प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी कि आरोपी की आयु का निर्धारण किशोर न्याय कानून के तहत ही किया जायेगा. कोर्ट ने कहा कि जब हाई स्कूल प्रमाणपत्र मौजूद हो तो अन्य साक्ष्य की आवश्यकता नहीं है, वही पर्याप्त सबूत है. कोर्ट ने प्राथमिक विद्यालय के रजिस्टर की प्रविष्टि के आधार पर आयु निर्धारण न करने के निचली अदालत के आदेश को वैधानिक करार दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने सुरेंद्र सिंह की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए दिया है. सुरेंद्र सिंह द्वारा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जालौन उरई के विपक्षी रामू सिंह को किशोर ठहराने के आदेश को चुनौती दी गई थी. याचिका पर विपक्षी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता दया शंकर मिश्र व चंद्र केश मिश्र ने प्रतिवाद किया.
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गौरतलब है कि शिकायतकर्ता सुरेंद्र सिंह के पुत्र की हत्या के आरोप में 20 मार्च 2015 को एफआईआर दर्ज कराई गई. 16 अक्टूबर 2015 को 8 अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई. विपक्षी रामू सिंह ने हाई स्कूल प्रमाणपत्र के आधार पर स्वयं को किशोर घोषित करने की अर्जी दी थी. जिस पर याची की तरफ से विरोध किया गया. हाई स्कूल प्रमाणपत्र में विपक्षी की जन्म तिथि 4मई 1997 दर्ज है. जिसके अनुसार घटना के समय विपक्षी की आयु 17 वर्ष 10माह 15 दिन है. याची ने प्राथमिक विद्यालय के रजिस्टर के आधार पर विपक्षी की जन्म तिथि 03 जुलाई 1996 होने के आधार पर आयु 21 वर्ष होने के कारण आपत्ति की.
कोर्ट ने अर्जी मंजूर कर ली और विपक्षी को किशोर घोषित किया. इसके बाद हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने अपर सत्र न्यायालय के आदेश को सही माना और याचिका खारिज कर दी.