प्रयागराजः दारागंज के बाजार में इन दिनों कावड़ बनाने में जुटे दुकानदारों के चेहरों पर खुशी साफ झलक रही है. खास बात यह है कि यहां गंगाजल रखने वाले डिब्बों की मिट्टी भी खरीदी जाती है. जो लोग पतित पवनी मां गंगा तक नहीं पहुंच पाते वे गंगा की मिट्टी से ही सन्तोष करते हैं.
प्रयागराजः मिट्टी भी बिक जाती है इस पथ पर, दुकानें रहती हैं गुलजार - सावन मेला बाजार
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अधिकांश महीनों में सुनसान रहने वाला बाजार सावन मास के शुरुआत होते ही गुलजार हो गया है. कांवड़ का सामान बिकने के कारण कई हजार लोगों को इन दिनों रोजगार मिल जाता है. दुकानदारों की मानें तो हर वर्ष उनको इस दिन का इंतजार रहता है.
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सावन में सजी दुकानें.
प्रयागराजः दारागंज के बाजार में इन दिनों कावड़ बनाने में जुटे दुकानदारों के चेहरों पर खुशी साफ झलक रही है. खास बात यह है कि यहां गंगाजल रखने वाले डिब्बों की मिट्टी भी खरीदी जाती है. जो लोग पतित पवनी मां गंगा तक नहीं पहुंच पाते वे गंगा की मिट्टी से ही सन्तोष करते हैं.
मिट्टी भी बिक जाती है इस पथ पर, दुकानें रहती हैं गुलजार.
मिट्टी भी बिक जाती है इस पथ पर, दुकानें रहती हैं गुलजार.
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मिट्टी भी बिक जाती इस पथ पर दुकानें रहती है गुलजारl
अधिकांश महीनों में सुनशान रहने वाला बाजार सावन माष के सुरुवात होते ही गुलजार हो गया है।माने तो कई हजार लोगों को इन दिनों रोजगार मिल जाता है।दुकानदारों की माने तो हर वर्ष उनको इस दिन का इंतजार रहता है।कावड़ बनाने में जुटे ये दुकानदारों के चेहरों पर खुशी साफ झलक रही है। खास बात यह है कि यहां गंगाजल रखने वाले डिब्बो की मिट्टी भी खरीदी जाती है।
Body:दुकान पर बैठकर कांवर तैयार करते इस दुकानदार ने सुबह से लेकर साम तक ऐसे कई कवर तैयार कर चुका है।दुकानदार की माने तो उसको कावर बनाने में जितनी खुशी होती है उतनी बेचते समय नही।कावड़ियों के पथ पथ पर एक महीने के बिक्री से कई परिवारों को साल भर रोटी मिलती है।कावड़ तैयार करने लगने वाले समान फूल,सिटी,गजरा,गंगाजल की कैन,नाग,त्रिसूल आदि की बिक्री इन दिनों बढ़ जाती है।कावड़ बनने में कुल समय 1 से आधे घण्टे लगते है और इस तरह 100 से 150 में कावड़ तैयार हो जाता है।वही कावड़ियों को पहनने वाली टी शर्ट नेकर पिठु बैग पैसा और साइड बैग की भी लोग जमकर खरीदारी कर रहे ।एक कावड़िया लगभग 500 से 1000 तक कि खरीदारी करता है।इस तरह पूरे माह करोड़ो का व्यपार व्यपारियो का हो जाता है।अधिकांश महीनों में सुनशान रहने वाला बाजार सावन माष के सुरुवात होते ही गुलजार हो गया है।माने तो कई हजार लोगों को इन दिनों रोजगार मिल जाता है।दुकानदारों की माने तो हर वर्ष उनको इस दिन का इंतजार रहता है।कावड़ बनाने में जुटे ये दुकानदारों के चेहरों पर खुशी साफ झलक रही है। खास बात यह है कि यहां गंगाजल रखने वाले डिब्बो की मिट्टी भी खरीदी जाती है।
बाइट --- विकास ( दुकानदार)
Conclusion:जहा एक ओर धर्म की नगरी में हर तरफ बोल बम के जयकारे लग रहे है।वही दूसरी ओर व्यपारी धर्म की पूजा के साथ अपनी रोजी रोटी भी कमा रहा है।सावन मास के बाद इनको एक बार मायूषी जरूर होगी लेकिन अगले वर्ष सावन मास का इंतजार जरूर रहेगा।
मिट्टी भी बिक जाती इस पथ पर दुकानें रहती है गुलजारl
अधिकांश महीनों में सुनशान रहने वाला बाजार सावन माष के सुरुवात होते ही गुलजार हो गया है।माने तो कई हजार लोगों को इन दिनों रोजगार मिल जाता है।दुकानदारों की माने तो हर वर्ष उनको इस दिन का इंतजार रहता है।कावड़ बनाने में जुटे ये दुकानदारों के चेहरों पर खुशी साफ झलक रही है। खास बात यह है कि यहां गंगाजल रखने वाले डिब्बो की मिट्टी भी खरीदी जाती है।
Body:दुकान पर बैठकर कांवर तैयार करते इस दुकानदार ने सुबह से लेकर साम तक ऐसे कई कवर तैयार कर चुका है।दुकानदार की माने तो उसको कावर बनाने में जितनी खुशी होती है उतनी बेचते समय नही।कावड़ियों के पथ पथ पर एक महीने के बिक्री से कई परिवारों को साल भर रोटी मिलती है।कावड़ तैयार करने लगने वाले समान फूल,सिटी,गजरा,गंगाजल की कैन,नाग,त्रिसूल आदि की बिक्री इन दिनों बढ़ जाती है।कावड़ बनने में कुल समय 1 से आधे घण्टे लगते है और इस तरह 100 से 150 में कावड़ तैयार हो जाता है।वही कावड़ियों को पहनने वाली टी शर्ट नेकर पिठु बैग पैसा और साइड बैग की भी लोग जमकर खरीदारी कर रहे ।एक कावड़िया लगभग 500 से 1000 तक कि खरीदारी करता है।इस तरह पूरे माह करोड़ो का व्यपार व्यपारियो का हो जाता है।अधिकांश महीनों में सुनशान रहने वाला बाजार सावन माष के सुरुवात होते ही गुलजार हो गया है।माने तो कई हजार लोगों को इन दिनों रोजगार मिल जाता है।दुकानदारों की माने तो हर वर्ष उनको इस दिन का इंतजार रहता है।कावड़ बनाने में जुटे ये दुकानदारों के चेहरों पर खुशी साफ झलक रही है। खास बात यह है कि यहां गंगाजल रखने वाले डिब्बो की मिट्टी भी खरीदी जाती है।
बाइट --- विकास ( दुकानदार)
Conclusion:जहा एक ओर धर्म की नगरी में हर तरफ बोल बम के जयकारे लग रहे है।वही दूसरी ओर व्यपारी धर्म की पूजा के साथ अपनी रोजी रोटी भी कमा रहा है।सावन मास के बाद इनको एक बार मायूषी जरूर होगी लेकिन अगले वर्ष सावन मास का इंतजार जरूर रहेगा।