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नहीं मिल रही सरकार की मदद, ईंट भट्ठे पर काम करने को मजबूर प्रवासी

यूपी के प्रयागराज मंडल में घर वापस आए प्रवासियों के हालात कुछ ठीक नहीं हैं. घर आने के बाद यहां काम न मिल पाने के चलते इन लोगों के घर का खर्च नहीं चल पा रहा है. इस कारण इन प्रवासियों ने ईंट-भट्ठों का रुख किया है. इनकी मानें तो यहां उन्हें मनरेगा से ज्यादा रुपये मिल जाते हैं. ऐसे में मनरेगा में काम करने से कोई फायदा नहीं है.

प्रवासियों के हालात खराब.
प्रवासियों के हालात खराब.
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Published : Jun 21, 2020, 6:13 PM IST

प्रयागराज: संगमनगरी प्रयागराज में बाहर से आए प्रवासी मजदूरों का बुरा हाल है. घर लौटे इन मजदूरों के सामने घर का खर्च चलाना चुनौती साबित हो रहा है. इन प्रवासी मजदूरों को जब मनरेगा में काम नहीं मिला तो, वे घर खर्च पूरा करने के लिए ईंट-भट्ठों पर काम करने को मजबूर हो गए. परिवार के साथ काम करने वाले मजदूर भट्ठों पर बिना किसी सुरक्षा जैसे मास्क के तपती धूप में मेहनत करते नजर आ रहे हैं. इससे इनके कोरोना से संक्रमित होने का भी खतरा है. वहीं दूसरी ओर श्रम विभाग अधिकारियों का दावा है कि सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों को राहत राशि के साथ जनपद में काम भी दिया जा रहा है. हकीकत यह है कि सरकारी फाइलों में मजदूरों का नाम दर्ज तो है लेकिन धरातल काम दिख ही नहीं रहा है.

प्रवासियों के हालात खराब.

मनरेगा में नहीं मिला काम तो पहुंचे ईंट भट्टे पर
प्रवासी मजदूर रमेश ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि लॉकडाउन की वजह से बाहर काम नहीं रह गया था. ऐसे में हम मुंबई से अपने घर वापस आ गए हैं. यहां आने के बाद घर खर्च चलाने के लिए जब मनरेगा में काम करने के लिए गया तो वहां काम ही नहीं मिला. वहीं मनरेगा में दिनभर काम करने पर 201 रुपये ही मिलते हैं, जबकि ईंट-भट्ठे पर दिन भर में 500 रुपये की कमाई हो जाती है. मनरेगा में काम के लिए चक्कर लगाने से बेहतर है कि ईंट-भट्ठे पर दिहाड़ी मजदूरी कर ली जाए.

मनरेगा की मजदूरी से नहीं चलता परिवार का खर्च
ईंट भट्ठे पर काम करने वाले एक अन्य मजदूर अमर सिंह ने बताया कि सरकार की योजना के तहत मनरेगा में हर किसी को काम नहीं मिलता है. वहीं अगर काम मिल भी जाए तो दिनभर में काम करने के बाद 201 रुपये ही मिलते हैं, लेकिन इतने पैसे में परिवार का खर्च पूरा नहीं होता है. ईंट भट्ठे पर काम करके दिनभर में 500 रुपये तक मिल जाते हैं. अमर सिंह ने बताया कि उसके परिवार में कुल 10 लोग हैं. परिवार का खर्च चलाने के लिए वह अकेला कमाता है. अमर सिंह की मानें तो ऐसी स्थिति में मनरेगा में काम करने से कोई फायदा नहीं है.

भारत के विभिन्न राज्यों से वापस आए प्रवासी श्रमिक
प्रयागराज मंडल में भारत के विभिन्न राज्यों से प्रवासी श्रमिक वापस आए हैं. प्रयागराज मंडल के चारों जिलों में महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, कर्नाटक, केरल, मुंबई आदि तमाम जगहों पर लोग काम करते थे. इन सभी लोगों ने घर वापसी की है. इसके साथ ही यूपी के कई जिलों काम करने वाले भी श्रमिक भी वापस पहुंचे हैं. इन सभी मजदूरों को सरकार के नियमों अनुसार पहले क्वारन्टीन कराया गया, जिसके बाद ही इन्हें कहीं काम करने की अनुमति दी गई है.

