प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस कॉन्स्टेबल और पीएसी भर्ती 2015 के रिक्त पदों को अगली भर्ती के लिए कैरी फॉरवर्ड करने पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने अजय कुमार मिश्र और अन्य की याचिका पर दिया है. याचीगण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने बहस की.
याची का कहना है कि पुलिस भर्ती बोर्ड ने 29 दिसंबर 2015 को 28916 नागरिक पुलिस और पीएससी कॉन्स्टेबल और 5800 महिला कॉन्स्टेबल नागरिक पुलिस के पदों का विज्ञापन जारी किया था. इसका अंतिम परिणाम 15 मई 2018 को और संशोधित परिणाम 21 मई 2018 को घोषित किया गया. इसके बाद याचीगण ने याचिका दाखिल कर कहा कि भर्ती में बचे हुए पदों पर मेरिट नीचे लाकर नियुक्तियां की जाएं और पदों को कैरी फॉरवर्ड न किया जाए. याचीगण का कहना था कि बहुत से ऐसे अभ्यर्थी जो दस्तावेजों के सत्यापन के समय या मेडिकल टेस्ट में चयन से बाहर हो गए थे या जिन्होंने ट्रेनिंग बीच में छोड़ दी, उनके पद रिक्त हैं. पुलिस भर्ती बोर्ड ने 23 जनवरी 2019 को ऐसे ही मामले में 2018 की भर्ती के 13 पदों को भरा है. इसलिए 2015 की भर्ती में बचे हुए पदों को मेरिट में नीचे रह गए अभ्यर्थियों से भरा जाए, न कि उनको कैरी फॉरवर्ड किया जाए. कोर्ट ने इस मामले में पुलिस भर्ती बोर्ड और प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है. साथ ही पदों को अगली भर्ती के लिए कैरी फारवर्ड करने पर रोक लगा दी है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम विकास अधिकारी पद की भर्ती के मामले में मांगी जानकारी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम विकास अधिकारी पद की भर्ती के उत्तर विकल्पों की गलती को दुरुस्त करने के लिए लखनऊ पीठ आदेश के पालन की कार्यवाही की जानकारी मांगी है. साथ ही यह पूछा कि आयोग ने निर्णय लिया है या नहीं. यदि हां तो हलफनामा दाखिल करें. याचिका की अगली सुनवाई 6 मार्च को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने मृत्युंजय सिंह और अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता एमए सिद्दीकी ने बहस की.