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शास्त्रीय संगीत की शिक्षा के लिए बढ़ रहा युवाओं का रुझान

बढ़ते रियालिटीज शोज और स्टेज परफॉर्मेंस में अपने-आपको मजबूती से खड़ा करने के लिए प्रयागराज के युवा इन दिनों शास्त्रीय संगीत सीखने में लगे हुए हैं. प्रयागराज में एक शिक्षा संस्थान शास्त्रीय संगीत की वर्कशॉप चला रहा है. इसमें बच्चों को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दी जा रही है.

शास्त्रीय संगीत.
शास्त्रीय संगीत.
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Published : Mar 8, 2021, 6:01 PM IST

प्रयागराज: बढ़ते रियालिटीज शोज और स्टेज परफॉर्मेंस में अपने-आपको मजबूती से खड़ा करने के लिए प्रयागराज के युवा इन दिनों शास्त्रीय संगीत सीखने में लगे हुए हैं. साथ ही इनका मानना है कि संगीत प्रतियोगिता किसी भी विद्या की हो सभी का आधार शास्त्रीय संगीत ही है. यही वजह है कि शास्त्रीय संगीत सीखने वालों की संख्या तेजी से बड़ रही है.

शास्त्रीय संगीत की शिक्षा.

भारतीय संगीत का आकर्षण एक बार फिर संगीत प्रेमियों को अपनी ओर खींच रहा है. प्रयागराज स्थित मेयोराबा में एक शिक्षा संस्थान सारेगामापा शास्त्रीय संगीत की वर्कशॉप चला रहा है. इसमें बच्चों को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दी जा रही है. साथ ही शास्त्री संगीत की बारीकियों को भी सिखाया जा रहा है. सीखने की लगन ऐसी कि चाहे छोटा हो या बड़ा ताल से ताल मिलता नजर आ रहा है.


'टीवी रियलिटी शो से प्रेरित हुए युवा'

शास्त्रीय संगीत शिक्षिका पूजा कहती हैं कि संगीत आज रियलिटी शो में तेजी से बढ़ता चला आ रहा है. युवाओं में इन टैलेंट शो के प्लेटफार्मा पर अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस के लिए आज शास्त्रीय संगीत के प्रति रुझान बढ़ गया है. वहीं, कुछ गाने ऐसे हुआ करते हैं कि बिना शास्त्रीय संगीत के ज्ञान के उसे गाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि जब तक हमको राग की जानकारी नहीं होगी, तब तक हम उस गाने को अच्छे से नहीं गा सकते हैं.




'संगीत का आधार है शास्त्रीय संगीत'

शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण करने आई विद्यार्थी का कहना है कि शास्त्रीय संगीत सीखना इसलिए भी जरूरी और महत्वपूर्ण है, क्योंकि कि यह एक संगीत का आधार है. आज लोग वेस्टर्न कल्चर और वेस्टर्न म्यूजिक की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन जो हमारा बेस है वह हमारा क्लासिकल म्यूजिक है.



'नियमित अभ्यास जरूरी'

कुछ लोग केवल शौक में दो-चार माह संगीत में रुचि दिखाकर शांत हो जाते हैं. जबकि संगीत एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें बच्चों को नियमित अभ्यास करना चाहिए. अभ्यास यदि बंद कर दिया जाता है तो फिर कठिनाई बढ़ जाती है. बड़े-बड़े संगीतकार आज भी नियमित अभ्यास करते हैं.

पढ़ें: मिशन शक्ति : मदरसा की छात्राओं को सरकारी योजनाओं के बारे में किया गया जागरूक

'शास्त्रीय संगीत के जानकार के लिए कोई भी गीत कठिन नहीं'

आज जितने भी गीत गाए जा रहे हैं, उनमें एक बार फिर शास्त्रीय संगीत को ही प्राथमिकता दी जा रही है. शास्त्रीय संगीत में जो निपुण हो जाता है, वह किसी भी प्रतिभा का मोहताज नहीं होता. कोई भी गीत शास्त्रीय संगीत के जानकार के लिए कठिन नहीं होता. लोगों को सरेगम की सरगम से इसकी शुरुआत करना होती है.

प्रयागराज: बढ़ते रियालिटीज शोज और स्टेज परफॉर्मेंस में अपने-आपको मजबूती से खड़ा करने के लिए प्रयागराज के युवा इन दिनों शास्त्रीय संगीत सीखने में लगे हुए हैं. साथ ही इनका मानना है कि संगीत प्रतियोगिता किसी भी विद्या की हो सभी का आधार शास्त्रीय संगीत ही है. यही वजह है कि शास्त्रीय संगीत सीखने वालों की संख्या तेजी से बड़ रही है.

शास्त्रीय संगीत की शिक्षा.

भारतीय संगीत का आकर्षण एक बार फिर संगीत प्रेमियों को अपनी ओर खींच रहा है. प्रयागराज स्थित मेयोराबा में एक शिक्षा संस्थान सारेगामापा शास्त्रीय संगीत की वर्कशॉप चला रहा है. इसमें बच्चों को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दी जा रही है. साथ ही शास्त्री संगीत की बारीकियों को भी सिखाया जा रहा है. सीखने की लगन ऐसी कि चाहे छोटा हो या बड़ा ताल से ताल मिलता नजर आ रहा है.


'टीवी रियलिटी शो से प्रेरित हुए युवा'

शास्त्रीय संगीत शिक्षिका पूजा कहती हैं कि संगीत आज रियलिटी शो में तेजी से बढ़ता चला आ रहा है. युवाओं में इन टैलेंट शो के प्लेटफार्मा पर अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस के लिए आज शास्त्रीय संगीत के प्रति रुझान बढ़ गया है. वहीं, कुछ गाने ऐसे हुआ करते हैं कि बिना शास्त्रीय संगीत के ज्ञान के उसे गाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि जब तक हमको राग की जानकारी नहीं होगी, तब तक हम उस गाने को अच्छे से नहीं गा सकते हैं.




'संगीत का आधार है शास्त्रीय संगीत'

शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण करने आई विद्यार्थी का कहना है कि शास्त्रीय संगीत सीखना इसलिए भी जरूरी और महत्वपूर्ण है, क्योंकि कि यह एक संगीत का आधार है. आज लोग वेस्टर्न कल्चर और वेस्टर्न म्यूजिक की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन जो हमारा बेस है वह हमारा क्लासिकल म्यूजिक है.



'नियमित अभ्यास जरूरी'

कुछ लोग केवल शौक में दो-चार माह संगीत में रुचि दिखाकर शांत हो जाते हैं. जबकि संगीत एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें बच्चों को नियमित अभ्यास करना चाहिए. अभ्यास यदि बंद कर दिया जाता है तो फिर कठिनाई बढ़ जाती है. बड़े-बड़े संगीतकार आज भी नियमित अभ्यास करते हैं.

पढ़ें: मिशन शक्ति : मदरसा की छात्राओं को सरकारी योजनाओं के बारे में किया गया जागरूक

'शास्त्रीय संगीत के जानकार के लिए कोई भी गीत कठिन नहीं'

आज जितने भी गीत गाए जा रहे हैं, उनमें एक बार फिर शास्त्रीय संगीत को ही प्राथमिकता दी जा रही है. शास्त्रीय संगीत में जो निपुण हो जाता है, वह किसी भी प्रतिभा का मोहताज नहीं होता. कोई भी गीत शास्त्रीय संगीत के जानकार के लिए कठिन नहीं होता. लोगों को सरेगम की सरगम से इसकी शुरुआत करना होती है.

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