ETV Bharat / state

कार्तिक स्नान में भगवान विष्णु की करें पूजा, मिलेगा अश्वमेध यज्ञ समान पुण्य

एक नवंबर से कार्तिक मास प्रारंभ हो रहा है. कार्तिक मास में भगवान विष्णु का पुष्पों से अभिनंदन कर पूजा अर्चना करने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य मिलता है. कार्तिक में दीपदान, तुलसी विवाह कार्तिक कथा का महात्मय सुनने का विशेष महत्व है.

etvbharat
कार्तिक स्नान से मिलता है पुण्य.
author img

By

Published : Oct 31, 2020, 6:08 PM IST

प्रयागराज: एक नवंबर से कार्तिक स्नान का प्रारंभ हो रहा है इस पूरे महास्नान, दान दीपदान, तुलसी विवाह कथा माहात्म्य आदि सुनते हैं. ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और पापों का शमन होता है. पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति इस माह में स्नान, दान तथा व्रत करते हैं उनके पापों का अंत हो जाता है. कार्तिक माह बहुत ही पवित्र माना जाता है भारत के सभी तीर्थों के समान पुण्य फलों की प्राप्ति इस माह में मिलती है.

कार्तिक स्नान का महत्व
इस माह के महत्व के बारे में स्कंद पुराण, नारद पुराण, पद्मपुराण आदि प्राचीन ग्रंथों में जानकारी मिलती है. कार्तिक माह में किए स्नान का फल एक हजार बार किए गंगा स्नान के समान होता है. जो फल प्रयाग में स्नान करने पर मिलता है, वही फल कार्तिक माह में किसी पवित्र नदी के तट पर स्नान करने से मिलता है. जो व्यक्ति कार्तिक के पवित्र माह के नियमों का पालन करते हैं वह सभी पापों से मुक्ति पाते हैं.

स्नान और दान का महत्व
धार्मिक कार्यों के लिए यह माह सर्वश्रेष्ठ माना गया है. आशिवन शुक्ल पक्ष से कार्तिक शुक्ल पक्ष तक पवित्र नदियों में स्नान ध्यान करना श्रेष्ठ माना गया है. श्रद्धालु गंगा तथा यमुना में सुबह सवेरे स्नान करते हैं. जो लोग नदियों में स्नान नहीं कर पाते हैं वह सुबह अपने घर में ही स्नान व पूजा पाठ करते हैं. कार्तिक माह में शिव चंडी सूर्य तथा अन्य देवों के मंदिरों में दीप जलाने तथा प्रकाश करने का बहुत महत्व माना गया है. इस माह में भगवान विष्णु का पुष्पों से अभिनंदन करना चाहिए. पुष्प अभिनंदन करने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है.

ऐसे करें कार्तिक स्नान व पूजा

सुबह स्नान करने के बाद राधा कृष्ण का तुलसी, पीपल, आंवले का पूजन करना चाहिए. सभी देवताओं की परिक्रमा करने का महत्व माना गया है. सायं काल में भगवान विष्णु की पूजा तथा तुलसी की पूजा करें. संध्या समय में दीपदान भी करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि कार्तिक माह में सूर्य तथा चंद्रमा की किरणों का प्रभाव मनुष्य पर अनुकूल पड़ता है.

तुलसी, पीपल तथा विष्णु भगवान की होती है पूजा
कार्तिक मास में राधा कृष्ण, विष्णु भगवान तथा तुलसी की पूजा अत्यंत महत्व रखती है. जो मनुष्य पूजा करते हैं उसे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. श्रद्धालु व्यक्ति कार्तिक माह में तारा भोजन करते हैं पूरे दिन भर व्रत निराहार रहकर रात में तारों को अर्ध देकर भोजन करते हैं. व्रत के अंतिम दिन उद्यापन किया जाता है. प्रतिवर्ष कार्तिक माह आरंभ होते ही पवित्र स्नान का भी शुभारंभ हो जाता है.

प्रयागराज: एक नवंबर से कार्तिक स्नान का प्रारंभ हो रहा है इस पूरे महास्नान, दान दीपदान, तुलसी विवाह कथा माहात्म्य आदि सुनते हैं. ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और पापों का शमन होता है. पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति इस माह में स्नान, दान तथा व्रत करते हैं उनके पापों का अंत हो जाता है. कार्तिक माह बहुत ही पवित्र माना जाता है भारत के सभी तीर्थों के समान पुण्य फलों की प्राप्ति इस माह में मिलती है.

कार्तिक स्नान का महत्व
इस माह के महत्व के बारे में स्कंद पुराण, नारद पुराण, पद्मपुराण आदि प्राचीन ग्रंथों में जानकारी मिलती है. कार्तिक माह में किए स्नान का फल एक हजार बार किए गंगा स्नान के समान होता है. जो फल प्रयाग में स्नान करने पर मिलता है, वही फल कार्तिक माह में किसी पवित्र नदी के तट पर स्नान करने से मिलता है. जो व्यक्ति कार्तिक के पवित्र माह के नियमों का पालन करते हैं वह सभी पापों से मुक्ति पाते हैं.

स्नान और दान का महत्व
धार्मिक कार्यों के लिए यह माह सर्वश्रेष्ठ माना गया है. आशिवन शुक्ल पक्ष से कार्तिक शुक्ल पक्ष तक पवित्र नदियों में स्नान ध्यान करना श्रेष्ठ माना गया है. श्रद्धालु गंगा तथा यमुना में सुबह सवेरे स्नान करते हैं. जो लोग नदियों में स्नान नहीं कर पाते हैं वह सुबह अपने घर में ही स्नान व पूजा पाठ करते हैं. कार्तिक माह में शिव चंडी सूर्य तथा अन्य देवों के मंदिरों में दीप जलाने तथा प्रकाश करने का बहुत महत्व माना गया है. इस माह में भगवान विष्णु का पुष्पों से अभिनंदन करना चाहिए. पुष्प अभिनंदन करने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है.

ऐसे करें कार्तिक स्नान व पूजा

सुबह स्नान करने के बाद राधा कृष्ण का तुलसी, पीपल, आंवले का पूजन करना चाहिए. सभी देवताओं की परिक्रमा करने का महत्व माना गया है. सायं काल में भगवान विष्णु की पूजा तथा तुलसी की पूजा करें. संध्या समय में दीपदान भी करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि कार्तिक माह में सूर्य तथा चंद्रमा की किरणों का प्रभाव मनुष्य पर अनुकूल पड़ता है.

तुलसी, पीपल तथा विष्णु भगवान की होती है पूजा
कार्तिक मास में राधा कृष्ण, विष्णु भगवान तथा तुलसी की पूजा अत्यंत महत्व रखती है. जो मनुष्य पूजा करते हैं उसे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. श्रद्धालु व्यक्ति कार्तिक माह में तारा भोजन करते हैं पूरे दिन भर व्रत निराहार रहकर रात में तारों को अर्ध देकर भोजन करते हैं. व्रत के अंतिम दिन उद्यापन किया जाता है. प्रतिवर्ष कार्तिक माह आरंभ होते ही पवित्र स्नान का भी शुभारंभ हो जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.