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डेंगू से मौतों पर शासन गंभीर नहीं: हाईकोर्ट - हाईकोर्ट ने प्रयागराज के डीएम और सीएमओ को किया तलब

प्रयागराज में डेंगू के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों से हाईकोर्ट ने अंसतोष जताया है. कोर्ट ने कहा की डेंगू सो हो रही मौतों से प्रशासन गंभीर नहीं है. 4 नवंबर को कोर्ट ने प्रयागराज को डीएम और सीएमओ को तलब किया है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Nov 2, 2022, 10:22 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में डेंगू के बढ़ते प्रकोप(Dengue rising in Prayagraj) को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर असंतोष जताया है. साथ ही सभी जिम्मेदार अधिकारियों को चार नवंबर को सुनवाई के समय हाजिर रहने का निर्देश दिया है.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश‌ बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जो तथ्य बताए गए हैं, असलियत उसके बिल्कुल विपरीत है. कहीं कोई प्रतिरोधक उपाय होता दिखाई नहीं दे रहा है जबकि नगर निगम के अधिवक्ता ने आशंका जताई कि डेंगू नहीं कोई अन्य बीमारी है. जिससे फेफड़े, हृदय, लीवर, किडनी तक प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि फॉगिंग तो की जा रही है, लेकिन कोई असर नहीं हो रहा है.

पिछली तारीख पर कोर्ट ने चकबंदी अधिकारी की तैनाती को लेकर आश्चर्य जताया था. पूछा था कि चकबंदी अधिकारी अब डॉक्टरों का भी काम करेंगे. याची के अधिवक्ता ने कहा कि नगर निगम जाड़े का इंतजार कर रहा है कि शायद जाड़े में डेंगू खत्म हो जाए. इसलिए फॉगिंग नहीं हो रही है. नगर निगम के अधिवक्ता ने कहा कि जनता का सहयोग नहीं मिल रहा है. हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष आरके ओझा का कहना था कि सात वकीलों की डेंगू से मौत हो चुकी है और 100 वकील बीमार हैं.

पॉश इलाकों में भी फॉगिंग नहीं की गई है. श्मशान घाट से रिपोर्ट मंगा ली जाए तो पता चल जाएगा कि बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हो रही हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि शासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है. कोर्ट ने कहा कि नगर निगम का दायित्व है कि शहर को साफ सुथरा रखे. टेस्टिंग नहीं प्रिवेंटिव उपाय चाहिए. कोर्ट ने उठाए गए कदमों पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि शुक्रवार को संबंधित अधिकारी हाजिर रहें.

यह भी पढ़ें: डेंगू से परेशान मरीज, पीड़ितों से निजी अस्पताल वसूल रहे जांच के नाम पर अतिरिक्त शुल्क

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में डेंगू के बढ़ते प्रकोप(Dengue rising in Prayagraj) को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर असंतोष जताया है. साथ ही सभी जिम्मेदार अधिकारियों को चार नवंबर को सुनवाई के समय हाजिर रहने का निर्देश दिया है.

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश‌ बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जो तथ्य बताए गए हैं, असलियत उसके बिल्कुल विपरीत है. कहीं कोई प्रतिरोधक उपाय होता दिखाई नहीं दे रहा है जबकि नगर निगम के अधिवक्ता ने आशंका जताई कि डेंगू नहीं कोई अन्य बीमारी है. जिससे फेफड़े, हृदय, लीवर, किडनी तक प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि फॉगिंग तो की जा रही है, लेकिन कोई असर नहीं हो रहा है.

पिछली तारीख पर कोर्ट ने चकबंदी अधिकारी की तैनाती को लेकर आश्चर्य जताया था. पूछा था कि चकबंदी अधिकारी अब डॉक्टरों का भी काम करेंगे. याची के अधिवक्ता ने कहा कि नगर निगम जाड़े का इंतजार कर रहा है कि शायद जाड़े में डेंगू खत्म हो जाए. इसलिए फॉगिंग नहीं हो रही है. नगर निगम के अधिवक्ता ने कहा कि जनता का सहयोग नहीं मिल रहा है. हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष आरके ओझा का कहना था कि सात वकीलों की डेंगू से मौत हो चुकी है और 100 वकील बीमार हैं.

पॉश इलाकों में भी फॉगिंग नहीं की गई है. श्मशान घाट से रिपोर्ट मंगा ली जाए तो पता चल जाएगा कि बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हो रही हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि शासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है. कोर्ट ने कहा कि नगर निगम का दायित्व है कि शहर को साफ सुथरा रखे. टेस्टिंग नहीं प्रिवेंटिव उपाय चाहिए. कोर्ट ने उठाए गए कदमों पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि शुक्रवार को संबंधित अधिकारी हाजिर रहें.

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