प्रयागराज: दशहरा दुर्गा पूजा (Dussehra Durga Puja) के बाद दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन की व्यवस्था को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के जिला प्रशासन से जानकारी तलब की है. कोर्ट ने यह बताने का निर्देश दिया है कि दुर्गा पूजा के बाद मूर्तियों का विसर्जन कराने के लिए प्रशासन ने क्या इंतजाम किए हैं. प्रदूषण के मद्देनजर हाई कोर्ट ने गंगा और यमुना में मूर्तियों के विसर्जन पर पहले ही रोक लगा रखी है.
कोर्ट ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत गंगा के किनारे कृत्रिम तालाब बनाकर मूर्तियों का विसर्जन करने का पूर्व में निर्देश दिया था. पूर्व में पारित आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए बंगाली वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव डॉ. पी के राय ने जनहित याचिका दाखिल की है. याचिका पर बुधवार को न्यायमूर्ति प्रितांकर दिवाकर और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की पीठ ने सुनवाई की. अदालत ने जिला प्रशासन को एक सप्ताह में अवगत कराने का निर्देश दिया है कि मूर्ति विसर्जन को लेकर के क्या इंतजाम किए गए है. मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर 22 नियत की गई है. याचिका पर पक्ष रख रहें अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव और सुनीता शर्मा का कहना था कि मूर्ति विसर्जन पहले सरस्वती घाट में हुआ करता लेकिन वर्ष 2014 गंगा और यमुना में प्रदूषण ना हो इसलिए हाईकोर्ट ने प्रदेश के 26 जिलों में जहां से गंगा बहती हैं और प्रमुख रूप से प्रयागराज में गंगा के किनारे कृत्रिम तलाव बनाकर तथा केंद्रीय प्रदूषण के मानकों के अनुसार मां दुर्गा के मूर्तियों का विसर्जन करने का आदेश दिया था.
इसके बाद प्रशासन ने कुछ वर्षों तक बांध के नीचे काली सड़क पर गंगा के किनारे कृत्रिम तलाव बनाकर मूर्तियों का विसर्जन कराया. फिर इस आदेश का उलंघन करते हुए मूर्तियों का विसर्जन अनधवा गंदे तालाब में कराया गया जिसे लेकर के तत्कालीन जिलाधिकारी भानू चंद्र गोस्वामी एवम संजय के खिलाफ अवमानना याचिका उच्च न्यायालय में लंबित है.