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मानवाधिकार आयोग में 24 अगस्त को होगी कंधे पर बेटे का शव ले जाने मामले में सुनवाई - matter of carrying son body on shoulder

प्रयागराज में बेटे के शव को कंधे पर लादकर कई किलोमीटर तक ले जाने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग में सुनवाई अब 24 अगस्त को होगी. दरअसल, सोमवार को राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बी के नारायण के सामने हुई सुनवाई में सीएमओ अनुपस्थित रहे थे, जिसके चलते अब सुनवाई 24 अगस्त को होगी.

पिता ने कंधे पर उठाया बेटे का शव.
पिता ने कंधे पर उठाया बेटे का शव.
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Published : Aug 9, 2022, 6:50 AM IST

Updated : Aug 9, 2022, 7:42 AM IST

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक गरीब मजबूर पिता के द्वारा बेटे के शव को कंधे पर लादकर कई किलोमीटर तक ले जाने के मामले में सोमवार को राज्य मानवाधिकार आयोग में मामले की सुनवाई हुई. राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बी के नारायण के सामने इस मामले में पेश होने के लिए मोती लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर एसपी सिंह पहुंचे. जबकि सीएमओ डॉक्टर नानक सरन की तरफ से उनके विभाग के कर्मचारी को भेजा गया था.

कब होगी जिम्मीदारों पर कार्रवाई?
सीएमओ के पेश न हो पाने के बाद जस्टिस बी के नारायण की तरफ से मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 अगस्त की तारीख तय की गई है. इसके साथ ही उस तारीख पर सीएमओ डॉक्टर नानक सरन को अपनी रिपोर्ट के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है.

दरअसल, हफ्ते भर पहले प्रयागराज में खंभे में उतरे करंट की चपेट में आने से बजरंगी नाम के युवक के 14 साल के बेटे की हालत बिगड़ गई थी. जिसे इलाज के लिए एसआरएन अस्पताल लाया गया. जहां पर इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. बच्चे की मौत के बाद अस्पताल से करछना स्थित घर तक जाने के लिए बजरंगी के पास पैसे नहीं थे. जबकि अस्पताल में मौजूद एम्बुलेंस वाले 2 हजार रुपये से अधिक रकम की डिमांड कर रहे थे. तब लाचार पिता ने किसी की नहीं सुनी और अपने कलेजे के टुकड़े के शव को कंधे पर उठाकर पैदल ही घर के लिए निकल पड़े.

अस्पताल से नैनी तक कई किलोमीटर का पैदल सफर तय करने के बाद वहां से गुजर रहे सेना के जवानों ने कुछ लोगों की मदद से बजरंगी को घर तक पहुंचने के लिए गाड़ी की व्यवस्था करवाई. इस दौरान किसी ने मजबूर पिता के कंधे पर शव ले जाने का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया, जिसके बाद मामले के तूल पकड़ने पर बिजली विभाग के अफसरों के साथ ही इलाके के थानेदार के खिलाफ कार्रवाई की गई. जबकि अभी तक पूरी घटना के लिए जिम्मेदार स्वास्थ विभाग के कर्मचारी या अधिकारी के खिलाफ कुछ नहीं किया गया.

वहीं, राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बी के नारायण ने इस मामले में सीएमओ और मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को पेश होकर पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा था. सोमवार को सुनवाई के लिए मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल तो पहुंचे थे, लेकिन सीएमओ ने अपने अधीनस्थ एक कमर्चारी को भेज दिया था.जिसके बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 अगस्त की तारीख तय की गई है.

पढे़ं इस खबर को : इंसानियत शर्मसार! बेटे का शव कंधे पर रखकर 8 किलोमीटर पैदल चला मजबूर पिता

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक गरीब मजबूर पिता के द्वारा बेटे के शव को कंधे पर लादकर कई किलोमीटर तक ले जाने के मामले में सोमवार को राज्य मानवाधिकार आयोग में मामले की सुनवाई हुई. राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बी के नारायण के सामने इस मामले में पेश होने के लिए मोती लाल नेहरु मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर एसपी सिंह पहुंचे. जबकि सीएमओ डॉक्टर नानक सरन की तरफ से उनके विभाग के कर्मचारी को भेजा गया था.

कब होगी जिम्मीदारों पर कार्रवाई?
सीएमओ के पेश न हो पाने के बाद जस्टिस बी के नारायण की तरफ से मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 अगस्त की तारीख तय की गई है. इसके साथ ही उस तारीख पर सीएमओ डॉक्टर नानक सरन को अपनी रिपोर्ट के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है.

दरअसल, हफ्ते भर पहले प्रयागराज में खंभे में उतरे करंट की चपेट में आने से बजरंगी नाम के युवक के 14 साल के बेटे की हालत बिगड़ गई थी. जिसे इलाज के लिए एसआरएन अस्पताल लाया गया. जहां पर इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. बच्चे की मौत के बाद अस्पताल से करछना स्थित घर तक जाने के लिए बजरंगी के पास पैसे नहीं थे. जबकि अस्पताल में मौजूद एम्बुलेंस वाले 2 हजार रुपये से अधिक रकम की डिमांड कर रहे थे. तब लाचार पिता ने किसी की नहीं सुनी और अपने कलेजे के टुकड़े के शव को कंधे पर उठाकर पैदल ही घर के लिए निकल पड़े.

अस्पताल से नैनी तक कई किलोमीटर का पैदल सफर तय करने के बाद वहां से गुजर रहे सेना के जवानों ने कुछ लोगों की मदद से बजरंगी को घर तक पहुंचने के लिए गाड़ी की व्यवस्था करवाई. इस दौरान किसी ने मजबूर पिता के कंधे पर शव ले जाने का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया, जिसके बाद मामले के तूल पकड़ने पर बिजली विभाग के अफसरों के साथ ही इलाके के थानेदार के खिलाफ कार्रवाई की गई. जबकि अभी तक पूरी घटना के लिए जिम्मेदार स्वास्थ विभाग के कर्मचारी या अधिकारी के खिलाफ कुछ नहीं किया गया.

वहीं, राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बी के नारायण ने इस मामले में सीएमओ और मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को पेश होकर पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा था. सोमवार को सुनवाई के लिए मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल तो पहुंचे थे, लेकिन सीएमओ ने अपने अधीनस्थ एक कमर्चारी को भेज दिया था.जिसके बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 अगस्त की तारीख तय की गई है.

पढे़ं इस खबर को : इंसानियत शर्मसार! बेटे का शव कंधे पर रखकर 8 किलोमीटर पैदल चला मजबूर पिता

Last Updated : Aug 9, 2022, 7:42 AM IST
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