[18/01, 21:20] अखिलेश त्रिपाठी प्रेस: हाईकोर्ट ने तलब किया रिकार्ड, अगली सुनवाई मार्च में
प्रयागराज। विधि संवाददाता
जवाहर पंडित हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले करवरिया बंधु ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल करके सेशन कोर्ट के निर्णय को चुनौती दी है। कोर्ट ने अपील पर अधीनस्थ अदालत का रिकार्ड तलब किया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने अधिवक्ता भुवनराज को सुनने के बाद अपील को विचारार्थ स्वीकार करते हुए दिया है। वर्ष 1996 में सिविल लाइंस में जवाहर पंडित सहित तीन लोगों की अंधाधुंध गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी। सेशन कोर्ट ने ट्रायल के बाद चार नवंबर 2019 को पारित अपने निर्णय में आरोपी पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया, पूर्व विधायक उदयभान करवरिया, पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया एवं उनके मामा रामचंद्र उर्फ कल्लू को दोषसिद्ध करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कोर्ट अधीनस्थ अदालत का रिकार्ड तलब करते हुए अपील को सुनवाई के लिए 16 मार्च से प्रारंभ होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है।
[18/01, 21:20] अखिलेश त्रिपाठी प्रेस: हाईकोर्ट ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से मांगा जवाब
प्रयागराज, 18 जनवरी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम विकास अधिकारी भर्ती 2016 की लिखित परीक्षा में एक प्रश्न के सही विकल्प को चुनौती देने वाली याचिका पर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से जवाब मांगा है।
प्रश्न है बाबर नामा का लेखक कौन है ? इसके जवाब को लेकर आयोग द्वारा जारी दो आंसर की में अलग-अलग विकल्पों को सही माना गया है। प्रिंस कुमार मिश्र और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने आयोग को 21 जनवरी तक पूरी जानकारी के साथ पक्ष रखने के लिए कहा है।
याची के अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि ग्राम विकास अधिकारी भर्ती का अंतिम चयन परिणाम 18 जुलाई 2018 को जारी हुआ। याची लिखित परीक्षा में सफल होने के बावजूद चयनित नहीं हो सका। जबकि सामान्य श्रेणी के कट ऑफ मार्क्स के ठीक बराबर उसके अंक हैं। इसे लेकर उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान उसे दूसरी संशोधित आंसर की उपलब्ध कराई गयी।
आयोग की पहली आंसर की में चार विकल्पों में बाबरनामा को लेकर पूछे गये विकल्प का याची ने जो जवाब दिया, उसे पहली आंसर में सही जवाब माना गया। मगर बाद में जारी संशोधित आंसर की में इसे गलत मान लिया गया। कोर्ट का कहना था कि एक प्रश्न का अंक यदि याची को मिल जाता है तो वह चयनित हो सकता है। आयोग को बताने के लिए कहा है कि क्या याची के अंक कट ऑफ अंक के बराबर हैं। याचिका पर 21 जनवरी को सुनवाई होगी।
[18/01, 22:18] अखिलेश त्रिपाठी प्रेस: प्रयागराज। विधि संवाददाता
हाईकोर्ट प्रशासन ने प्रदेश के विभिन्न जिला न्यायालयों में कार्यरत सिविल जज (जूनियर डिवीजन) को प्रोन्नत कर जज खफीफा/सिविल जज (वरिष्ठ श्रेणी)/सिविल जज (वरिष्ठ श्रेणी)(एफटीसी)/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का पूर्णकालिक सचिव/अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बनाया है।
रजिस्ट्रार जनरल की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार प्रोन्नत न्यायिक अधिकारियों में इलाहाबाद की मुंसिफ शर्की सौम्या गिरि को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) (फास्ट ट्रैक कोर्ट) बनाया है जबकि फास्ट ट्रैक कोर्ट में तैनात तारकेश्वरी प्रसाद सिंह अपर सिविल जज (वरिष्ठ श्रेणी)/एसीजेएम बनाया है। इसी प्रकार प्रतापगढ़ के सिविल जज आनंद कुमार उपाध्याय को वहीं एसीजेएम और कुंडा के सिविल जज राजीव मुकुल पांडेय को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का पूर्णकालिक सचिव बनाया है।
[18/01, 22:38] अखिलेश त्रिपाठी प्रेस: हाईकोर्ट ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से मांगा जवाब
प्रयागराज। विधि संवाददाता
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम विकास अधिकारी भर्ती 2016 की लिखित परीक्षा में शाहजहांनामा व हुमायूंनामा के लेखक से जुड़े प्रश्न के सही उत्तर विकल्प को चुनौती देने वाली याचिका पर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने प्रिंस कुमार मिश्र व अन्य की याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह को सुनकर दिया है। वीडीओ भर्ती की लिखित परीक्षा के प्रश्न- बाबरनामा, शाहजहांनामा, हुमायूंनााम व तुजुक ए जहांगीरी के लेखकों के जवाब को लेकर आयोग से जारी दो आंसर-की में अलग-अलग विकल्प को सही माना गया है। कोर्ट ने आयोग को 21 जनवरी तक पूरी जानकारी के साथ पक्ष रखने को कहा है। अधिवक्ता सीमांत सिंह ने कोर्ट को बताया कि ग्राम विकास अधिकारी भर्ती का अंतिम चयन परिणाम 18 जुलाई 2018 को जारी हुआ। याची लिखित परीक्षा में सफल होने के बावजूद चयनित नहीं हो सका। जबकि उसके अंक सामान्य श्रेणी के कट ऑफ मार्क्स के बराबर हैं। इसपर उसने याचिका दाखिल की थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान उसे दूसरी संशोधित आंसर-की उपलब्ध कराई गई। आयोग की पहली आंसर-की में चार विकल्पों में हुमायूंनामा को लेकर पूछे गए विकल्प का याची ने जो जवाब दिया, उसे सही उत्तर माना गया। बाद में जारी संशोधित आंसर-की में इसकी जगह दूसरे विकल्प को सही उत्तर माना गया। एडवोकेट सीमांत सिंह का कहना था कि इस एक प्रश्न का अंक यदि याची मिल जाता है तो वह चयनित हो सकता है। कोर्ट ने आयोग से यह भी बताने को कहा है कि याची के अंक कट ऑफ मार्क्स के बराबर हैं या नहीं।