मंडल में दो लाख से ज्यादा की घर वापसी
श्रम विभाग के उपायुक्त राकेश द्विवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि पूरे प्रयागराज मंडल में कुल 2 लाख 14 हजार 274 प्रवासी मजदूर रजिस्टर्ड किए गए हैं. इन मजदूरों में सबसे अधिक प्रयागराज की संख्या है. संगमनगरी में कुल 1 लाख 44 हजार 250 लोग अपने घर वापस आए हैं. कौशाम्बी में वापस आये प्रवासी मजदूरों की संख्या 22 हजार 345 है. वहीं प्रतापगढ़ में कुल 23 हजार 527 मजदूर वापस आए हैं. फतेहपुर में वापस आए प्रवासी मजदूरों की संख्या 24 हजार 152 है.

सरकारी योजनाओं का दिया जा रहा है लाभ
इस विषय पर जब प्रयागराज मंडल के उपायुक्त राकेश द्विवेदी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा जितनी भी योजनाएं चलाई गईं, उसका लाभ श्रमिकों को मिला है. बाहर से आए रजिस्टर्ड प्रवासी श्रमिकों को सरकार द्वारा 1000 रुपये की सहायता राशि की दोनों किस्तें दे दी गई हैं. पहली किस्त में प्रयागराज मंडल में कुल 1 लाख 14 हजार 321 लोगों के खाते में ऑनलाइन तकनीक के माध्यम से सीधे सहायता राशि दी गई है. वहीं दूसरी किस्त में कुल 1 लाख 14 हजार 186 लोगों को सहायता राशि प्रदान की गई है. इसके साथ ही सरकार की अन्य योजनाओं के तहत भी श्रमिकों लाभ देने के लिए टीमें गठित की गई हैं. साथ ही लोगों को काम भी दिया जा रहा है.

मनरेगा में सक्रिय जॉब कार्ड धारक
श्रम रोजगार डीसी कपिल कुमार से जब मनरेगा जॉब कार्ड धारकों को लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रयागराज जिले में कुल 2.11 लाख मजदूर मनरेगा के तहत जॉब कार्ड धारक है. ये मजदूर ब्लॉक स्तर पर प्रतिदिन काम कर रहे हैं. जनपद के कुल 23 ब्लॉकों में रोजाना मजदूर मनरेगा के तहत काम करके भुगतान प्राप्त कर रहे हैं. एक मजदूर को मनरेगा में काम करने पर 201 रुपये का भुगतान सरकार द्वारा किया जा रहा है. वहींं जिले में कुल 1 लाख 27 हजार 568 मजदूर मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं.

सरकार की तमाम योजनाओं के बाद भी प्रवासी मजदूरों को उनका फायदा नहीं मिल पा रहा है. यहां कागज पर तो इन्हें रोजगार दिया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कहीं जुदा नजर आ रही है.

प्रयागराज: संगमनगरी प्रयागराज में बाहर से आए प्रवासी मजदूरों का बुरा हाल है. घर लौटे इन मजदूरों के सामने घर का खर्च चलाना चुनौती साबित हो रहा है. इन प्रवासी मजदूरों को जब मनरेगा में काम नहीं मिला तो, वे घर खर्च पूरा करने के लिए ईंट-भट्ठों पर काम करने को मजबूर हो गए. परिवार के साथ काम करने वाले मजदूर भट्ठों पर बिना किसी सुरक्षा जैसे मास्क के तपती धूप में मेहनत करते नजर आ रहे हैं. इससे इनके कोरोना से संक्रमित होने का भी खतरा है. वहीं दूसरी ओर श्रम विभाग अधिकारियों का दावा है कि सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों को राहत राशि के साथ जनपद में काम भी दिया जा रहा है. हकीकत यह है कि सरकारी फाइलों में मजदूरों का नाम दर्ज तो है लेकिन धरातल काम दिख ही नहीं रहा है.

प्रवासियों के हालात खराब.

मनरेगा में नहीं मिला काम तो पहुंचे ईंट भट्टे पर
प्रवासी मजदूर रमेश ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि लॉकडाउन की वजह से बाहर काम नहीं रह गया था. ऐसे में हम मुंबई से अपने घर वापस आ गए हैं. यहां आने के बाद घर खर्च चलाने के लिए जब मनरेगा में काम करने के लिए गया तो वहां काम ही नहीं मिला. वहीं मनरेगा में दिनभर काम करने पर 201 रुपये ही मिलते हैं, जबकि ईंट-भट्ठे पर दिन भर में 500 रुपये की कमाई हो जाती है. मनरेगा में काम के लिए चक्कर लगाने से बेहतर है कि ईंट-भट्ठे पर दिहाड़ी मजदूरी कर ली जाए.

