प्रयागराजः पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जन्मदिवस पर हर साल संगम नगरी प्रयागराज में राष्ट्रीय स्तर पर इंदिरा मैराथन का आयोजन किया जाता है. रविवार सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर इंदिरा मैराथन का 38वां संस्करण शुरूआत हुई. इस मैराथन में शामिल हुए धावकों को हरी झंडी दिखाकर खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव, मेयर उमेश चंद्र गणेश केसरवानी और डीएम नवनीत सिंह चहल ने आनंद भवन से रवाना किया.
इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया गया. वर्ष 1985 में शुरू की गई इंदिरा मैराथन अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत 42 किलोमीटर की आयोजित की जाती है. इस बार मैराथन की थीम "रन फॉर स्वच्छता नो प्लास्टिक" को दिया गया है. मैराथन को लेकर इस बार भी धावकों में खासा उत्साह देखने को मिला. देश के तमाम नामचीन धावक इस मैराथन में शामिल हुए हैं. यह मैराथन 42.195 किलोमीटर का सफर तय करते हुए मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर खत्म हो जाएगा.
मैराथन के रुट पर धावकों के लिए 16 स्थानों पर जलपान और मेडिकल एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है. हर किलोमीटर पर एनसीसी के कैडेट्स वालेंटियर के रूप में लगाए गए हैं. तकरीबन 1000 कर्मचारियों को इस आयोजन में लगाया गया है. 42.195 किलोमीटर की इंदिरा मैराथन में पहली बार महिला और पुरुष भावकों को एक साथ रवाना किया गया. इंदिरा मैराथन में दौड़ने वाले धावकों के लिए विशेष पुरस्कार की भी घोषणा की गई है. सेना के मनोवैज्ञानिक कोच कर्नल अरविंद झा ने 1976 में बनाए गए शिवनाथ सिंह के रिकार्ड को तोड़ने पर एक लाख एक रुपये के पुरस्कार की घोषणा की है. शिवनाथ सिंह ने 2 घंटे 12 मिनट में यह रिकॉर्ड बनाया है, जो आज तक अजेय है.
खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश में खेल को बढ़ावा देने के लिए ऐतिहासिक कार्य भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है. उसी क्रम में इंदिरा मैराथन भी भव्य तरीके से संपन्न कराई गई है. इंदिरा मैराथन में भाग लेने वाले धावक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सामने से तेलियरगंज होते हुए म्योहाल चौराहे की ओर बढ़ेंगे. यहां अपराह्न 2 बजकर 30 मिनट पर मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में मैराथन का समापन होगा. स्टेडियम में खिलाड़ियों को पुरस्कार दिए जाएंगे.
प्रथम पुरस्कार के रूप में 2 लाख रुपये का , द्वितीय पुरस्कार के रूप में 1 लाख रुपये और तृतीय पुरस्कार के रूप में 75 हजार रुपये दिए जाएंगे, जबकि क्रमवार रूप से 10 अन्य विजेताओं को सांत्वना पुरस्कार के रूप में 10-10 हजार रुपये पुरस्कृत किए जाएंगे. इस बार मैराथन की थीम रन पर स्वच्छता नो प्लास्टिक निर्धारित की गई है. मैराथन के लिए कुल 16 बूथ बनाए गए हैं. सुबह छह बजे से लेकर 11 बजे तक मैराथन के रूट पर ट्रैफिक का डायवर्जन पूरी तरह से रहा.
1985 में शुरू हुई इंदिरा मैराथन का यह 38वां संस्करण है. 2020 में कोरोना के कारण इंदिरा मैराथन का आयोजन नहीं हो पाया था. इंदिरा मैराथन में 19 नवंबर 1986 को बिहार के स्वरूप सिंह ने दो घंटा 13 मिनट 57 सेकंड का रिकार्ड बनाया था, जो आज तक कायम है, जबकि 19 नवंबर 1996 को दक्षिण रेलवे मुंबई की सत्यभामा ने 2 घंटा 44 मिनट 40 सेकंड में इंदिरा मैराथन को पूरा कर रिकार्ड बनाया था और यह रिकार्ड भी आज तक नहीं टूटा है. इस बार यह दोनों रिकार्ड भी धावकों के निशाने पर हैं.
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