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घटिया लैपटॉप बेचे जाने के मामले में फ्लिपकार्ट को मिली राहत, गाजियाबाद में दर्ज मुकदमा रद - इलाहाबाद हाईकोर्ट की सुनवाई

घटिया लैपटॉप बेचे जाने के मामले (substandard laptop sale case) में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ई कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को राहत दी है. कोर्ट ने गाजियाबाद में दर्ज मुकदमा को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन बेचे गए सामान की गुणवत्ता के लिए ई-कॉमर्स कंपनियां जिम्मेदार नहीं है.

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Published : Oct 17, 2022, 10:00 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ई कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को राहत देते हुए उसके खिलाफ मानक के विपरीत लैपटॉप बेचे जाने के मामले (substandard laptop sale case) में दर्ज मुकदमा रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ई-कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट सिर्फ एक मध्यस्थ है, जो इंटरनेट पर क्रेता और विक्रेता को एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराता है. इस प्लेटफार्म पर विक्रेता और क्रेता के बीच हुए किसी भी समझौते के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइट आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत जिम्मेदार नहीं है.

कंपनी की ओर से गाजियाबाद के कविनगर थाने में दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की गई थी. याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने सुनवाई की.

गाजियाबाद जिला न्यायालय में वकालत करने वाले एक अधिवक्ता ने फ्लिपकार्ट के खिलाफ सीजेएम गाजियाबाद के समक्ष 156( 3) के तहत परिवाद दाखिल कर आरोप लगाया कि वह कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट से काफी समय से सामान खरीदता रहा है. अक्टूबर 2018 में उसने एक लैपटॉप फ्लिपकार्ट से खरीदा. ऑनलाइन भुगतान कर लैपटॉप प्राप्त करने के बाद उसे पता चला कि कंपनी की वेबसाइट पर लैपटॉप टके जो स्पेसिफिकेशन दिए गए थे वह उनके अनुरूप नहीं था.

वेबसाइट पर दी गई सूचना के अनुसार लैपटॉप में इंटेल का प्रोसेसर लगा है मगर उसने जो लैपटॉप प्राप्त किया उसमें ए एम डी का प्रोसेसर लगा हुआ था. उसने कंपनी के अधिकारियों से इसकी शिकायत की, मगर उन्होंने लैपटॉप वापस करने या रिफंड देने से मना कर दिया. अधिवक्ता ने पहले इसकी शिकायत एसएसपी गाजियाबाद से की मगर कोई कार्रवाई ना होने पर उसने 156 (3 ) के तहत सीजीएम गाजियाबाद के समक्ष परिवाद दाखिल किया. सीजेएम के निर्देश पर कवि नगर थाने की पुलिस ने फ्लिपकार्ट के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 420, 467, 468, 471, 474, 474 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. फ्लिपकार्ट की ओर से इस मुकदमे को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए प्राथमिकी रद्द करने की मांग की गई थी.

फ्लिपकार्ट का कहना था कि वह ई कॉमर्स मार्केटप्लेस है जो कि खरीदार और विक्रेता को एक इंटरनेट प्लेटफार्म मुहैया कराती है. क्रेता और विक्रेता दोनों पक्ष उनके इस प्लेटफार्म पर मिलते हैं और खरीद व बिक्री करते हैं. इसमें क्रेता और विक्रेता सभी प्रकार के व्यवसायिक नियम व शर्तें जैसे सामान की कीमत, शिपिंग कॉस्ट, माल की डिलीवरी में लगने वाला समय, माल की वारंटी, आफ्टर सेल्स सर्विस जैसी चीजें आपस में तय करते हैं. इसमें प्लेटफार्म की कोई भूमिका नहीं होती है. सभी प्रकार के डिस्काउंट और ऑफर विक्रेता द्वारा दिए जाते हैं, फ्लिपकार्ट द्वारा नहीं. कंपनी का कहना था कि आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत उसे किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी से छूट प्राप्त है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों व संबंधित कानून पर व्यापक विमर्श करने के बाद कहा कि याची कंपनी फ्लिपकार्ट एक मध्यवर्ती है जो क्रेता और विक्रेता को ई-कॉमर्स प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है. मध्यवर्ती को विक्रेता द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना, डाटा या लिंक के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. कोर्ट ने फ्लिपकार्ट के खिलाफ दर्ज मुकदमा रद्द कर दिया है.

