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हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्चे की अभिरक्षा माता-पिता को सौंपी

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Published : Jun 9, 2022, 9:50 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खुल्दाबाद प्रयागराज एसएचओ द्वारा पेश नाबालिग को उसके माता-पिता को सौंप दिया है और पुलिस को उनके घर तक सुरक्षित पहुचाने का आदेश दिया है.

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हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्चे की अभिरक्षा माता-पिता को सौंपी

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खुल्दाबाद प्रयागराज एसएचओ द्वारा पेश नाबालिग को उसके माता-पिता को सौंप दिया है और पुलिस को उनके घर तक सुरक्षित पहुचाने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने जिलाधिकारी प्रयागराज संजय कुमार खत्री व अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना आरोप निर्मित करने के लिए 5 जुलाई को हाजिर होने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने एक अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

मालूम हो कि कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर 14 सितंबर 21 को बच्चे को माता पिता की अभिरक्षा में सौंपने का आदेश दिया था जिसके खिलाफ एसएलपी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और एक हफ्ते में बच्चे को माता पिता को सौंपने का निर्देश दिया है.

इसके बावजूद आदेश का पालन नहीं किया गया तो कोर्ट ने एसएचओ खुल्दाबाद को बच्चे को पेश करने का निर्देश दिया था. याची सहित एसएचओ एवं माता पिता हाजिर हुए जिसपर कोर्ट ने तत्काल बच्चे को माता पिता को सौंपने का आदेश दिया. जिलाधिकारी का कहना था कि अवमानना याचिका हाईकोर्ट के बजाय सुप्रीम कोर्ट में होनी चाहिए. कोर्ट ने विपक्षियों को आरोप पत्र निर्मित करने के लिए तलब किया है.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खुल्दाबाद प्रयागराज एसएचओ द्वारा पेश नाबालिग को उसके माता-पिता को सौंप दिया है और पुलिस को उनके घर तक सुरक्षित पहुचाने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने जिलाधिकारी प्रयागराज संजय कुमार खत्री व अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना आरोप निर्मित करने के लिए 5 जुलाई को हाजिर होने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने एक अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

मालूम हो कि कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर 14 सितंबर 21 को बच्चे को माता पिता की अभिरक्षा में सौंपने का आदेश दिया था जिसके खिलाफ एसएलपी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और एक हफ्ते में बच्चे को माता पिता को सौंपने का निर्देश दिया है.

इसके बावजूद आदेश का पालन नहीं किया गया तो कोर्ट ने एसएचओ खुल्दाबाद को बच्चे को पेश करने का निर्देश दिया था. याची सहित एसएचओ एवं माता पिता हाजिर हुए जिसपर कोर्ट ने तत्काल बच्चे को माता पिता को सौंपने का आदेश दिया. जिलाधिकारी का कहना था कि अवमानना याचिका हाईकोर्ट के बजाय सुप्रीम कोर्ट में होनी चाहिए. कोर्ट ने विपक्षियों को आरोप पत्र निर्मित करने के लिए तलब किया है.

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