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हाईकोर्ट ने ओप्पो मोबाइल इंडिया के डायरेक्टर व मैनेजर के खिलाफ कार्रवाई पर लगाई रोक...

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Published : Jan 6, 2022, 10:10 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओप्पो कंपनी के निदेशक मोहिन्दर सिंह मलिक व प्रबंधक संजय गोयल के खिलाफ ग्रेटर नोएडा में दर्ज एफआईआर के तहत  कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओप्पो कंपनी के निदेशक मोहिन्दर सिंह मलिक व प्रबंधक संजय गोयल के खिलाफ ग्रेटर नोएडा में दर्ज एफआईआर के तहत कार्रवाई पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने विपक्षी शिकायतकर्ता बसु भाटी को नोटिस जारी कर उनसे याचिका पर जवाब मांगा है.

शिकायतकर्ता बसु भाटी ने ओप्पो कंपनी के निदेशक व प्रबंधक के खिलाफ थाना- नालेज पार्क, ग्रेटर नोएडा, गौतम बुद्ध नगर में प्राथमिकी दर्ज कराई है.

प्राथमिकी में कहा गया है कि शिकायत कर्ता ने ओप्पो एफ -11 ब्रांड का मोबाइल जुलाई 2019 मे खरीदा. मोबाइल सितम्बर 2020 मे जेब में ही फट गया.

मोबाइल जेब में फट जाने से वह घायल हो गया और उसे अस्पताल ले जाया गया. इस घटना की सूचना मिलने पर उसकी दादी को हार्ट अटैक पड़ा और उनकी मौत हो गई.

याचिका मे बहस की गई थी कि कम्पनी के निदेशक व प्रबंधक के खिलाफ कोई केस नहीं बनता है. याची को अपनी बात रखने के लिए जिला उपभोक्ता फोरम या सिविल कोर्ट में जाना चाहिए था.

ये भी पढ़ेंः IIT Kanpur: फरवरी में पीक पर होगी कोरोना की तीसरी लहर, अप्रैल में तेजी से घटेंगे केस...पढ़िए पूरी खबर

बहस की गई कि सुप्रीम कोर्ट ने रवीन्द्र नाथ बाजपे केस में कहा है कि कम्पनी के उत्पाद की खामी के लिए निदेशक व प्रबंधक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि उनके खिलाफ व्यक्तिगत लांछन न लगा हो.

न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने याची संजय गोयल की याचिका पर यह फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया कानून के प्रक्रिया के दुरूपयोग का मामला लगता है.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओप्पो कंपनी के निदेशक मोहिन्दर सिंह मलिक व प्रबंधक संजय गोयल के खिलाफ ग्रेटर नोएडा में दर्ज एफआईआर के तहत कार्रवाई पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने विपक्षी शिकायतकर्ता बसु भाटी को नोटिस जारी कर उनसे याचिका पर जवाब मांगा है.

शिकायतकर्ता बसु भाटी ने ओप्पो कंपनी के निदेशक व प्रबंधक के खिलाफ थाना- नालेज पार्क, ग्रेटर नोएडा, गौतम बुद्ध नगर में प्राथमिकी दर्ज कराई है.

प्राथमिकी में कहा गया है कि शिकायत कर्ता ने ओप्पो एफ -11 ब्रांड का मोबाइल जुलाई 2019 मे खरीदा. मोबाइल सितम्बर 2020 मे जेब में ही फट गया.

मोबाइल जेब में फट जाने से वह घायल हो गया और उसे अस्पताल ले जाया गया. इस घटना की सूचना मिलने पर उसकी दादी को हार्ट अटैक पड़ा और उनकी मौत हो गई.

याचिका मे बहस की गई थी कि कम्पनी के निदेशक व प्रबंधक के खिलाफ कोई केस नहीं बनता है. याची को अपनी बात रखने के लिए जिला उपभोक्ता फोरम या सिविल कोर्ट में जाना चाहिए था.

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बहस की गई कि सुप्रीम कोर्ट ने रवीन्द्र नाथ बाजपे केस में कहा है कि कम्पनी के उत्पाद की खामी के लिए निदेशक व प्रबंधक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि उनके खिलाफ व्यक्तिगत लांछन न लगा हो.

न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने याची संजय गोयल की याचिका पर यह फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया कानून के प्रक्रिया के दुरूपयोग का मामला लगता है.

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