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प्रयागराज: धूल फांक रही डायलिसिस मशीन, मरीज प्राईवेट हॉस्पिटल जाने को मजबूर - डायलिसिस की मशीन बनवाने का शासन को नहीं हो रही सुध

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के जिला अस्पताल में मरीज जाते तो हैं, लेकिन वहां उनका इलाज नहीं हो पाता है. जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की कहना है कि अस्पताल में डायलिसिस की मशीन खराब पड़ी है, जिसे सरकार न तो ठीक करवा रही है और न ही नई मशीन का फंड दे रही. इस कड़ी में मरीजों को प्राईवेट हॉस्पिटल का रुख लेना पड़ रहा है.

अस्पताल में डायलिसिस की मशीन खराब, लोगों ने लिया प्राईवेट हॉस्पिटल का रुख.
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Published : Aug 31, 2019, 6:09 PM IST

प्रयागराज: केंद्र और राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग को मजबूत करने के लिए कई योजनाएं चला रहीं है. लेकिन जिला अस्पताल के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिला के बेली अस्पताल में सालों से डायलिसिस की मशीन धूल फांक रही है, जिसकी वजह से डायलिसिस के मरीजों को प्राईवेट अस्पतालों का रुख लेना पड़ रहा है.

अस्पताल में डायलिसिस की मशीन खराब, लोगों ने लिया प्राईवेट हॉस्पिटल का रुख.


डायलिसिस कराने के लिए मरीज अस्पताल तो पहुंचते हैं, लेकिन मशीन ठीक नहीं होने के कारण उनका इलाज संभव नहीं है. अस्पताल प्रशासन ने कई बार स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर नई मशीन की मांग की है, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. हालांकि जब मशीन चलती थी, तो एक दिन में छह मरीजों का डायलिसिस तीन सौ रुपये में किया जाता था. मशीन खराब होने की वजह से अब मरीजों को मजबूरी में प्राईवेट हॉस्पिटल में डायलिसिस कराना पड़ रहा है. प्राइवेट हॉस्पिटल में सरकारी हॉस्पिटल से अधिक चार्ज लगता है. वहीं नई मशीन आने से गरीब मरीजों का फायदा होगा.

जिला अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि कई बार स्वास्थ्य मंत्री को शिकायत करने के बाद भी डायलिसिस की मशीन न तो बनवाई गई और न ही नई मशीन के लिए सरकार ने हॉस्पिटल प्रशासन को फंड दिया. पिछले कई सालों से यह मशीन खराब है. डायलिसिस के मरीज तो हॉस्पिटल में आते हैं, लेकिन उनका डायलिसिस हॉस्पिटल ने नहीं हो पाता है. हॉस्पिटल में डायलिसिस मशीन को ऑपरेट करने के लिए दो टेक्नीशियन भी नियुक्त है. मशीन पूरी तरह खराब होने की वजह से बंद पड़ी है जिसके चलते मरीज बाहर इलाज कराने के लिए मजबूर है.

कई सालों से मशीन खराब पड़ी है. एक दो बार मशीन खराब हुई तो उसे बनवा कर मरीजों का डायलिसिस किया जाता था. लेकिन पिछले कुछ सालों से दोनों मशीन पूरी तरह से कंडम हो गई है. सरकार से कई बार नई मशीन का डिमांड किया गया, लेकिन अब तक अस्पताल में नई मशीनें नहीं भेजी गई.
-सुषमा श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

प्रयागराज: केंद्र और राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग को मजबूत करने के लिए कई योजनाएं चला रहीं है. लेकिन जिला अस्पताल के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिला के बेली अस्पताल में सालों से डायलिसिस की मशीन धूल फांक रही है, जिसकी वजह से डायलिसिस के मरीजों को प्राईवेट अस्पतालों का रुख लेना पड़ रहा है.

अस्पताल में डायलिसिस की मशीन खराब, लोगों ने लिया प्राईवेट हॉस्पिटल का रुख.


