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Gyanvapi Case: केस स्थानांतरित करने के मामले में हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को किया खारिज

ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Case) में केस स्थानांतरित करने के मामले में दिए गए आदेश पर इन्तजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से की गई आपत्ति को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि याचिका की सुनवाई में अनियमित को उजागर करने वाले की पहचान मायने नहीं रखती है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 27, 2023, 10:31 PM IST

प्रयागराज: ज्ञानवापी मामले में मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा केस स्थानांतरित करने के मामले में दिए गए आदेश पर अंजुमन ए इन्तजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से की गई आपत्ति को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मुख्य न्यायधीश द्वारा प्रशासनिक इस पर दिए गए आदेश के मामले की सुनवाई दूसरी बेंच को स्थानांतरित करने का कारण स्पष्ट किया गया है. कमेटी की ओर से सुनवाई स्थगित करने का प्रार्थना पत्र उचित नहीं है. कोर्ट ने कहा कि याचिका की सुनवाई में प्रक्रियागत अनियमितता को उजागर करने वाले व्यक्ति की पहचान जाहिर करना महत्वपूर्ण विषय नहीं है. याची के पास संबंधित मामले की पत्रावली का निरीक्षण कर शिकायतकर्ता के बारे में जानने का विकल्प खुला है.

कमेटी की ओर से याचिका दाखिल कर ज्ञानवापी मामले में वाराणसी की कोर्ट में चल रहे हैं मूलवाद के निर्णय के खिलाफ दाखिल निगरानी याचिकाओं की सुनवाई कर रही पीठ से यह मामला वापस लेकर अन्य पीठ को भेजने के निर्णय पर आपत्ति की गई थी. पूर्व बेंच द्वारा की जा रही सुनवाई में कुछ प्रक्रियागत कमी को लेकर एक पक्ष ने मुख्य न्यायाधीश को प्रशासनिक स्तर पर प्रार्थना पत्र दिया था. जिस पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश ने 11 अगस्त 2023 के आदेश से प्रकरण की सुनवाई दूसरी बेंच में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया. मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक के आदेश में ऐसा करने का कारण भी स्पष्ट किया गया है.

इसे भी पढ़े-Gyanvapi Case:व्यासजी के तहखाने पर डीएम के कब्जे मामले में मुस्लिम पक्ष को आपत्ति, 29 सितंबर को होगी सुनवाई

इसके खिलाफ इंतजामिया कमेटी की याचिका में कहा गया कि किसी अज्ञात अधिवक्ता द्वारा दाखिल किए गए उक्त प्रार्थना पत्र में कई महत्वपूर्ण तथ्य शामिल नहीं है. उक्त प्रार्थना पत्र में सबसे पहले की उन दो याचिकाओं का जिक्र नहीं है, जिसमें हाईकोर्ट ने वाराणसी की अदालत में चल रहे मूलवाड़ में अग्रिम कार्रवाई पर रोक लगा दी थी और अग्रिम सुनवाई के लिए 8 अक्टूबर 21 की तिथि नियत की थी. पूर्व पीठ द्वारा इस मामले को लंबे समय तक विस्तृत रूप से सुना गया. लेकिन, किसी भी अवसर पर उक्त पक्षकार या अधिवक्ता द्वारा इसमें कोई आपत्ति नहीं जताई गई.

पूर्व पीठ ने इन मामलों को 75 दिनों तक सुना. लेकिन, उस समय किसी ने कोई आपत्ति नहीं की. याचिका में मांग की गई की मुख्य न्यायाधीश के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत करने वाले अधिवक्ता या पक्षकार का नाम उजागर किया जाए. साथ ही न्याय हित में इस प्रकरण की सुनवाई दोबारा ना शुरू की जाए. याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने अपने आदेश में कहा की मुख्य न्यायाधीश के 11 अगस्त 2023 के प्रशासनिक आदेश में बेंच बदलने का कारण स्पष्ट किया गया है. जिसे बाद में न्यायिक आदेश में भी शामिल किया गया है. उक्त आदेश को पारित करने का उद्देश्य सुनवाई प्रक्रिया की प्रक्रियागत खामी को दूर करना है. ताकि, न्याय निष्पादन प्रणाली में लोगों का भरोसा कायम रखा जा सके. यह अमर सिंह केस में फुल बेंच द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुरूप है. कोर्ट ने कहा कि याचिका की सुनवाई में अनियमित को उजागर करने वाले की पहचान मायने नहीं रखती है. महत्वपूर्ण यह है कि न्यायिक प्रक्रिया की शुचिता को बनाए रखा जाए. 27 जुलाई 2023 के प्रार्थना पत्र से सिर्फ सीमित उद्देश्य की पूर्ति होती है. पक्षकारों के समक्ष रिकॉर्ड का निरीक्षण करने की मांग करने का विकल्प खुला है.

