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प्रयागराज: स्थानान्तरित शिक्षकों को कार्यमुक्त न करने के मामले पर हुई सुनवाई

यूपी के प्रयागराज में स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुरुवार को राजकीय इंटर कॉलेजों के स्थानान्तरित शिक्षकों को कार्यमुक्त न करने को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई पर जानकारी तलब करने के आदेश दिए. इस मामले में अगली सुनवाई 2 दिसम्बर को होगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Nov 13, 2020, 5:47 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजकीय हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेजों में कार्यरत स्थानान्तरित अध्यापकों को कार्यमुक्त न करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया गया है. बता दें कि, दाखिल की गई याचिका में कॉलेजों में नई नियुक्तियां हो जाने के बाद भी स्थानांतरित हो चुके अध्यापकों को कार्यमुक्त न करने पर आपत्ति की गयी है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने राहुल मिश्र और अन्य की याचिका पर दिया है.

स्थानांतरण के बावजूद नहीं किया गया कार्यमुक्त

याचियों का कहना है कि राजकीय कॉलेजों के अध्यापकों की स्थानांतरण नीति में यह प्रावधान है कि जिन कॉलेजों में दो ही अध्यापक हैं वहां स्थानांतरण के बाद अध्यापक को तब तक कार्यमुक्त न किया जाए जबतक उसके स्थान पर दूसरा अध्यापक कार्यभार ग्रहण न कर लें. याचीगण का स्थानांतरण 20 जून 2019 को कर दिया गया, किन्तु नीति के कारण उनको कार्यमुक्त नहीं किया गया. इस बीच लोक सेवा आयोग ने प्रदेश में 3,317 पदों पर अध्यापकों का चयन कर नियुक्ति की सिफारिश कर दी है. इसके बावजूद याचीगण को अब तक कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा है जबकि कई अन्य कॉलेजों में इसी स्थिति में अध्यापकों को कार्यमुक्त किया जा रहा है.

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी जानकारी

याचीगण का यह भी कहना है कि विभाग ने स्थानांतरण होने के बावजूद उनके कॉलेज में पद रिक्त नहीं दिखाए हैं, जिसकी वजह से नए नियुक्त अध्यापकों को वहां तैनाती नहीं दी जा रही है. कोर्ट ने प्रदेश सरकार से इस मामले में दो दिसंबर तक जानकारी मांगी है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजकीय हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेजों में कार्यरत स्थानान्तरित अध्यापकों को कार्यमुक्त न करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया गया है. बता दें कि, दाखिल की गई याचिका में कॉलेजों में नई नियुक्तियां हो जाने के बाद भी स्थानांतरित हो चुके अध्यापकों को कार्यमुक्त न करने पर आपत्ति की गयी है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने राहुल मिश्र और अन्य की याचिका पर दिया है.

स्थानांतरण के बावजूद नहीं किया गया कार्यमुक्त

याचियों का कहना है कि राजकीय कॉलेजों के अध्यापकों की स्थानांतरण नीति में यह प्रावधान है कि जिन कॉलेजों में दो ही अध्यापक हैं वहां स्थानांतरण के बाद अध्यापक को तब तक कार्यमुक्त न किया जाए जबतक उसके स्थान पर दूसरा अध्यापक कार्यभार ग्रहण न कर लें. याचीगण का स्थानांतरण 20 जून 2019 को कर दिया गया, किन्तु नीति के कारण उनको कार्यमुक्त नहीं किया गया. इस बीच लोक सेवा आयोग ने प्रदेश में 3,317 पदों पर अध्यापकों का चयन कर नियुक्ति की सिफारिश कर दी है. इसके बावजूद याचीगण को अब तक कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा है जबकि कई अन्य कॉलेजों में इसी स्थिति में अध्यापकों को कार्यमुक्त किया जा रहा है.

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी जानकारी

याचीगण का यह भी कहना है कि विभाग ने स्थानांतरण होने के बावजूद उनके कॉलेज में पद रिक्त नहीं दिखाए हैं, जिसकी वजह से नए नियुक्त अध्यापकों को वहां तैनाती नहीं दी जा रही है. कोर्ट ने प्रदेश सरकार से इस मामले में दो दिसंबर तक जानकारी मांगी है.

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