प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृगांर गौरी मामले में कोर्ट कमीशन की कार्यवाही के दौरान मस्जिद परिसर में पाई गई शिवलिंग आकृति की कार्बन डेटिंग के जरिए साइंटिफिक सर्वे कराने के मामले में एएसआई की ओर से जवाब न दाखिल होने और इसके लिए समय मांगे जाने पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने एएसआई को जवाब दाखिल करने के लिए आखिरी मौका देते हुए पूछा कि बिना नुकसान पहुंचाए उस शिवलिंग आकृति की कार्बन डेटिंग कैसे होगी?
यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने कथित शिवलिंग आकृति की कार्बन डेटिंग के जरिए साइंटिफिक सर्वे कराने की मांग में दाखिल याचिका पर अधिवक्ता पांडेय को सुनकर दिया. हाईकोर्ट ने एएसआई को दो माह का समय देते हुए यह बताने को कहा था कि बिना नुकसान पहुंचाए शिवलिंग आकृति की कार्बन डेटिंग कैसे की जा सकती है. सोमवार को एएसआई ओर से जवाब नहीं दाखिल किया गया तो कोर्ट ने इस पर नाराज़गी जताई. साथ ही मामले में अगली सुनवाई के लिए 5 अप्रैल की तारीख लगाते हुए एएसआई को बिना नुकसान पहुंचाए उस शिवलिंग आकृति की कार्बन डेटिंग के संदर्भ में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
बता दें कि बीते साल मई में ज्ञानवापी मस्जिद का एक सर्वे हुआ था. इसके बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि वहां धार्मिक चिह्नों के साथ ही वजूखाने के बीच में शिवलिंग मिला है. हालांकि मुस्लिम पक्ष ने उसके फव्वारा होने का दावा किया था. इसके बाद हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट में कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक जांच की मांग उठाई गई थी. साथ ही कहा गया था कि हिंदू पक्ष की भावनाओं को ध्यान रखते हुए शिवलिंग को नुकसान न पहुंचाया जाए.