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High Court: जावेद पंप का घर ढहाने के मामले में सरकार-पीडीए का जवाब दाखिल, कहा-अवैध था घर

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Published : Jun 30, 2022, 9:21 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जावेद मोहम्मद (जावेद पंप) का घर गिराने के मामले में पत्नी परवीन फातिमा की याचिका पर आज प्रदेश सरकार व प्रयागराज विकास प्राधिकरण की तरफ से जवाब दाखिल किया गया. जवाब में क्या कहा गया चलिए जानते हैं?

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जावेद पंप का घर ढहाने का मामला

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट में जावेद मोहम्मद का घर गिराने के मामले में पत्नी परवीन फातिमा की याचिका पर आज प्रदेश सरकार व प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA) की तरफ से जवाब दाखिल किया गया. हाईकोर्ट के निर्देश पर 24 घंटे के अंदर जवाब दाखिल कर दिया गया. जवाब दाखिल कर सरकार व प्राधिकरण ने कहा कि याची का घर पूर्ण रूप से अवैध था. कहा गया है कि घर का किसी प्रकार का कोई नक्शा पास नहीं था. न ही इस संबंध में याची की तरफ से कभी कोई कोशिश की गई थी. कहा यह भी गया है कि कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए घर गिराने की कार्रवाई संपन्न हुई है. याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याची के अधिवक्ता के अनुरोध पर उन्हें सरकार का जवाब देने के लिए एक दिन का समय दिया है. कोर्ट ने याचिका की सुनवाई 7 जुलाई को करने के निर्देश दिए हैं.

प्रयागराज के अटाला में 10 जून को जुमे की नमाज के बाद हुए बवाल के मुख्य आरोपी जावेद मोहम्मद पंप का मकान ढहाने के मामले में इससे पूर्व जस्टिस सुनीता अग्रवाल व जस्टिस विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने सुनवाई से इनकार कर दिया था. याचिका जावेद की पत्नी परवीन फातिमा ने दाखिल की है. याचिका दाखिल कर कहा गया है कि उसे व उसकी बेटी को भी 11 जून को पुलिस उठा ले गई थी. 12 जून को घर ढहाने से पहले कोई नोटिस नहीं दी गई थी.

याचिका में परवीन ने अवैध तरीके से उसका मकान तोड़ने की शिकायत की है. साथ ही दोबारा मकान बनने तक रहने के लिए सरकारी आवास मुहैया कराने की मांग की है. परवीन फातिमा ने कहा है कि जिस मकान को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया, वह उसके नाम पर है, न कि उसके शौहर के नाम पर. यह मकान याची को उसके पिता से उपहार में मिला था.

नगर निगम व राजस्व दस्तावेजों में याची का ही नाम दर्ज है जबकि जुमे की नमाज के बाद वाली घटना के बाद उसे और उसकी बेटी को पुलिस महिला थाने उठा ले गई. पुलिस गई और नोटिस चस्पा कर चली आई. उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को इसकी जानकारी भी नहीं हुई. 12 जून को मकान ध्वस्त कर दिया गया. इन सब घटनाओं की परिवार को जानकारी तक नहीं हो सकी. नोटिस भी उसके पति के नाम दिया गया और याची को अपील दाखिल करने या पक्ष रखने का कोई मौका दिए बगैर मकान ध्वस्त कर दिया गया.

याचिका में कहा गया कि दस जून की पत्थरबाजी व तोड़फोड़ की घटना के बाद उसी रात पुलिस ने उसके शौहर जावेद मोहम्मद पंप को थाने बुलाया और अवैध रूप से गिरफ्तार कर लिया. यही नहीं देर रात महिला थाने की पुलिस याची व उसकी बेटी को भी थाने ले गई. तीन दिन तक दोनों को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया.

याचिका में कहा गया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने से पूर्व न तो याची को कोई नोटिस दिया गया और न कोई जानकारी. रविवार के दिन बड़ी संख्या में पुलिस और पीडीए के अधिकारी व कर्मचारी उसके घर पर दो बुलडोजर लेकर पहुंचे और पूरा मकान ढहा दिया. याची को अपील दाखिल करने के लिए जरूरी 30 दिन की मोहलत भी नहीं दी गई. कहा गया है कि पुलिस की कार्रवाई अवैधानिक और नैसर्गिक न्याय के विपरीत है तथा अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया.

