प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक पत्रिका के मुख्य संपादक प्रभु चावला के खिलाफ रामपुर के सीजेएम कोर्ट में चल रहे मानहानि के मुकदमे को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि याची प्रभु चावला के खिलाफ मानहानि का कोई अपराध नहीं बनता.
हाईकोर्ट ने मानहानि के मुकदमे को किया खारिज
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने प्रभु चावला की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. बता दें कि चावला पर अपनी मैगजीन में "खरी बात की राजनीति" लेख में सपा सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे मोहम्मद आजम खां के रसूख को लेकर लेख छापा गया था. यह लेख फरजंद अहमद ने लिखा था. याची चावला का कहना था कि वह पत्रिका के मुख्य संपादक हैं, इसीलिए उनके खिलाफ मानहानि का केस ही नहीं बनता.
क्या था लेख में
रामपुर के नवाब जुल्फिकार अहमद खान और उनकी बेगम नूर बानो के खिलाफ राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर आजम खां की कार्यवाही को लेकर लेख छापा गया, जिसमें उनके रसूख की चर्चा की गई और कहा गया कि ऐतिहासिक दिल्ली दरवाजा समाजवादी पार्टी में प्रभाव रखने वाले आजम खां के रसूख के चलते ध्वस्त कर दिया गया.
मुलायम सिंह यादव के राज में शक्तिशाली होने और अपने पद का दुरुपयोग करने के बारे में आजम खां को लेकर छपे लेख में बार एसोसिएशन के बारे में भी टिप्पणी की गई थी, जिसको लेकर रामपुर के अधिवक्ता अमर सिंह ने यह मानहानि का दावा सीजेएम की अदालत में दावा दाखिल किया था.
कोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा था जवाब
कोर्ट ने चावला को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने तमाम फैसलों का हवाला देते हुए कहा है कि लेख में ऐसे तत्व नहीं हैं, जो याची के खिलाफ मानहानि के आरोप की पुष्टि करते हों. कोर्ट ने मानहानि के मुकदमे को खारिज कर दिया है.
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