प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला अधिकारी हमीरपुर द्वारा मनमाने तरीके से ग्राम प्रधान के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार जप्त करने के आदेश पर नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने कहा कि डीएम को ठीक तरीके से प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है. कोर्ट ने डीएम हमीरपुर डॉक्टर चंद्र भूषण द्वारा पारित आदेश को रद्द करते हुए मुख्य सचिव से कहा है कि वह डीएम को उचित प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था करें. साथ ही इस आदेश की प्रति डीएम के सर्विस रिकॉर्ड में भी दर्ज करने का आदेश दिया है. ग्राम प्रधान रजनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने दिया.
ग्राम प्रधान के अधिवक्ता का कहना था कि याची के विरुद्ध शिकायत की गई थी. जिसकी प्रारंभिक जांच का आदेश दिया गया और उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. याची ने अपना जवाब दाखिल किया. इसके बाद 18 फरवरी 2023 को डीएम ने आदेश जारी कर याची के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार जब्त कर लिए. इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. याची के अधिवक्ता का यह भी कहना था कि शिकायत की जांच के लिए गठित 3 सदस्य समिति में शिकायतकर्ता को भी शामिल कर लिया गया.
कोर्ट ने आदेश देखने के बाद कहा कि हमें यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि डीएम हमीरपुर डॉक्टर चंद्र भूषण ने न्याय के सभी पहलुओं को हवा में उड़ा दिया और अपने अधिकार का प्रयोग मनमाने तथा चलताऊ तरीके से किया है. कोर्ट ने कहा कि यह भली-भांति स्थापित है कि वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार जब्त करना एक गंभीर मामला है. जबकि मौजूदा मामले में बिना जांच के ही मान लिया गया कि याची पर लगाए गए सभी आरोप सही हैं.
आदेश पारित करते समय धारा 95(1 )(जी ) के किसी भी प्रावधान को नहीं माना गया. शिकायतकर्ता को जांच कमेटी में शामिल करना जिला अधिकारी द्वारा न्यायिक अनुशासन की कमी को बताता है. जिला अधिकारी ने आदेश पारित करते समय विवेक का प्रयोग नहीं किया. कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह डीएम को उचित प्रशिक्षण देना सुनिश्चित करें. ताकि भविष्य में इस प्रकार की गलती ना करें तथा इस आदेश को चंद्रभूषण के सर्विस रिकॉर्ड में भी रखने का निर्देश दिया है.
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