ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद विवाद(Gyanvapi Temple Mosque Controversy) को लेकर अंजुमन इंतजामियां मस्जिद वाराणसी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे पर असंतोष जताया है. कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव गृह को इस मामले में 10 दिन के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.कोर्ट ने संस्कृति मंत्रालय के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से दाखिल संक्षिप्त हलफनामे पर भी असंतोष जाहिर किया है तथा निदेशक पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को भी 10 दिन के भीतर अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. याचिका पर न्यायमूर्ति प्रकाश पाटिया की एकल पीठ सुनवाई कर रही है.
इसके पूर्व कोर्ट ने याची पक्ष और मंदिर पक्ष की ओर से दाखिल जवाब पर प्रदेश सरकार और पुरातत्व विभाग को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. मंगलवार को सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने प्रदेश सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल किया. कोर्ट ने इस हलफनामे पर हैरानी जताई क्योंकि इसमें पैरा 3 से लेकर पैरा 50 तक के जवाब में सिर्फ यही लिखा गया था कि 'किसी टिप्पणी की आवश्यकता नहीं है'. इसी प्रकार से पुरातत्व विभाग की ओर से ढाई पेज का संक्षिप्त हलफनामा दाखिल किया गया. सुनवाई के दौरान पुरातत्व विभाग की ओर से कोई उपस्थित भी नहीं हुआ. इस पर कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव गृह और निदेशक पुरातत्व विभाग नई दिल्ली को 10 दिन के भीतर अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
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विवादित स्थल प्राचीन काल से मंदिर दूसरी ओर याचिका पर बहस के दौरान मंदिर पक्ष के अधिवक्ता अजय कुमार सिंह ने प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट 1991 की धारा तीन का हवाला देते हुए कहा एक्ट की किस धारा में किसी भी उपासना स्थल का स्वरूप परिवर्तन करने पर रोक है. जब की पूरी प्लांट में कहीं भी स्वरूप परिवर्तन की बात नहीं कही गई है. विवादित स्थल का स्वरूप प्राचीन काल से मंदिर का ही है.उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई न्याय निर्णय की नजीरें भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की. कहा गया कि 227 के क्षेत्राधिकार में हाईकोर्ट का काम अधीनस्थ न्यायालयों को उनके अधिकार के दायरे में रखना है ना की गलतियों को सुधारना. याचिका पर 12 सितंबर को अगली सुनवाई होगी.