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जानिए नरक चतुर्दशी पर कैसे और किसकी पूजा-अर्चना करें

दीपावाली से एक दिन पहले छोटी दीपावाली मनाई जाती है, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन रात में यम पूजा के लिए दीपक जलाए जाते हैं. इसे यम दीपक भी कहते है.

नरक चतुर्दशी
नरक चतुर्दशी
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Published : Nov 3, 2021, 5:27 PM IST

प्रयागराज: दीपावाली से एक दिन पहले बुधवार को देश भर में छोटी दीपावाली मनाई जा रही है, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान कृष्‍ण, यमराज और बजरंगबली की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से मनुष्‍य नरक में मिलने वाली यातनाओं से बच जाते हैं. साथ ही अकाल मृत्यु से भी रक्षा होती है. आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी के दिन किन- किन भगवान की पूजा-अर्चना करें.

पंडित शिप्रा सचदेव, ज्योतिषाचार्य
नरक चतुर्दशी की रात दीये जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोक मान्यताएं हैं. एक कथा के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी दुर्दांत असुर नरकासुर का वध किया था और 16 हजार कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था. नरक चतुर्दशी के दिन यम की भी पूजा की जाती है. इस दिन रात में यम पूजा के लिए दीपक जलाए जाते हैं. इस दिन एक पुराने दीपक में सरसों का तेल और पांच अन्न के दाने डालकर इसे घर के कोने में जलाकर रखा जाता है. इसे यम दीपक भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है.

इसे भी पढ़ेः नरक चतुर्दशी आज, जानिये शुभ मुहूर्त और रूप चतुर्दशी के दिन दीप दान का महत्व


नरक चतुर्दशी के दिन मां काली की भी पूजा भी की जाती है. इसके लिए सुबह तेल से स्नान करने के बाद पूजा करने का विधान है. ये पूजा नरक चतुर्दशी के दिन आधी रात में की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा से जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है.

भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस का वध कर उसके कारागार से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था. इसीलिए इस दिन श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है. नरक चतुर्दशी के दिन शिव चतुर्दशी भी मनाई जाती है. इस दिन शंकर भगवान को पंचामृत अर्पित करने के साथ माता पार्वती की भी विशेष पूजा की जाती है.

मान्यताओं के अनुसार इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान पूजा करने से सभी तरह का संकट टल जाते हैं. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है.

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प्रयागराज: दीपावाली से एक दिन पहले बुधवार को देश भर में छोटी दीपावाली मनाई जा रही है, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान कृष्‍ण, यमराज और बजरंगबली की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से मनुष्‍य नरक में मिलने वाली यातनाओं से बच जाते हैं. साथ ही अकाल मृत्यु से भी रक्षा होती है. आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी के दिन किन- किन भगवान की पूजा-अर्चना करें.

पंडित शिप्रा सचदेव, ज्योतिषाचार्य
नरक चतुर्दशी की रात दीये जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोक मान्यताएं हैं. एक कथा के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी दुर्दांत असुर नरकासुर का वध किया था और 16 हजार कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था. नरक चतुर्दशी के दिन यम की भी पूजा की जाती है. इस दिन रात में यम पूजा के लिए दीपक जलाए जाते हैं. इस दिन एक पुराने दीपक में सरसों का तेल और पांच अन्न के दाने डालकर इसे घर के कोने में जलाकर रखा जाता है. इसे यम दीपक भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है.

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नरक चतुर्दशी के दिन मां काली की भी पूजा भी की जाती है. इसके लिए सुबह तेल से स्नान करने के बाद पूजा करने का विधान है. ये पूजा नरक चतुर्दशी के दिन आधी रात में की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा से जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है.

भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस का वध कर उसके कारागार से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था. इसीलिए इस दिन श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है. नरक चतुर्दशी के दिन शिव चतुर्दशी भी मनाई जाती है. इस दिन शंकर भगवान को पंचामृत अर्पित करने के साथ माता पार्वती की भी विशेष पूजा की जाती है.

मान्यताओं के अनुसार इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान पूजा करने से सभी तरह का संकट टल जाते हैं. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है.

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