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High court news: देरी से पीएफ काटने वाली संस्था की याचिका खारिज की - भविष्य निधि की न्यूज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि कोई संस्था अपने कर्मचारियों की कर्मचारी भविष्य निधि अंशदान का भुगतान लंबे समय तक नहीं करती है तो वह इस वजह से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए उत्तरदायी है.

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High court news: देरी से पीएफ काटने वाली संस्था की याचिका खारिज की
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Published : Mar 27, 2023, 10:30 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि कोई संस्था अपने कर्मचारियों की कर्मचारी भविष्य निधि अंशदान का भुगतान लंबे समय तक नहीं करती है तो वह इस वजह से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए उत्तरदायी है. कोर्ट ने इस मामले में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा संस्था पर नुकसान के लिए लगाई गई लेवी को उचित माना है. बीएनडीएस शिक्षा निकेतन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की याचिका को खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा ने दिया.

मामले के अनुसार बीएनडीएस शिक्षा निकेतन ने यह कहते हुए याचिका दाखिल की थी कि वह एक प्राइवेट रजिस्टर्ड शैक्षणिक संस्था है जिसमें 10 से कम कर्मचारी काम करते हैं. उसे 4 जून 1991 को पहली बार बताया गया कि उनकी संस्था कर्मचारी भविष्य निधि योजना के अंतर्गत आती है तथा यह योजना उनकी संस्था पर एक जुलाई 1990 से लागू होगी इसके बाद उनकी संस्था के खिलाफ बकाया वसूली की कार्रवाई शुरू कर दी है जिस पर याची संस्था ने 1990 से लेकर 1995 तक का कर्मचारियों का पूरा अंशदान जमा कर दिया. इसके बाद उसे नोटिस जारी कर विलंब से अंशदान जमा करने से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए कहा गया.

इस याचिका में चुनौती दी गई. संस्था के अधिवक्ता का कहना था कि संस्था पहले ही बकाया अंशदान जमा कर चुकी है और अंशदान जमा करने में जो विलंब हुआ है वह विरुद्ध चल रही कार्रवाई के कारण हुआ है मगर नोटिस जारी करते समय इस पर विचार नहीं किया गया. कोर्ट का कहना है था की याची संस्था ने यह स्वीकार किया है कि वह इस योजना के अंतर्गत आता है तथा एक बार जब यह मान लिया गया कि यह योजना उनकी संस्था पर लागू होगी तो फिर याची संस्था विलंब से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए बाध्य है. कोर्ट ने कहा स्पष्ट है कि याची संस्था ने लंबे समय तक कर्मचारियों का अंशदान जमा नहीं किया इस वजह से वह नुकसान की भरपाई करने के लिए उत्तरदायी है क्योंकि विलंब याची की ओर से किया गया है इसलिए ईपीएफ एक्ट की धारा 14 बी के तहत नुकसान की भरपाई के लिए जारी नोटिस उचित है.

ये भी पढ़ेंः नैनी सेंट्रल जेल में अतीक अहमद और अशरफ ने ली राहत की सांस

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि कोई संस्था अपने कर्मचारियों की कर्मचारी भविष्य निधि अंशदान का भुगतान लंबे समय तक नहीं करती है तो वह इस वजह से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए उत्तरदायी है. कोर्ट ने इस मामले में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा संस्था पर नुकसान के लिए लगाई गई लेवी को उचित माना है. बीएनडीएस शिक्षा निकेतन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की याचिका को खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा ने दिया.

मामले के अनुसार बीएनडीएस शिक्षा निकेतन ने यह कहते हुए याचिका दाखिल की थी कि वह एक प्राइवेट रजिस्टर्ड शैक्षणिक संस्था है जिसमें 10 से कम कर्मचारी काम करते हैं. उसे 4 जून 1991 को पहली बार बताया गया कि उनकी संस्था कर्मचारी भविष्य निधि योजना के अंतर्गत आती है तथा यह योजना उनकी संस्था पर एक जुलाई 1990 से लागू होगी इसके बाद उनकी संस्था के खिलाफ बकाया वसूली की कार्रवाई शुरू कर दी है जिस पर याची संस्था ने 1990 से लेकर 1995 तक का कर्मचारियों का पूरा अंशदान जमा कर दिया. इसके बाद उसे नोटिस जारी कर विलंब से अंशदान जमा करने से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए कहा गया.

इस याचिका में चुनौती दी गई. संस्था के अधिवक्ता का कहना था कि संस्था पहले ही बकाया अंशदान जमा कर चुकी है और अंशदान जमा करने में जो विलंब हुआ है वह विरुद्ध चल रही कार्रवाई के कारण हुआ है मगर नोटिस जारी करते समय इस पर विचार नहीं किया गया. कोर्ट का कहना है था की याची संस्था ने यह स्वीकार किया है कि वह इस योजना के अंतर्गत आता है तथा एक बार जब यह मान लिया गया कि यह योजना उनकी संस्था पर लागू होगी तो फिर याची संस्था विलंब से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए बाध्य है. कोर्ट ने कहा स्पष्ट है कि याची संस्था ने लंबे समय तक कर्मचारियों का अंशदान जमा नहीं किया इस वजह से वह नुकसान की भरपाई करने के लिए उत्तरदायी है क्योंकि विलंब याची की ओर से किया गया है इसलिए ईपीएफ एक्ट की धारा 14 बी के तहत नुकसान की भरपाई के लिए जारी नोटिस उचित है.

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