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हाईकोर्ट ने कहा- सरकारी वकीलों को वर्चुअल सुनवाई के लिए संसाधन मुहैया कराए प्रदेश सरकार - सरकारी वकीलों को संसाधन मुहैया कराए प्रदेश सरकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसा लगता है कि प्रदेश सरकार के अधिवक्ताओं के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बहस में शामिल होने और सरकार का पक्ष रखने के लिए संसाधन नहीं हैं. निर्देश दिया कि प्रदेश सरकार सरकारी वकीलों को वर्चुअल सुनवाई के लिए संसाधन मुहैया कराए.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Apr 17, 2021, 10:53 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा कि कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमों की भौतिक सुनवाई बंद की गई है. सिर्फ वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई की जा रही हैं. ऐसा लगता है कि प्रदेश सरकार के अधिवक्ताओं के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बहस में शामिल होने और सरकार का पक्ष रखने के लिए संसाधन नहीं हैं. इसे देखते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह सरकारी वकीलों को वर्चुअल सुनवाई के लिए संसाधन मुहैया कराए.

ये था पूरा मामला
आदेश के मुताबिक न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र की अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई चल रही थी. उस दौरान कुछ अपर शासकीय अधिवक्ता सरकार का पक्ष रखने के लिए भौतिक रूप से न्यायालय कक्ष में उपस्थित थे. ऐसा देखकर अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया. अदालत ने कहा कि मुकदमों की सुनवाई जब सिर्फ वर्चुअल हो रही है तो भौतिक उपस्थिति का मतलब क्या है.

इसे भी पढ़ेंः नाबालिग से शादी करने वाले को कोर्ट ने माना दुष्कर्मी, सुनाई दस साल की सजा

संसाधन उपलब्ध कराएं
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जब मुख्य न्यायाधीश ने यह तय कर दिया कि सुनवाई सिर्फ वर्चुअल होगी तो कोई वजह नहीं कि सरकारी वकील भौतिक रूप से अदालत में उपस्थित हों. हाईकोर्ट की कोविड-19 मामलों की कमेटी के समक्ष उपस्थित अपर महाधिवक्ता ने आश्ववासन दिया था कि सरकारी वकीलों को वर्चुअल सुनवाई के लिए सभी संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे. अदालत ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए सरकारी वकीलों के हितों को नजरअंदाज नहीं कर सकती है. न्यायालय ने महाधिवक्ता को स्वयं इस प्रकरण को व्यक्तिगत रूप से देखने को कहा है और मामले कि अगली सुनवाई की तिथि 22 अप्रैल नीयत की है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा कि कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमों की भौतिक सुनवाई बंद की गई है. सिर्फ वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई की जा रही हैं. ऐसा लगता है कि प्रदेश सरकार के अधिवक्ताओं के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बहस में शामिल होने और सरकार का पक्ष रखने के लिए संसाधन नहीं हैं. इसे देखते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह सरकारी वकीलों को वर्चुअल सुनवाई के लिए संसाधन मुहैया कराए.

ये था पूरा मामला
आदेश के मुताबिक न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र की अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई चल रही थी. उस दौरान कुछ अपर शासकीय अधिवक्ता सरकार का पक्ष रखने के लिए भौतिक रूप से न्यायालय कक्ष में उपस्थित थे. ऐसा देखकर अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया. अदालत ने कहा कि मुकदमों की सुनवाई जब सिर्फ वर्चुअल हो रही है तो भौतिक उपस्थिति का मतलब क्या है.

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संसाधन उपलब्ध कराएं
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जब मुख्य न्यायाधीश ने यह तय कर दिया कि सुनवाई सिर्फ वर्चुअल होगी तो कोई वजह नहीं कि सरकारी वकील भौतिक रूप से अदालत में उपस्थित हों. हाईकोर्ट की कोविड-19 मामलों की कमेटी के समक्ष उपस्थित अपर महाधिवक्ता ने आश्ववासन दिया था कि सरकारी वकीलों को वर्चुअल सुनवाई के लिए सभी संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे. अदालत ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए सरकारी वकीलों के हितों को नजरअंदाज नहीं कर सकती है. न्यायालय ने महाधिवक्ता को स्वयं इस प्रकरण को व्यक्तिगत रूप से देखने को कहा है और मामले कि अगली सुनवाई की तिथि 22 अप्रैल नीयत की है.

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