प्रयागराज: प्रदेश सरकार जहां अपने कार्यकाल के 4 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सरकार के द्वारा कराए गए विकास कार्यों की उपलब्धि गिनाने की तैयारी कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री आवास पाने वाले लाभार्थियों से सरकार के ही नुमाइंदे सुविधा शुल्क के नाम पर प्रत्येक लाभार्थी से दस हजार रुपए की सुविधा शुल्क अधिकारियों को देने के नाम पर वसूल रहे हैं. ग्राम सभाओं में नियुक्त ग्राम पंचायत अधिकारी रोजगार सेवक के साथ-साथ गांव के कार्यकाल समाप्त हो चुके ग्राम प्रधान भी सुविधा शुल्क वसूलने में तेजी से लगे हुए हैं.
शंकरगढ़ विकासखंड के कई ग्राम सभाओं का यही हाल है, जहां पर प्रधानमंत्री आवास को पाने वाले लाभार्थियों से ग्राम प्रधानों, रोजगार सेवक और ग्राम विकास अधिकारियों के द्वारा सुविधा शुल्क वसूला जा रहा है. ग्रामसभा ललाई में आवास पाने वाले कई लाभार्थियों ने बताया गया कि "ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक आवास पाने वाले प्रत्येक लाभार्थियों से सुविधा शुल्क के नाम पर दस हजार रूपए प्रति आवास के दर से वसूली कर रहे हैं." विदाना देवी ने बताया कि ग्राम प्रधान हनीफ ने उनसे दस हजार रूपए की मांग की गई थी, जिसमें उनके द्वारा आवास की पहली किस्त पाने के बाद पांच हजार रूपए सुविधा शुल्क के रूप में ग्राम प्रधान को दिए हैं.
चंद्रावती ने बताया कि गांव के ही सेक्रेटरी दिलीप के द्वारा उनके पति के नाम से आए आवास के नाम पर सुविधा शुल्क के रूप में 10000 रूपये लिए गए, जिसे चंद्रवती ने अपने हाथ से दिया था.
ग्रामीणों ने बताया कि "दिलीप गांव के सेक्रेटरी ही नहीं बल्कि गांव के ही रहने वाले रोजगार सेवक हैं, जो सेक्रेटरी के नाम पर लाभार्थियों से पैसा ले रहे हैं. वही गांव की ही एक लाभार्थी गुलाब कली के द्वारा दबी जुबान से तो बताया गया कि "आवास के नाम पर उनसे सुविधा शुल्क ली गई है, लेकिन वह कैमरे के सामने बोलने से संकोच करती रही. कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक आवास पाने वाले लाभार्थियों से अधिकारियों को देने के नाम पर सुविधा शुल्क की वसूली करके मालामाल हो रहे हैं.
शंकरगढ़ विकासखंड में नियुक्त एक अधिकारी के द्वारा नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया गया कि शंकरगढ़ विकासखंड की कई ग्राम सभाओं में अधिकारियों को देने के नाम पर रोजगार सेवक और कार्यकाल समाप्त हो चुके ग्राम प्रधान ने लाभार्थियों से 10000 रूपए की सुविधा शुल्क की वसूली की, जिसमें कहीं न कहीं ब्लॉक के अधिकारी भी लिप्त हैं.