यह भी पढे़-ज्ञानवापी मामला: दूसरी पीठ में केस स्थानांतरित करने पर मुस्लिम पक्ष ने जताया एतराज

प्रयागराज: ज्ञानवापी मामले में मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा केस स्थानांतरित करने के मामले में दिए गए आदेश पर अंजुमन ए इन्तजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से की गई आपत्ति को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मुख्य न्यायधीश द्वारा प्रशासनिक इस पर दिए गए आदेश के मामले की सुनवाई दूसरी बेंच को स्थानांतरित करने का कारण स्पष्ट किया गया है. कमेटी की ओर से सुनवाई स्थगित करने का प्रार्थना पत्र उचित नहीं है. कोर्ट ने कहा कि याचिका की सुनवाई में प्रक्रियागत अनियमितता को उजागर करने वाले व्यक्ति की पहचान जाहिर करना महत्वपूर्ण विषय नहीं है. याची के पास संबंधित मामले की पत्रावली का निरीक्षण कर शिकायतकर्ता के बारे में जानने का विकल्प खुला है.

कमेटी की ओर से याचिका दाखिल कर ज्ञानवापी मामले में वाराणसी की कोर्ट में चल रहे हैं मूलवाद के निर्णय के खिलाफ दाखिल निगरानी याचिकाओं की सुनवाई कर रही पीठ से यह मामला वापस लेकर अन्य पीठ को भेजने के निर्णय पर आपत्ति की गई थी. पूर्व बेंच द्वारा की जा रही सुनवाई में कुछ प्रक्रियागत कमी को लेकर एक पक्ष ने मुख्य न्यायाधीश को प्रशासनिक स्तर पर प्रार्थना पत्र दिया था. जिस पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश ने 11 अगस्त 2023 के आदेश से प्रकरण की सुनवाई दूसरी बेंच में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया. मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक के आदेश में ऐसा करने का कारण भी स्पष्ट किया गया है.

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इसके खिलाफ इंतजामिया कमेटी की याचिका में कहा गया कि किसी अज्ञात अधिवक्ता द्वारा दाखिल किए गए उक्त प्रार्थना पत्र में कई महत्वपूर्ण तथ्य शामिल नहीं है. उक्त प्रार्थना पत्र में सबसे पहले की उन दो याचिकाओं का जिक्र नहीं है, जिसमें हाईकोर्ट ने वाराणसी की अदालत में चल रहे मूलवाड़ में अग्रिम कार्रवाई पर रोक लगा दी थी और अग्रिम सुनवाई के लिए 8 अक्टूबर 21 की तिथि नियत की थी. पूर्व पीठ द्वारा इस मामले को लंबे समय तक विस्तृत रूप से सुना गया. लेकिन, किसी भी अवसर पर उक्त पक्षकार या अधिवक्ता द्वारा इसमें कोई आपत्ति नहीं जताई गई.

पूर्व पीठ ने इन मामलों को 75 दिनों तक सुना. लेकिन, उस समय किसी ने कोई आपत्ति नहीं की. याचिका में मांग की गई की मुख्य न्यायाधीश के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत करने वाले अधिवक्ता या पक्षकार का नाम उजागर किया जाए. साथ ही न्याय हित में इस प्रकरण की सुनवाई दोबारा ना शुरू की जाए. याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने अपने आदेश में कहा की मुख्य न्यायाधीश के 11 अगस्त 2023 के प्रशासनिक आदेश में बेंच बदलने का कारण स्पष्ट किया गया है. जिसे बाद में न्यायिक आदेश में भी शामिल किया गया है. उक्त आदेश को पारित करने का उद्देश्य सुनवाई प्रक्रिया की प्रक्रियागत खामी को दूर करना है. ताकि, न्याय निष्पादन प्रणाली में लोगों का भरोसा कायम रखा जा सके. यह अमर सिंह केस में फुल बेंच द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुरूप है. कोर्ट ने कहा कि याचिका की सुनवाई में अनियमित को उजागर करने वाले की पहचान मायने नहीं रखती है. महत्वपूर्ण यह है कि न्यायिक प्रक्रिया की शुचिता को बनाए रखा जाए. 27 जुलाई 2023 के प्रार्थना पत्र से सिर्फ सीमित उद्देश्य की पूर्ति होती है. पक्षकारों के समक्ष रिकॉर्ड का निरीक्षण करने की मांग करने का विकल्प खुला है.

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