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किसानों का बढ़ा मुआवजा आवंटियों से वसूलना अवैध: हाईकोर्ट

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के भूमि आवंटियों से अतिरिक्त धनराशि मांगने को अवैध करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार की कोई नीति पहले हुए करार को बदल नहीं सकती. प्राधिकरण के सीइओ को प्रीमियम घटाने बढाने का अधिकार है, लेकिन वह करार में बदलाव नहीं कर सकता. इसलिए प्राधिकरण आवंटियों से अतिरिक्त धनराशि मांग नहीं सकता है.

हाईकोर्ट न्यूज
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Published : May 28, 2020, 5:22 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्धनगर में यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के आवंटियों को बडी राहत दी है. कोर्ट ने कहा है कि किसानों को बढा हुआ मुआवजा देकर प्राधिकरण को उसकी भरपाई आवंटियों से करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने 29 अगस्त 2014 के शासनादेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है और कहा है कि गजराज सिंह केस का फैसला नोएडा व ग्रेटर नोएडा के अधिग्रहण पर ही लागू होगा. यह अन्य प्राधिकरणों के अधिग्रहण पर लागू नहीं होगा.

29 अगस्त 2014 के शासनादेश से राज्य सरकार ने गजराज सिंह केस के निर्देशानुसार किसानों को 64 से 70 फीसदी अधिक मुआवजा देने का फैसला लिया है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का फैसला कानून के खिलाफ है. उसे ऐसा करने का क्षेत्राधिकार नहीं है. कानून के खिलाफ साम्या न्याय (इक्विटी) नहीं दी जा सकती. सरकार भी मनमानी नहीं कर सकती.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल तथा न्यायमूर्ति वी सी दीक्षित की खंडपीठ ने मेसर्स शकुन्तला एजुकेशनल एण्ड वैलफेयर सोसाइटी, जय प्रकाश एसोसिएट सहित 20 याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है.

मालूम हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने गजराज सिंह केस में नोएडा अथॉरिटी को किसानों की अधिगृहीत भूमि का 64 से 70 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश दिया. इसे सावित्री देवी केस में सुप्रीम कोर्ट ने सही माना, लेकिन कहा कि विशेष स्थिति में याचियों को राहत दी गयी है. यह सामान्य समादेश नहीं है. इससे पहले राज्य सरकार ने सभी किसानों को अधिगृहीत भूमि का अतिरिक्त मुआवजा देने का शासनादेश जारी कर दिया. यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने इसे स्वीकार करते हुए मुआवजे का भुगतान कर दिया और आवंटियों से इस राशि की मांग की, जिसे यह कहते हुए चुनौती दी गयी थी कि यह पट्टा करार का उल्लंघन है.

कोर्ट ने कहा कि सरकार चाहे तो किसानों को अधिक मुआवजा दे सकती है. ऐसा करना गलत नहीं होगा. लेकिन यह मनमानी नहीं हो सकता. वह पिक एण्ड चूज नहीं कर सकती है, भाई-भतीजावाद नहीं कर सकती है. वह कानूनी उपबंधों के अधीन रहते हुए ही ऐसा कर सकती है. कानून के विपरीत नहीं.

कोर्ट ने कहा कि सरकार की कोई नीति पहले हुए करार को बदल नहीं सकती. प्राधिकरण के सीइओ को प्रीमियम घटाने या बढ़ाने का अधिकार है, लेकिन वह करार में बदलाव नहीं कर सकता. इसलिए प्राधिकरण आवंटियों से अतिरिक्त धनराशि मांग नहीं सकता है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्धनगर में यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के आवंटियों को बडी राहत दी है. कोर्ट ने कहा है कि किसानों को बढा हुआ मुआवजा देकर प्राधिकरण को उसकी भरपाई आवंटियों से करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने 29 अगस्त 2014 के शासनादेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है और कहा है कि गजराज सिंह केस का फैसला नोएडा व ग्रेटर नोएडा के अधिग्रहण पर ही लागू होगा. यह अन्य प्राधिकरणों के अधिग्रहण पर लागू नहीं होगा.

29 अगस्त 2014 के शासनादेश से राज्य सरकार ने गजराज सिंह केस के निर्देशानुसार किसानों को 64 से 70 फीसदी अधिक मुआवजा देने का फैसला लिया है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का फैसला कानून के खिलाफ है. उसे ऐसा करने का क्षेत्राधिकार नहीं है. कानून के खिलाफ साम्या न्याय (इक्विटी) नहीं दी जा सकती. सरकार भी मनमानी नहीं कर सकती.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल तथा न्यायमूर्ति वी सी दीक्षित की खंडपीठ ने मेसर्स शकुन्तला एजुकेशनल एण्ड वैलफेयर सोसाइटी, जय प्रकाश एसोसिएट सहित 20 याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है.

मालूम हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने गजराज सिंह केस में नोएडा अथॉरिटी को किसानों की अधिगृहीत भूमि का 64 से 70 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश दिया. इसे सावित्री देवी केस में सुप्रीम कोर्ट ने सही माना, लेकिन कहा कि विशेष स्थिति में याचियों को राहत दी गयी है. यह सामान्य समादेश नहीं है. इससे पहले राज्य सरकार ने सभी किसानों को अधिगृहीत भूमि का अतिरिक्त मुआवजा देने का शासनादेश जारी कर दिया. यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने इसे स्वीकार करते हुए मुआवजे का भुगतान कर दिया और आवंटियों से इस राशि की मांग की, जिसे यह कहते हुए चुनौती दी गयी थी कि यह पट्टा करार का उल्लंघन है.

कोर्ट ने कहा कि सरकार चाहे तो किसानों को अधिक मुआवजा दे सकती है. ऐसा करना गलत नहीं होगा. लेकिन यह मनमानी नहीं हो सकता. वह पिक एण्ड चूज नहीं कर सकती है, भाई-भतीजावाद नहीं कर सकती है. वह कानूनी उपबंधों के अधीन रहते हुए ही ऐसा कर सकती है. कानून के विपरीत नहीं.

कोर्ट ने कहा कि सरकार की कोई नीति पहले हुए करार को बदल नहीं सकती. प्राधिकरण के सीइओ को प्रीमियम घटाने या बढ़ाने का अधिकार है, लेकिन वह करार में बदलाव नहीं कर सकता. इसलिए प्राधिकरण आवंटियों से अतिरिक्त धनराशि मांग नहीं सकता है.

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