प्रयागराज: मकर संक्रांति के अवसर पर लोगों ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई. साथ ही लोगों ने तिल और खिचड़ी का दान किया. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि तिल और खिचड़ी का सेवन पौराणिक मान्यता है. साथ ही कई लोगों ने आज के दिन पिंडदान भी किया.
खिचड़ी बनाने और खाने की खास महत्ता
जब स्वास्थ्य गड़बड़ होता है तो डॉक्टर भी खिचड़ी के सेवन की बात कहते हैं. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और खाने की खास महत्ता है. ऐसी मान्यता है कि इस मौके पर चावल, काली दाल, नमक, हल्दी, मटर और सब्जियां से खासतौर से खिचड़ी बनाई जाती है.
आज के दिन खानी चाहिए खिचड़ी
चावल को चंद्रमा का प्रतीक और काली दाल को शनि का प्रतीक माना जाता है. इस दिन खिचड़ी खाने से राशि में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है. यहां संगम पर तीर्थ पुरोहितों की माने तो माघ मकर गति रवि जब होई तीरथ पतित आओ सब कोई इसका मतलब है कि प्रयाग में इसी दिन सारे देवता एकत्र होते हैं और सभी को आशीर्वाद देते हैं.
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संगम के तट पर हुआ खिचड़ी का दान
सूर्य की गति तेज हो जाएगी और देवताओं का दिन शुरू हो जाएगा. बुधवार से सभी शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे. खिचड़ी खाना और खिचड़ी का दान करना दोनों ही लाभदायक है. तिल खाना और तिल का दान करना दोनों का आपस में सामंजस्य है. बुधवार को संगम क्षेत्र में लोगों ने खिचड़ी और तिल का दान किया.
आज के दिन मिलता है पितरों को मोक्ष
जहां एक और सुबह से ही संगम घाट पर श्रद्धालुओं का आने का सिलसिला जारी रहा है. वहीं लोगों ने आस्था की डुबकी संगम पर लगाई और कुछ लोगों ने अपने पितरों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान किया. तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि इस दिन प्रथम सूर्य मकर राशि पर आता है, तो इस दिन पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
जब सूर्य मकर राशि पर आता है तो उनकी गति उत्तरायण हो जाती है, जिस तरह से तुलसीदास ने कहा है कि माघ मकर गति जब कोई तीरथ पतित आओ सब कोई इस आशय के साथ लोग आज के दिन अपने पितरों का श्राद्ध और स्नान करते हैं.
-रतन मिश्रा, तीर्थ पुरोहित