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बाल गृह में बच्चे के यौन शोषण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया - राजरूपपुर बाल गृह

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने राजरूपुर स्थित बाल गृह (Rajrooppur Children Home) में बच्चे के यौन शोषण पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

जवाब तलब किया
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Published : Jan 4, 2023, 10:35 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने राजरूपुर स्थित बाल गृह (Rajrooppur Children Home) में बच्चों के यौन शोषण तथा बाल गृह की खराब दशा को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. याचिका अनुराधा गुप्ता की ओर से दाखिल की गई है. जिस पर मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल (Chief Justice Rajesh Bindal) और न्यायमूर्ति जीजी मुनीर की खंडपीठ ने सुनवाई की.

याची के अधिवक्ता केके राय और प्रबल प्रताप का कहना था कि राजरूप बाल गृह को लेकर गत दिनों मीडिया में ऐसी रिपोर्ट छपी जिससे पता चला कि वहां एक बच्चे का यौन शोषण हो रहा था. साथ ही बालगृह में बच्चों को अमानवीय स्थिति में रखा जाता है. उन्हें साफ भोजन, हवा, पानी से भी महरूम रखा जा रहा है. इतना ही नहीं बच्चों के साथ मारपीट किए जाने की भी शिकायतें मिली है. याचिका में कहा गया है कि इन तमाम मुद्दों को लेकर बाल कल्याण समिति प्रयागराज ने 17 सितंबर 2022 को अपनी रिपोर्ट जिला प्रोबेशन अधिकारी के माध्यम से जिलाधिकारी को भेजी थी. मगर बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिला प्रशासन ने अपनी ओर से एक जांच कमेटी गठित कर दी और कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बाल गृह में सब ठीक-ठाक है. याचिका में कहा गया है कि डीएम द्वारा गठित कमेटी ने यौन शोषण का शिकार उस पीड़ित बच्चे की मां से भी बात करने की जरूरत नहीं समझी और ना ही बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट पर ही कोई ध्यान दिया.

याचिका में बाल कल्याण की समिति की रिपोर्ट और पीड़ित बच्चे की मां की ओर से की गई लिखित शिकायत की प्रतियां भी दाखिल की गई हैं. याचिका में कहा गया है कि जिलाधिकारी और जिला प्रोबेशन अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में पूरी तरीके से असफल रहे हैं. याचिका में यह भी कहा गया है कि बाल कल्याण समिति के एक सदस्य ने 15 सितंबर 2022 को भी बाल गृह का निरीक्षण किया था. जहां पाया कि वहां पर बच्चों को सिर्फ एक बार भोजन दिया जाता है. वह भी पुराना व बासी खाना दिया जाता है. साथ ही बच्चों के साथ मारपीट करने की भी शिकायत मिली है. बच्चों को जिस कमरे में रखा जाता है. उसमें हवा आने की कोई व्यवस्था नहीं है. बच्चे पुराने बिस्तर पर सोते हैं. जिन पर चद्दर भी नहीं है. याची का कहना है कि इन तमाम रिपोर्टों पर संबंधित अधिकारियों ने ना तो ध्यान दिया और ना ही कोई कार्रवाई की. इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

यह भी पढ़ें- SC ने बिना ओबीसी आरक्षण निकाय चुनाव के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने राजरूपुर स्थित बाल गृह (Rajrooppur Children Home) में बच्चों के यौन शोषण तथा बाल गृह की खराब दशा को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. याचिका अनुराधा गुप्ता की ओर से दाखिल की गई है. जिस पर मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल (Chief Justice Rajesh Bindal) और न्यायमूर्ति जीजी मुनीर की खंडपीठ ने सुनवाई की.

याची के अधिवक्ता केके राय और प्रबल प्रताप का कहना था कि राजरूप बाल गृह को लेकर गत दिनों मीडिया में ऐसी रिपोर्ट छपी जिससे पता चला कि वहां एक बच्चे का यौन शोषण हो रहा था. साथ ही बालगृह में बच्चों को अमानवीय स्थिति में रखा जाता है. उन्हें साफ भोजन, हवा, पानी से भी महरूम रखा जा रहा है. इतना ही नहीं बच्चों के साथ मारपीट किए जाने की भी शिकायतें मिली है. याचिका में कहा गया है कि इन तमाम मुद्दों को लेकर बाल कल्याण समिति प्रयागराज ने 17 सितंबर 2022 को अपनी रिपोर्ट जिला प्रोबेशन अधिकारी के माध्यम से जिलाधिकारी को भेजी थी. मगर बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिला प्रशासन ने अपनी ओर से एक जांच कमेटी गठित कर दी और कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बाल गृह में सब ठीक-ठाक है. याचिका में कहा गया है कि डीएम द्वारा गठित कमेटी ने यौन शोषण का शिकार उस पीड़ित बच्चे की मां से भी बात करने की जरूरत नहीं समझी और ना ही बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट पर ही कोई ध्यान दिया.

याचिका में बाल कल्याण की समिति की रिपोर्ट और पीड़ित बच्चे की मां की ओर से की गई लिखित शिकायत की प्रतियां भी दाखिल की गई हैं. याचिका में कहा गया है कि जिलाधिकारी और जिला प्रोबेशन अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में पूरी तरीके से असफल रहे हैं. याचिका में यह भी कहा गया है कि बाल कल्याण समिति के एक सदस्य ने 15 सितंबर 2022 को भी बाल गृह का निरीक्षण किया था. जहां पाया कि वहां पर बच्चों को सिर्फ एक बार भोजन दिया जाता है. वह भी पुराना व बासी खाना दिया जाता है. साथ ही बच्चों के साथ मारपीट करने की भी शिकायत मिली है. बच्चों को जिस कमरे में रखा जाता है. उसमें हवा आने की कोई व्यवस्था नहीं है. बच्चे पुराने बिस्तर पर सोते हैं. जिन पर चद्दर भी नहीं है. याची का कहना है कि इन तमाम रिपोर्टों पर संबंधित अधिकारियों ने ना तो ध्यान दिया और ना ही कोई कार्रवाई की. इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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