यह भी पढ़ें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अटाला हिंसा मास्टरमाइंड जावेद की याचिका पर चार सप्ताह में मांगा जवाब

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ई कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को राहत देते हुए उसके खिलाफ मानक के विपरीत लैपटॉप बेचे जाने के मामले (substandard laptop sale case) में दर्ज मुकदमा रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ई-कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट सिर्फ एक मध्यस्थ है, जो इंटरनेट पर क्रेता और विक्रेता को एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराता है. इस प्लेटफार्म पर विक्रेता और क्रेता के बीच हुए किसी भी समझौते के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइट आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत जिम्मेदार नहीं है.

कंपनी की ओर से गाजियाबाद के कविनगर थाने में दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की गई थी. याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने सुनवाई की.

गाजियाबाद जिला न्यायालय में वकालत करने वाले एक अधिवक्ता ने फ्लिपकार्ट के खिलाफ सीजेएम गाजियाबाद के समक्ष 156( 3) के तहत परिवाद दाखिल कर आरोप लगाया कि वह कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट से काफी समय से सामान खरीदता रहा है. अक्टूबर 2018 में उसने एक लैपटॉप फ्लिपकार्ट से खरीदा. ऑनलाइन भुगतान कर लैपटॉप प्राप्त करने के बाद उसे पता चला कि कंपनी की वेबसाइट पर लैपटॉप टके जो स्पेसिफिकेशन दिए गए थे वह उनके अनुरूप नहीं था.

वेबसाइट पर दी गई सूचना के अनुसार लैपटॉप में इंटेल का प्रोसेसर लगा है मगर उसने जो लैपटॉप प्राप्त किया उसमें ए एम डी का प्रोसेसर लगा हुआ था. उसने कंपनी के अधिकारियों से इसकी शिकायत की, मगर उन्होंने लैपटॉप वापस करने या रिफंड देने से मना कर दिया. अधिवक्ता ने पहले इसकी शिकायत एसएसपी गाजियाबाद से की मगर कोई कार्रवाई ना होने पर उसने 156 (3 ) के तहत सीजीएम गाजियाबाद के समक्ष परिवाद दाखिल किया. सीजेएम के निर्देश पर कवि नगर थाने की पुलिस ने फ्लिपकार्ट के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 420, 467, 468, 471, 474, 474 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. फ्लिपकार्ट की ओर से इस मुकदमे को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए प्राथमिकी रद्द करने की मांग की गई थी.

फ्लिपकार्ट का कहना था कि वह ई कॉमर्स मार्केटप्लेस है जो कि खरीदार और विक्रेता को एक इंटरनेट प्लेटफार्म मुहैया कराती है. क्रेता और विक्रेता दोनों पक्ष उनके इस प्लेटफार्म पर मिलते हैं और खरीद व बिक्री करते हैं. इसमें क्रेता और विक्रेता सभी प्रकार के व्यवसायिक नियम व शर्तें जैसे सामान की कीमत, शिपिंग कॉस्ट, माल की डिलीवरी में लगने वाला समय, माल की वारंटी, आफ्टर सेल्स सर्विस जैसी चीजें आपस में तय करते हैं. इसमें प्लेटफार्म की कोई भूमिका नहीं होती है. सभी प्रकार के डिस्काउंट और ऑफर विक्रेता द्वारा दिए जाते हैं, फ्लिपकार्ट द्वारा नहीं. कंपनी का कहना था कि आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत उसे किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी से छूट प्राप्त है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों व संबंधित कानून पर व्यापक विमर्श करने के बाद कहा कि याची कंपनी फ्लिपकार्ट एक मध्यवर्ती है जो क्रेता और विक्रेता को ई-कॉमर्स प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है. मध्यवर्ती को विक्रेता द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना, डाटा या लिंक के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. कोर्ट ने फ्लिपकार्ट के खिलाफ दर्ज मुकदमा रद्द कर दिया है.

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