प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर के सलारपुर गांव की रद्द भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए वहां के जिला प्रशासन को राजस्व रिकॉर्ड से नोएडा का नाम हटाने करने का निर्देश दिया है. अथॉरिटी का नाम जमीन के रिकॉर्ड से हटाकर किसानों का नाम दर्ज करने का आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश ने राजेंद्र सिंह व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को गैर कानूनी करार देते हुए रद्द कर दिया था. किसानों ने याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट को बताया कि नोएडा और जिला प्रशासन आदेश पर अमल नहीं कर रहे हैं.
अधिवक्ता पंकज दुबे के अनुसार अधिग्रहण रद्द होने के बाद किसानों ने गौतम बुद्ध नगर के अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) को प्रार्थना पत्र देकर राजस्व रिकॉर्ड से नोएडा का नाम हटाने की मांग की. अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) ने गत चार मार्च 2023 के आदेश से नोएडा के स्थान पर किसानों का नाम दर्ज करने की अर्जी को अस्वीकार कर दिया. एडीएम (भूमि अध्याप्ति) ने आदेश में लिखा कि याची सुप्रीम कोर्ट में दाखिल सिविल अपील में पक्षकार नहीं थे इसलिए वे लाभ के हकदार नहीं होंगे.
पंकज दुबे ने बताया कि याचियों की उक्त भूमि का अधिग्रहण भूमि अधिग्रहण अधिनियम-1894 की धारा 17(1)(4) के तहत किया गया था. किसानों ने 11 सितंबर 2008 और 30 सितंबर 2009 की भूमि अधिग्रहण की अधिसूचनाओं को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने 24 सितंबर 2010 को किसानों की याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद किसानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर 2008 और 30 सितंबर 2009 की अधिसूचनाओं को रद्द कर दिया. पंकज दुबे ने बताया कि सर्वोच्च अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि राज्य सरकार प्रक्रिया का पालन करते हुए दोबारा भूमि अधिग्रहण करने के लिए स्वतंत्र होगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद याचियों ने एडीएम (एलए) से राजस्व रिकॉर्ड से नोएडा का नाम हटाने की अर्जी दी। अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (भूमि अध्याप्ति) ने याचियों का प्रत्यावेदन खारिज कर दिया. जिसके बाद हाईकोर्ट में यह याचिका की गई.
हाई कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली और गौतम बुद्ध नगर प्रशासन को राजस्व अभिलेखों से नोएडा का नाम हटाने और किसानों की भूमि पर उनका नाम चढ़ाने के लिए चार सप्ताह के अंदर आदेश का अमल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि नोएडा और जिला प्रशासन भूमि अधिग्रहण करने के लिए स्वतंत्र हैं. इसके लिए उनके पास कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया अपनाने का विकल्प रहेगा.