प्रयागराज : वाराणसी के ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी पांच याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. वकीलों की हड़ताल के कारण कुछ देर तक चली बहस में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं से कोर्ट ने केस के बारे में तथ्यों की जानकारी ली. मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिकाओं की अगली सुनवाई की तिथि 18 सितंबर निर्धारित की है.
ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी पांच याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट एकसाथ सुनवाई कर रहा है. इनमें से तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल मुकदमे की पोषणीयता से जुड़ी हैं. दो अन्य एएसआई के ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने के आदेश के खिलाफ हैं. वर्ष 1991 के मुकदमे में विवादित परिसर को मंदिर बताते हुए हिंदुओं को सौंपने और वहां पूजा-अर्चना की इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी. यह मुकदमा 1991 में वाराणसी की जिला अदालत में दाखिल किया गया था. कमेटी ने सिविल वाद की ग्राह्यता पर सवाल खड़े किए कि कि प्लेसेस आप वर्शिप एक्ट के तहत सिविल वाद दायर नहीं किया जा सकता. एक वाद 2021में पूजा अधिकार को लेकर दाखिल किया गया है.
हाईकोर्ट को यह तय करना है कि वाराणसी की अदालत इस मुकदमे को सुन सकती है या नहीं. हाईकोर्ट में गत 28 अगस्त को इस मामले में करीब एक घंटे तक चली सुनवाई में मुस्लिम पक्ष ने तीन बार निर्णय सुरक्षित होने के बाद फिर सुनवाई किए जाने पर ऐतराज जताया था. साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के पुराने फैसले के आधार पर दोबारा सुनवाई नहीं किए जाने की दलील दी थी. मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया था कि पिछले वर्षों में करीब 75 कार्य दिवसों पर इस मामले में सुनवाई हो चुकी है. ऐसे में अब इस मामले में फिर से सुनवाई नहीं की जा सकती. हिंदू पक्ष की ओर से भी कहा गया था कि फैसला जल्दी आना चाहिए. हालांकि हिंदू पक्ष ने दोबारा सुनवाई किए जाने का विरोध नहीं किया था. इससे पूर्व इन पांचों याचिकाओं पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति प्रकाश पडिया ने 25 जुलाई को निर्णय सुरक्षित कर लिया था. उन्होंने 28 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाने की तारीख भी तय की थी. हालांकि मुख्य न्यायाधीश ने अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए केस मंगा लिया. उसके बाद इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की कोर्ट में हुई. अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी.
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