याचिका में कहा गया कि याची के पास अब रहने के लिए कोई घर नहीं है. वह परिवार के साथ रिश्तेदारों के यहां रहने को मजबूर है. याचिका में न्यायालय से ग्रीष्मावकाश के दौरान ही इस मामले में सुनवाई का अनुरोध किया गया है. हालांकि परवीन फातिमा की ओर से दाखिल याचिका में मकान का कोई नक्शा दाखिल नहीं किया गया है जिसकी स्वीकृति तत्कालीन इलाहाबाद विकास प्राधिकरण (अब प्रयागराज विकास प्राधिकरण) की ओर से होनी चाहिए.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट में जावेद मोहम्मद का घर गिराने के मामले में पत्नी परवीन फातिमा की याचिका पर आज प्रदेश सरकार व प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA) की तरफ से जवाब दाखिल किया गया. हाईकोर्ट के निर्देश पर 24 घंटे के अंदर जवाब दाखिल कर दिया गया. जवाब दाखिल कर सरकार व प्राधिकरण ने कहा कि याची का घर पूर्ण रूप से अवैध था. कहा गया है कि घर का किसी प्रकार का कोई नक्शा पास नहीं था. न ही इस संबंध में याची की तरफ से कभी कोई कोशिश की गई थी. कहा यह भी गया है कि कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए घर गिराने की कार्रवाई संपन्न हुई है. याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याची के अधिवक्ता के अनुरोध पर उन्हें सरकार का जवाब देने के लिए एक दिन का समय दिया है. कोर्ट ने याचिका की सुनवाई 7 जुलाई को करने के निर्देश दिए हैं.

प्रयागराज के अटाला में 10 जून को जुमे की नमाज के बाद हुए बवाल के मुख्य आरोपी जावेद मोहम्मद पंप का मकान ढहाने के मामले में इससे पूर्व जस्टिस सुनीता अग्रवाल व जस्टिस विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने सुनवाई से इनकार कर दिया था. याचिका जावेद की पत्नी परवीन फातिमा ने दाखिल की है. याचिका दाखिल कर कहा गया है कि उसे व उसकी बेटी को भी 11 जून को पुलिस उठा ले गई थी. 12 जून को घर ढहाने से पहले कोई नोटिस नहीं दी गई थी.

याचिका में परवीन ने अवैध तरीके से उसका मकान तोड़ने की शिकायत की है. साथ ही दोबारा मकान बनने तक रहने के लिए सरकारी आवास मुहैया कराने की मांग की है. परवीन फातिमा ने कहा है कि जिस मकान को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया, वह उसके नाम पर है, न कि उसके शौहर के नाम पर. यह मकान याची को उसके पिता से उपहार में मिला था.

नगर निगम व राजस्व दस्तावेजों में याची का ही नाम दर्ज है जबकि जुमे की नमाज के बाद वाली घटना के बाद उसे और उसकी बेटी को पुलिस महिला थाने उठा ले गई. पुलिस गई और नोटिस चस्पा कर चली आई. उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को इसकी जानकारी भी नहीं हुई. 12 जून को मकान ध्वस्त कर दिया गया. इन सब घटनाओं की परिवार को जानकारी तक नहीं हो सकी. नोटिस भी उसके पति के नाम दिया गया और याची को अपील दाखिल करने या पक्ष रखने का कोई मौका दिए बगैर मकान ध्वस्त कर दिया गया.

याचिका में कहा गया कि दस जून की पत्थरबाजी व तोड़फोड़ की घटना के बाद उसी रात पुलिस ने उसके शौहर जावेद मोहम्मद पंप को थाने बुलाया और अवैध रूप से गिरफ्तार कर लिया. यही नहीं देर रात महिला थाने की पुलिस याची व उसकी बेटी को भी थाने ले गई. तीन दिन तक दोनों को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया.

याचिका में कहा गया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने से पूर्व न तो याची को कोई नोटिस दिया गया और न कोई जानकारी. रविवार के दिन बड़ी संख्या में पुलिस और पीडीए के अधिकारी व कर्मचारी उसके घर पर दो बुलडोजर लेकर पहुंचे और पूरा मकान ढहा दिया. याची को अपील दाखिल करने के लिए जरूरी 30 दिन की मोहलत भी नहीं दी गई. कहा गया है कि पुलिस की कार्रवाई अवैधानिक और नैसर्गिक न्याय के विपरीत है तथा अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया.

याचिका में कहा गया कि याची के पास अब रहने के लिए कोई घर नहीं है. वह परिवार के साथ रिश्तेदारों के यहां रहने को मजबूर है. याचिका में न्यायालय से ग्रीष्मावकाश के दौरान ही इस मामले में सुनवाई का अनुरोध किया गया है. हालांकि परवीन फातिमा की ओर से दाखिल याचिका में मकान का कोई नक्शा दाखिल नहीं किया गया है जिसकी स्वीकृति तत्कालीन इलाहाबाद विकास प्राधिकरण (अब प्रयागराज विकास प्राधिकरण) की ओर से होनी चाहिए.

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