डायलिसिस कराने के लिए मरीज अस्पताल तो पहुंचते हैं, लेकिन मशीन ठीक नहीं होने के कारण उनका इलाज संभव नहीं है. अस्पताल प्रशासन ने कई बार स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर नई मशीन की मांग की है, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. हालांकि जब मशीन चलती थी, तो एक दिन में छह मरीजों का डायलिसिस तीन सौ रुपये में किया जाता था. मशीन खराब होने की वजह से अब मरीजों को मजबूरी में प्राईवेट हॉस्पिटल में डायलिसिस कराना पड़ रहा है. प्राइवेट हॉस्पिटल में सरकारी हॉस्पिटल से अधिक चार्ज लगता है. वहीं नई मशीन आने से गरीब मरीजों का फायदा होगा.

जिला अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि कई बार स्वास्थ्य मंत्री को शिकायत करने के बाद भी डायलिसिस की मशीन न तो बनवाई गई और न ही नई मशीन के लिए सरकार ने हॉस्पिटल प्रशासन को फंड दिया. पिछले कई सालों से यह मशीन खराब है. डायलिसिस के मरीज तो हॉस्पिटल में आते हैं, लेकिन उनका डायलिसिस हॉस्पिटल ने नहीं हो पाता है. हॉस्पिटल में डायलिसिस मशीन को ऑपरेट करने के लिए दो टेक्नीशियन भी नियुक्त है. मशीन पूरी तरह खराब होने की वजह से बंद पड़ी है जिसके चलते मरीज बाहर इलाज कराने के लिए मजबूर है.

कई सालों से मशीन खराब पड़ी है. एक दो बार मशीन खराब हुई तो उसे बनवा कर मरीजों का डायलिसिस किया जाता था. लेकिन पिछले कुछ सालों से दोनों मशीन पूरी तरह से कंडम हो गई है. सरकार से कई बार नई मशीन का डिमांड किया गया, लेकिन अब तक अस्पताल में नई मशीनें नहीं भेजी गई.
-सुषमा श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

Intro:प्रयागराज: जिला हॉस्पिटल में सालों से धूल फांक रही डायलिसिस मशीन,शासन को नहीं है सुध

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प्रयागराज: केंद्र और राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग को मजबूत करने के लिए कई योजनाएं चला रहीं है. लेकिन जिला हॉस्पिटल आज मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिला बेली हॉस्पिटल में सालों से डायलिसिस की मशीन धूल फांक रही है. जिसकी वजह से डायलिसिस के मरीजों को बाहर का रास्ता देखना पड़ रहा है. डायलिसिस कराने मरीज हॉस्पिटल तो पहुंचते हैं लेकिन मशीन ठीक नहीं होने से उनका इलाज संभव नहीं है. हॉस्पिटल प्रशासन ने कई बार स्वास्थ्य मंत्री को लेटर लिखकर नई मशीन की मांग किया गया. लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई.


Body:
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सुषमा श्रीवास्तव ने बताया कि कई सालों से मशीन खराब पड़ी है. एक दो बार मशीन खराब हुई तो उसे बनवा कर मरीजों का डायलिसिस किया जाता था. लेकिन पिछले कुछ सालों से दोनों मशीन पूरी तरह से कंडम हो गई है. सरकार से कई बार नई मशीन का डिमांड किया गया लेकिन अब तक हॉस्पिटल में नई मशीनें नहीं भेजी गई.

जब मशीन चल रही थी तो एक दिन में छ मरीजों का डायलिसिस तीन सौ रुपये में किया जाता था. मशीन खराब होने की वजह से अब मरीज मजबूरी में प्राईवेट हॉस्पिटल में कराना पड़ रहा है. प्राइवेट हॉस्पिटल में सरकारी हॉस्पिटल से अधिक चार्ज लगता है. नई मशीन आने से गरीब मरीजों का फायदा होगा.


Conclusion:

कई बार स्वास्थ्य मंत्री को शिकायत करने के बाद भी डायलिसिस की मशीन न तो बनवाई गई और न तो नई मशीन के लिए सरकार ने हॉस्पिटल प्रशासन को फंड दिया. पिछले कई सालों से यह मशीन खराब है. डायलिसिस के मरीज तो हॉस्पिटल में आते हैं लेकिन उनका डायलिसिस हॉस्पिटल ने नहीं हो पाता है. हॉस्पिटल में डायलिसिस मशीन को ऑपरेट करने के लिए दो टेक्नीशियन भी नियुक्त है. मशीन पूरी तरह खराब होने की वजह से बंद पड़ी है और मरीज मजबूरन बाहर इलाज कराने के लिए मजबूर है.

बाइट- सुषमा श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, जिला बेली हॉस्पिटल
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