मनरेगा की मजदूरी से नहीं चलता परिवार का खर्च
ईंट भट्ठे पर काम करने वाले एक अन्य मजदूर अमर सिंह ने बताया कि सरकार की योजना के तहत मनरेगा में हर किसी को काम नहीं मिलता है. वहीं अगर काम मिल भी जाए तो दिनभर में काम करने के बाद 201 रुपये ही मिलते हैं, लेकिन इतने पैसे में परिवार का खर्च पूरा नहीं होता है. ईंट भट्ठे पर काम करके दिनभर में 500 रुपये तक मिल जाते हैं. अमर सिंह ने बताया कि उसके परिवार में कुल 10 लोग हैं. परिवार का खर्च चलाने के लिए वह अकेला कमाता है. अमर सिंह की मानें तो ऐसी स्थिति में मनरेगा में काम करने से कोई फायदा नहीं है.

भारत के विभिन्न राज्यों से वापस आए प्रवासी श्रमिक
प्रयागराज मंडल में भारत के विभिन्न राज्यों से प्रवासी श्रमिक वापस आए हैं. प्रयागराज मंडल के चारों जिलों में महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, कर्नाटक, केरल, मुंबई आदि तमाम जगहों पर लोग काम करते थे. इन सभी लोगों ने घर वापसी की है. इसके साथ ही यूपी के कई जिलों काम करने वाले भी श्रमिक भी वापस पहुंचे हैं. इन सभी मजदूरों को सरकार के नियमों अनुसार पहले क्वारन्टीन कराया गया, जिसके बाद ही इन्हें कहीं काम करने की अनुमति दी गई है.

मंडल में दो लाख से ज्यादा की घर वापसी
श्रम विभाग के उपायुक्त राकेश द्विवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि पूरे प्रयागराज मंडल में कुल 2 लाख 14 हजार 274 प्रवासी मजदूर रजिस्टर्ड किए गए हैं. इन मजदूरों में सबसे अधिक प्रयागराज की संख्या है. संगमनगरी में कुल 1 लाख 44 हजार 250 लोग अपने घर वापस आए हैं. कौशाम्बी में वापस आये प्रवासी मजदूरों की संख्या 22 हजार 345 है. वहीं प्रतापगढ़ में कुल 23 हजार 527 मजदूर वापस आए हैं. फतेहपुर में वापस आए प्रवासी मजदूरों की संख्या 24 हजार 152 है.

सरकारी योजनाओं का दिया जा रहा है लाभ
इस विषय पर जब प्रयागराज मंडल के उपायुक्त राकेश द्विवेदी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा जितनी भी योजनाएं चलाई गईं, उसका लाभ श्रमिकों को मिला है. बाहर से आए रजिस्टर्ड प्रवासी श्रमिकों को सरकार द्वारा 1000 रुपये की सहायता राशि की दोनों किस्तें दे दी गई हैं. पहली किस्त में प्रयागराज मंडल में कुल 1 लाख 14 हजार 321 लोगों के खाते में ऑनलाइन तकनीक के माध्यम से सीधे सहायता राशि दी गई है. वहीं दूसरी किस्त में कुल 1 लाख 14 हजार 186 लोगों को सहायता राशि प्रदान की गई है. इसके साथ ही सरकार की अन्य योजनाओं के तहत भी श्रमिकों लाभ देने के लिए टीमें गठित की गई हैं. साथ ही लोगों को काम भी दिया जा रहा है.

मनरेगा में सक्रिय जॉब कार्ड धारक
श्रम रोजगार डीसी कपिल कुमार से जब मनरेगा जॉब कार्ड धारकों को लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रयागराज जिले में कुल 2.11 लाख मजदूर मनरेगा के तहत जॉब कार्ड धारक है. ये मजदूर ब्लॉक स्तर पर प्रतिदिन काम कर रहे हैं. जनपद के कुल 23 ब्लॉकों में रोजाना मजदूर मनरेगा के तहत काम करके भुगतान प्राप्त कर रहे हैं. एक मजदूर को मनरेगा में काम करने पर 201 रुपये का भुगतान सरकार द्वारा किया जा रहा है. वहींं जिले में कुल 1 लाख 27 हजार 568 मजदूर मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं.

सरकार की तमाम योजनाओं के बाद भी प्रवासी मजदूरों को उनका फायदा नहीं मिल पा रहा है. यहां कागज पर तो इन्हें रोजगार दिया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कहीं जुदा नजर आ रही है.

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