लाख से ज्यादा मुकदमे लंबित

कोरोना संक्रमण काल में काफी संख्या में निस्तारण के बावजूद इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन मुकदमों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. मुकदमों की संख्या बढ़ते हुए एक मार्च को 10 लाख 4 हजार 572 हो चुकी है.

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Published : Apr 6, 2021, 6:15 PM IST

Updated : Apr 6, 2021, 6:30 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

प्रयागराज: कोरोना संक्रमण काल में काफी संख्या में निस्तारण के बावजूद इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन मुकदमों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. 2017 से पहले जहां विचाराधीन मुकदमों की संख्या में लगातार कमी आ रही थी. वहीं, 2018 से ही लंबित मुकदमों की संख्या में बढ़ोत्तरी की शुरुआत हो चुकी थी, जो कोरोना काल में तेजी से बढ़ते हुए एक मार्च को 10 लाख 4 हजार 572 हो चुकी है. जिस ढंग से अदालती कामकाज प्रभावित हो रहा है, इससे विचाराधीन मुकदमों में बढ़ोत्तरी के आसार हैं.

हाईकोर्ट में हजारों याचिकाएं पेंडिंग

हाईकोर्ट की वेबसाइट के अनुसार 1 जनवरी 2017 को 916043 मुकदमे लंबित थे, जो 1 जनवरी 2018 को 7222 घटकर 908821 हो गए. इसके बाद विचाराधीन मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. 1 जनवरी 2019 में मुकदमों की संख्या 30654 बढ़कर 935475 हो गई और 1 जनवरी 2020 को 5182 की बढ़ोत्तरी के साथ 944657 हो गई. इसके बाद कोरोना संक्रमण के कारण विचाराधीन मुकदमों की संख्या में 48374 की बढ़ोत्तरी के साथ संख्या 993031 हो गई, जो अगले तीन माह 1 मार्च 2021 को 10,04,572 हो चुकी है. इसके अलावा हजारों याचिकाओं का कार्यालय में अंबार लगा है, जिन्हें अभी पंजीकृत किया जाना है. विचाराधीन मुकदमों की संख्या में बढ़ोत्तरी का आलम तब यह है जब दाखिले के समय ही कोर्ट द्वारा दाखिले के आधे से अधिक मुकदमे तत्काल निस्तारित कर दिए जा रहे हैं.

पढ़ें: भारत के अगले चीफ जस्टिस होंगे न्यायमूर्ति एनवी रमना

हाईकोर्ट के सामने 10 लाख मुकदमों की चुनौती

हाईकोर्ट के समक्ष 10 लाख से अधिक मुकदमों के बोझ से निपटने की बड़ी चुनौती है. वहीं, नियुक्ति प्रक्रिया धीमी होने के कारण जजों की कमी इनसे निपटने में बाधक बन रही है. वर्तमान समय में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 160 जजों में से 103 जज कार्यरत हैं. 57 पद खाली हैं. हालांकि, हाईकोर्ट कोलेजियम ने 31 वकीलों के नाम जज नियुक्ति के लिए सरकार को भेजे हैं. जिन्हें जांच पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की संस्तुति के लिए रखा जाना है. जजों की कमी के कारण विचाराधीन मुकदमों की बढ़ोत्तरी चुनौती बनती जा रही है.

प्रयागराज: कोरोना संक्रमण काल में काफी संख्या में निस्तारण के बावजूद इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन मुकदमों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. 2017 से पहले जहां विचाराधीन मुकदमों की संख्या में लगातार कमी आ रही थी. वहीं, 2018 से ही लंबित मुकदमों की संख्या में बढ़ोत्तरी की शुरुआत हो चुकी थी, जो कोरोना काल में तेजी से बढ़ते हुए एक मार्च को 10 लाख 4 हजार 572 हो चुकी है. जिस ढंग से अदालती कामकाज प्रभावित हो रहा है, इससे विचाराधीन मुकदमों में बढ़ोत्तरी के आसार हैं.

हाईकोर्ट में हजारों याचिकाएं पेंडिंग

हाईकोर्ट की वेबसाइट के अनुसार 1 जनवरी 2017 को 916043 मुकदमे लंबित थे, जो 1 जनवरी 2018 को 7222 घटकर 908821 हो गए. इसके बाद विचाराधीन मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. 1 जनवरी 2019 में मुकदमों की संख्या 30654 बढ़कर 935475 हो गई और 1 जनवरी 2020 को 5182 की बढ़ोत्तरी के साथ 944657 हो गई. इसके बाद कोरोना संक्रमण के कारण विचाराधीन मुकदमों की संख्या में 48374 की बढ़ोत्तरी के साथ संख्या 993031 हो गई, जो अगले तीन माह 1 मार्च 2021 को 10,04,572 हो चुकी है. इसके अलावा हजारों याचिकाओं का कार्यालय में अंबार लगा है, जिन्हें अभी पंजीकृत किया जाना है. विचाराधीन मुकदमों की संख्या में बढ़ोत्तरी का आलम तब यह है जब दाखिले के समय ही कोर्ट द्वारा दाखिले के आधे से अधिक मुकदमे तत्काल निस्तारित कर दिए जा रहे हैं.

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हाईकोर्ट के सामने 10 लाख मुकदमों की चुनौती

हाईकोर्ट के समक्ष 10 लाख से अधिक मुकदमों के बोझ से निपटने की बड़ी चुनौती है. वहीं, नियुक्ति प्रक्रिया धीमी होने के कारण जजों की कमी इनसे निपटने में बाधक बन रही है. वर्तमान समय में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 160 जजों में से 103 जज कार्यरत हैं. 57 पद खाली हैं. हालांकि, हाईकोर्ट कोलेजियम ने 31 वकीलों के नाम जज नियुक्ति के लिए सरकार को भेजे हैं. जिन्हें जांच पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की संस्तुति के लिए रखा जाना है. जजों की कमी के कारण विचाराधीन मुकदमों की बढ़ोत्तरी चुनौती बनती जा रही है.

Last Updated : Apr 6, 2021, 6:30 PM IST
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