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कोरोना मृतक आश्रितों की नियुक्ति का मामला : कोर्ट ने राज्य सरकार को किया तलब

कोरोना से मृतक आश्रितों की नियुक्ति के एक मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

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Published : Jun 1, 2022, 8:59 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोविड-19 के मृतक आश्रितों को नौकरी देने के शासनादेश की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला एवं न्यायमूर्ति विकास की खंडपीठ ने आरती सिंह की याचिका पर दिया है. इस मामले में याची का कहना है कि ग्राम प्रधान की सामान्य सीट के कारण सामान्य श्रेणी की नियुक्ति की जा रही है. यह संविधान के समानता के अधिकार का उल्लघंन है.

याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने कोर्ट को बताया कि पिछड़ी जाति की याची के पति की कोविड-19 से मृत्यु हो गई थी. सरकार ने कोरोना काल मे कोविड-19 के मृतक आश्रितों के लिए 58,189 वैकेंसी निकाली थीं. इसमें याची की ओर से आवेदन करने पर डीएम प्रयागराज की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय कमेटी की संस्तुति पर याची की नियुक्ति की गई. इसके बाद एक महीने 10 दिन काम करने के बाद जिला पंचायतराज अधिकारी ने यह कहकर याची की नियुक्ति निरस्त कर दी, कि शासनादेश के क्रम में ग्राम पंचायत लौदखुर्द में ग्राम प्रधान की अनारक्षित सीट पर केवल सामान्य जाति को ही नियुक्ति दी जा सकती है.

27 जुलाई 2021 के शासनादेश के पैरा-13 में कहा गया है कि सामान्य श्रेणी की ग्राम पंचायतों में कोविड-19 की वजह से हुई मृत्यु का लाभ सामान्य श्रेणी के परिवार को ही दिया जाएगा. अधिवक्ता सुनील चौधरी ने यह भी बताया कि शासनादेश में पिछड़ी व अन्य जाति के लिए कोविड से मृतक वारिसों के लिए कोई प्रावधान नहीं है. जबकि ग्राम लौदखुर्द में सामान्य सीट पर पिछड़ी जाति का प्रधान है. ऐसे में शासनादेश अवैध है और संविधान के अनुच्छेद 14 के समानता के अधिकार के विपरीत है.

इसे पढ़ें- अस्पताल में आजम खान से मिले सपा नेता अखिलेश यादव, ट्वीट कर साझा की फोटो

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोविड-19 के मृतक आश्रितों को नौकरी देने के शासनादेश की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला एवं न्यायमूर्ति विकास की खंडपीठ ने आरती सिंह की याचिका पर दिया है. इस मामले में याची का कहना है कि ग्राम प्रधान की सामान्य सीट के कारण सामान्य श्रेणी की नियुक्ति की जा रही है. यह संविधान के समानता के अधिकार का उल्लघंन है.

याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने कोर्ट को बताया कि पिछड़ी जाति की याची के पति की कोविड-19 से मृत्यु हो गई थी. सरकार ने कोरोना काल मे कोविड-19 के मृतक आश्रितों के लिए 58,189 वैकेंसी निकाली थीं. इसमें याची की ओर से आवेदन करने पर डीएम प्रयागराज की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय कमेटी की संस्तुति पर याची की नियुक्ति की गई. इसके बाद एक महीने 10 दिन काम करने के बाद जिला पंचायतराज अधिकारी ने यह कहकर याची की नियुक्ति निरस्त कर दी, कि शासनादेश के क्रम में ग्राम पंचायत लौदखुर्द में ग्राम प्रधान की अनारक्षित सीट पर केवल सामान्य जाति को ही नियुक्ति दी जा सकती है.

27 जुलाई 2021 के शासनादेश के पैरा-13 में कहा गया है कि सामान्य श्रेणी की ग्राम पंचायतों में कोविड-19 की वजह से हुई मृत्यु का लाभ सामान्य श्रेणी के परिवार को ही दिया जाएगा. अधिवक्ता सुनील चौधरी ने यह भी बताया कि शासनादेश में पिछड़ी व अन्य जाति के लिए कोविड से मृतक वारिसों के लिए कोई प्रावधान नहीं है. जबकि ग्राम लौदखुर्द में सामान्य सीट पर पिछड़ी जाति का प्रधान है. ऐसे में शासनादेश अवैध है और संविधान के अनुच्छेद 14 के समानता के अधिकार के विपरीत है.

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